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कॉर्बेट शब्द से जुड़ी आत्मा, पार्क के नाम में कोई बदलाव नहीं, बोले हरक- ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं

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Published : Oct 6, 2021, 7:23 PM IST

Updated : Oct 6, 2021, 8:04 PM IST

वन मंत्री हरक सिंह रावत ने स्प्ष्ट कर दिया है कि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम नहीं बदला जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के सामने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है और वो व्यक्तिगत रूप से भी नाम को बदलने के खिलाफ हैं.

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देहरादून

देहरादून/रामनगर: बीते दिनों केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे नैनीताल जिले के रामनगर दौरे पर थे. कॉर्बेट पार्क के भ्रमण के दौरान उन्होंने नेशनल पार्क का नाम बदलकर रामगंगा नेशनल पार्क करने की इच्छा जाहिर की थी, जिसके बाद से ये चर्चाएं जोरों पर थीं कि विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम सरकार रामगंगा नेशनल पार्क करने की तैयारी में है. हालांकि, ऐसा कुछ नहीं है. उत्तराखंड सरकार में वन मंत्री हरक सिंह रावत ने साफ कर दिया है कि प्रदेश सरकार के सामने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है और वो व्यक्तिगत रूप से भी नाम को बदलने के खिलाफ हैं.

केंद्रीय राज्य मंत्री ने जाहिर की थी इच्छा: दरअसल, बीते 3 अक्टूबर को जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में अमृत महोत्सव कार्यक्रम के समापन के मौके पर केंद्रीय पर्यावरण एवं राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे यहां पहुंचे थे. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल कुमार ने बताया कि कॉर्बेट के धनगढ़ी में म्यूजियम भ्रमण के दौरान बातचीत में उन्होंने कहा था कि जो कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का पुराना नाम था रामगंगा नेशनल पार्क वही नाम इसका किया जाना चाहिए. हालांकि, उन्हें उच्च स्तर से ऐसे कोई दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं.

पार्क के नाम में कोई बदलाव नहींः हरक सिंह रावत

ये भी पढ़ेंः गिलहरी और सांप के बीच हुई खतरनाक लड़ाई, आखिर में देखें किसने किया किसका शिकार?

नाम बदलाव का कोई प्रस्ताव नहीं: इस बात की पुष्टि करने के लिए ईटीवी भारत ने प्रदेश के वन मंत्री हरक सिंह रावत ने साफ किया कि, इस विषय पर न कोई प्रस्ताव है, न कोई पत्रावली चल रही है और न केंद्र सरकार को इस संबंध में कोई पत्र लिखा गया है और केंद्र की ओर से भी कोई संकेत नहीं हैं. हरक सिंह ने अश्विनी कुमार चौबे के बयान को व्यक्तिगत बताया.

कॉर्बेट नाम से जुड़ी है आत्मा: वहीं, मंत्री ने कहा कि वो खुद भी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का नाम बदले जाने के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि कॉर्बेट नेशनल पार्क पर्यटन की दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. धार्मिक पर्यटन के अलावा पूरे उत्तराखंड में सबसे अधिक सैलानी यहीं आते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह भी नेशनल पार्क के साथ कॉर्बेट नाम जुड़ा होना है. इस नाम का फायदा राज्य को मिलता है क्योंकि विदेश से आने वाले वाइल्ड लाइफ टूरिस्ट को कॉर्बेट नाम भी आकर्षित करता है. कॉर्बेट नाम के साथ आत्मा का जुड़ाव है इसलिए भी नाम का बदलाव नहीं होगा.

कॉर्बेट पार्क का इतिहासः विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क बाघों और वन्यजीवों के दीदार के लिए पूरे देश विदेश में प्रसिद्ध है. 1936 में पार्क की स्थापना के समय इस पार्क का नाम तत्कालीन गवर्नर मैल्कम हेली के नाम पर हेली नेशनल पार्क रखा गया था. वहीं, आजादी के बाद इस पार्क का नाम रामगंगा नेशनल पार्क रख दिया गया. फिर प्रसिद्ध शिकारी रहे जिम कॉर्बेट की मौत के 2 साल बाद 1956 में इसका नाम जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क कर दिया गया.

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल 1318.54 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां कई प्रकार के पेड़ों की प्रजातियां, जीव जंतु व कई प्रकार के वन्यजीव भी हैं. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व बाघों के घनत्व के लिए देश-विदेश में जाना जाता है. रामगंगा नदी पार्क की लाइफ लाइन मानी जाती है.

देहरादून/रामनगर: बीते दिनों केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे नैनीताल जिले के रामनगर दौरे पर थे. कॉर्बेट पार्क के भ्रमण के दौरान उन्होंने नेशनल पार्क का नाम बदलकर रामगंगा नेशनल पार्क करने की इच्छा जाहिर की थी, जिसके बाद से ये चर्चाएं जोरों पर थीं कि विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम सरकार रामगंगा नेशनल पार्क करने की तैयारी में है. हालांकि, ऐसा कुछ नहीं है. उत्तराखंड सरकार में वन मंत्री हरक सिंह रावत ने साफ कर दिया है कि प्रदेश सरकार के सामने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है और वो व्यक्तिगत रूप से भी नाम को बदलने के खिलाफ हैं.

केंद्रीय राज्य मंत्री ने जाहिर की थी इच्छा: दरअसल, बीते 3 अक्टूबर को जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में अमृत महोत्सव कार्यक्रम के समापन के मौके पर केंद्रीय पर्यावरण एवं राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे यहां पहुंचे थे. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल कुमार ने बताया कि कॉर्बेट के धनगढ़ी में म्यूजियम भ्रमण के दौरान बातचीत में उन्होंने कहा था कि जो कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का पुराना नाम था रामगंगा नेशनल पार्क वही नाम इसका किया जाना चाहिए. हालांकि, उन्हें उच्च स्तर से ऐसे कोई दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं.

पार्क के नाम में कोई बदलाव नहींः हरक सिंह रावत

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नाम बदलाव का कोई प्रस्ताव नहीं: इस बात की पुष्टि करने के लिए ईटीवी भारत ने प्रदेश के वन मंत्री हरक सिंह रावत ने साफ किया कि, इस विषय पर न कोई प्रस्ताव है, न कोई पत्रावली चल रही है और न केंद्र सरकार को इस संबंध में कोई पत्र लिखा गया है और केंद्र की ओर से भी कोई संकेत नहीं हैं. हरक सिंह ने अश्विनी कुमार चौबे के बयान को व्यक्तिगत बताया.

कॉर्बेट नाम से जुड़ी है आत्मा: वहीं, मंत्री ने कहा कि वो खुद भी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का नाम बदले जाने के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि कॉर्बेट नेशनल पार्क पर्यटन की दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. धार्मिक पर्यटन के अलावा पूरे उत्तराखंड में सबसे अधिक सैलानी यहीं आते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह भी नेशनल पार्क के साथ कॉर्बेट नाम जुड़ा होना है. इस नाम का फायदा राज्य को मिलता है क्योंकि विदेश से आने वाले वाइल्ड लाइफ टूरिस्ट को कॉर्बेट नाम भी आकर्षित करता है. कॉर्बेट नाम के साथ आत्मा का जुड़ाव है इसलिए भी नाम का बदलाव नहीं होगा.

कॉर्बेट पार्क का इतिहासः विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क बाघों और वन्यजीवों के दीदार के लिए पूरे देश विदेश में प्रसिद्ध है. 1936 में पार्क की स्थापना के समय इस पार्क का नाम तत्कालीन गवर्नर मैल्कम हेली के नाम पर हेली नेशनल पार्क रखा गया था. वहीं, आजादी के बाद इस पार्क का नाम रामगंगा नेशनल पार्क रख दिया गया. फिर प्रसिद्ध शिकारी रहे जिम कॉर्बेट की मौत के 2 साल बाद 1956 में इसका नाम जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क कर दिया गया.

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल 1318.54 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां कई प्रकार के पेड़ों की प्रजातियां, जीव जंतु व कई प्रकार के वन्यजीव भी हैं. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व बाघों के घनत्व के लिए देश-विदेश में जाना जाता है. रामगंगा नदी पार्क की लाइफ लाइन मानी जाती है.

Last Updated : Oct 6, 2021, 8:04 PM IST
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