देहरादून: उत्तराखंड के कथित साइकिल घोटाले पर सरकार ने जांच के आदेश दिए, तो मामले में कुछ नए तथ्य भी सामने आने लगे हैं. ना केवल साइकिलों की खरीद के बाद दुरुपयोग का कबूल नामा सामने आया है, बल्कि हरक सिंह रावत ने भाजपा विधायकों का नाम लेकर इस मामले पर राजनीति तेज कर दी है. खास बात ये है कि इस प्रकरण को लेकर पहले भी जिलाधिकारियों के स्तर से जांच की गई थी. मामला करीब 20 करोड़ रुपये से खरीदी गई साइकिलोंं का है. जिस पर गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के कमिश्नर को विस्तृत जांच करने के निर्देश दिए गए हैं.
साइकिल वितरण में हरक की नहीं थी भागीदारी: तत्कालीन श्रम मंत्री हरक रावत ने कहा कि साइकिल वितरण में बतौर मंत्री उनकी कोई भागीदारी नहीं थी, उल्टे भाजपा के तमाम विधायकों की मौजूदगी में ही अलग-अलग कैंपों में साइकिल वितरित की गई हैं. उन्होंने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की मौजूदगी में ही साइकिलों के वितरण का शुभारंभ भी किया गया था.
कथित साइकिल घोटाला में BJP के विधायक शामिल: तत्कालीन श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने एक तरफ अपनी भूमिका इस मामले में ना होने की बात कही है. वहीं, इस पूरे प्रकरण में साइकिलों की खरीद सरकारी एजेंसी के जरिए किए जाने और नियमों के अनुसार इनके वितरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि जहां तक साइकिलों के वितरण का सवाल है, तो यह काम विभाग के इंस्पेक्टर्स द्वारा किया गया था और जिस दौरान यह वितरण किया गया. उन कैंप में भाजपा के विधायक भी मौजूद थे.
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विधायक खजानदास ने किया खुलासा: विधायक खजानदास ने कहा कि अभी उनके पास बड़ी संख्या में साइकिलें मौजूद हैं, जो कि गोदाम में रखी हुई हैं, लेकिन इनके वितरण को लेकर कोई सूचना नहीं आने के कारण अभी इन्हें श्रमिकों को नहीं दिया जा रहा है. कथित साइकिल घोटाले में खजान दास के खुलासे से यह साफ है कि अगर उनके पास ही करीब 500 साइकिल गोदाम में रखी हुई है, तो फिर ऐसी ही कितनी साइकिलें अब भी तमाम जगहों पर जंग खा रही होगी. 2017 से 2021 तक साइकिल खरीद और वितरण के इस मामले में अब तक ना तो जांच पूरी हो पाई है और ना ही इसका कोई नतीजा निकल पाया है.
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