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FSI और उत्तराखंड वन विभाग हुए आमने-सामने, प्रमुख वन संरक्षक की भूमिका पर उठाए सवाल

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Published : Nov 2, 2022, 3:21 PM IST

Updated : Nov 2, 2022, 3:30 PM IST

फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (Forest Survey of India) और उत्तराखंड वन विभाग आमने सामने आ गये हैं. मामला पाखरो टाइगर सफारी (Tiger Safari in Corbett region of Uttarakhand) के नाम पर अवैध पेड़ों के कटान से जुड़ा है. इस मामले में एफएसआई के महानिदेशक अनूप सिंह(Director General of FSI Anoop Singh) और वन विभाग के मुखिया विनोद सिंघल (head of forest department Vinod Singhal) के बीच पत्रों का दौर जारी है.

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फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया का वन मुखिया को करारा जवाब

देहरादून: उत्तराखंड के कॉर्बेट में पाखरो टाइगर सफारी के नाम पर अवैध पेड़ों के कटान का मामला अब उत्तराखंड वन विभाग और भारत सरकार के फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के बीच की लड़ाई में तब्दील हो गया है. उत्तराखंड वन विभाग के मुखिया ने फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की पेड़ों को काटे जाने से जुड़ी रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए तो संस्थान के महानिदेशक ने उत्तराखंड वन विभाग के मुखिया को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है.

उत्तराखंड के कॉर्बेट क्षेत्र में टाइगर सफारी (Tiger Safari in Corbett region of Uttarakhand) के नाम पर पेड़ काटने का मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है. लगातार इस मामले की जांच जारी है, लेकिन इस बीच मामले पर उत्तराखंड वन विभाग के मुखिया विनोद सिंघल (head of forest department Vinod Singhal) को एफएसआई ने कटघरे में खड़ा कर दिया गया है.

FSI और उत्तराखंड वन विभाग हुए आमने-सामने

दरअसल, हाल ही में फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने टाइगर सफारी क्षेत्र में पेड़ काटे जाने से जुड़ी रिपोर्ट उत्तराखंड वन विभाग को भेजी थी. जिस पर वन विभाग के मुखिया विनोद कुमार सिंघल ने यह कहते हुए सवाल खड़े कर दिए थे कि रिपोर्ट के 14 बिंदु पर दोबारा फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया अपनी रिपोर्ट भेजें. खास बात यह है कि इस पत्र के जारी होने के बाद फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की इस रिपोर्ट को लेकर कई तरह की बातें की जाने लगी थी.

पढे़ं- कालाढूंगी बैलपड़ाव नहर में मिला नवजात शिशु का शव, जांच में जुटी पुलिस

ऐसे में इसका जवाब देते हुए एफएसआई के महानिदेशक अनूप सिंह(Director General of FSI Anoop Singh) ने वन विभाग को पत्र भेजा है. वन विभाग के मुखिया विनोद सिंघल के नाम भेजे गए इस पत्र में सीधे तौर पर वन मुखिया को ही कटघरे में खड़ा किया गया है. पत्र में इस मामले पर एफएसआई की रिपोर्ट पर उठाए गए सवाल को बचकाना और भ्रमित करने वाला बताया गया है. इतना ही नहीं वन विभाग के मुखिया पर गलत कामों का बचाव करने का प्रयास करने तक की भी बात पत्र में लिखी गई है.

पढे़ं-केदारनाथ में निर्माण पर वैज्ञानिकों ने फिर चेताया, बताया तेजी से बर्फ पिघलने का कारण

बता दें वन विभाग के मुखिया विनोद कुमार सिंघल ने 14 बिंदुओं पर एफएसआई से दोबारा रिपोर्ट देने को कहा था, साथ ही इस रिपोर्ट का आधार भी पूछा गया था. वन विभाग की ही एक दूसरी जांच रिपोर्ट में टाइगर सफारी के नाम पर करीब 196 पेड़ काटे जाने की बात लिखी गई है. उधर फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में 6000 पेड़ काटने का ब्यौरा दिया है. बस इसी आंकड़े के अंतर को लेकर दो विभागों के सबसे बड़े सीनियर आईएफ़एस अधिकारी आमने सामने आ गए हैं.

इस मामले को लेकर प्रमुख वन संरक्षक और वन विभाग के मुखिया विनोद सिंघल कहते हैं कि फिलहाल जांच और पत्र का परीक्षण करवाया जा रहा है. उसके बाद ही वह इस पर कोई जवाब दे पाएंगे. जहां तक पत्र में लिखी गई बातों का सवाल है तो यदि किसी गलत काम का बचाव करना होता तो वन विभाग एसएसआई को मामले की जांच के लिए अनुरोध नहीं करता. इस दौरान भारत सरकार के संस्थान एसएसआई को बदनाम करने के आरोप को भी वन विभाग के मुखिया ने खारिज किया है.

देहरादून: उत्तराखंड के कॉर्बेट में पाखरो टाइगर सफारी के नाम पर अवैध पेड़ों के कटान का मामला अब उत्तराखंड वन विभाग और भारत सरकार के फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के बीच की लड़ाई में तब्दील हो गया है. उत्तराखंड वन विभाग के मुखिया ने फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की पेड़ों को काटे जाने से जुड़ी रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए तो संस्थान के महानिदेशक ने उत्तराखंड वन विभाग के मुखिया को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है.

उत्तराखंड के कॉर्बेट क्षेत्र में टाइगर सफारी (Tiger Safari in Corbett region of Uttarakhand) के नाम पर पेड़ काटने का मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है. लगातार इस मामले की जांच जारी है, लेकिन इस बीच मामले पर उत्तराखंड वन विभाग के मुखिया विनोद सिंघल (head of forest department Vinod Singhal) को एफएसआई ने कटघरे में खड़ा कर दिया गया है.

FSI और उत्तराखंड वन विभाग हुए आमने-सामने

दरअसल, हाल ही में फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने टाइगर सफारी क्षेत्र में पेड़ काटे जाने से जुड़ी रिपोर्ट उत्तराखंड वन विभाग को भेजी थी. जिस पर वन विभाग के मुखिया विनोद कुमार सिंघल ने यह कहते हुए सवाल खड़े कर दिए थे कि रिपोर्ट के 14 बिंदु पर दोबारा फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया अपनी रिपोर्ट भेजें. खास बात यह है कि इस पत्र के जारी होने के बाद फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की इस रिपोर्ट को लेकर कई तरह की बातें की जाने लगी थी.

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ऐसे में इसका जवाब देते हुए एफएसआई के महानिदेशक अनूप सिंह(Director General of FSI Anoop Singh) ने वन विभाग को पत्र भेजा है. वन विभाग के मुखिया विनोद सिंघल के नाम भेजे गए इस पत्र में सीधे तौर पर वन मुखिया को ही कटघरे में खड़ा किया गया है. पत्र में इस मामले पर एफएसआई की रिपोर्ट पर उठाए गए सवाल को बचकाना और भ्रमित करने वाला बताया गया है. इतना ही नहीं वन विभाग के मुखिया पर गलत कामों का बचाव करने का प्रयास करने तक की भी बात पत्र में लिखी गई है.

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बता दें वन विभाग के मुखिया विनोद कुमार सिंघल ने 14 बिंदुओं पर एफएसआई से दोबारा रिपोर्ट देने को कहा था, साथ ही इस रिपोर्ट का आधार भी पूछा गया था. वन विभाग की ही एक दूसरी जांच रिपोर्ट में टाइगर सफारी के नाम पर करीब 196 पेड़ काटे जाने की बात लिखी गई है. उधर फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में 6000 पेड़ काटने का ब्यौरा दिया है. बस इसी आंकड़े के अंतर को लेकर दो विभागों के सबसे बड़े सीनियर आईएफ़एस अधिकारी आमने सामने आ गए हैं.

इस मामले को लेकर प्रमुख वन संरक्षक और वन विभाग के मुखिया विनोद सिंघल कहते हैं कि फिलहाल जांच और पत्र का परीक्षण करवाया जा रहा है. उसके बाद ही वह इस पर कोई जवाब दे पाएंगे. जहां तक पत्र में लिखी गई बातों का सवाल है तो यदि किसी गलत काम का बचाव करना होता तो वन विभाग एसएसआई को मामले की जांच के लिए अनुरोध नहीं करता. इस दौरान भारत सरकार के संस्थान एसएसआई को बदनाम करने के आरोप को भी वन विभाग के मुखिया ने खारिज किया है.

Last Updated : Nov 2, 2022, 3:30 PM IST
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