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कैबिनेट मंत्री हरक सिंह ने अपर मुख्य सचिव से मांगा जवाब, कहा- लालढांग-चिल्लरखाल मोटरमार्ग पर कैसे फंसा पेंच? - लालढांग-चिल्लर खाल मोटर मार्ग

इस पूरे मामले पर हरक सिंह रावत ने न केवल अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश से मौखिक रूप से जवाब-तलब किया. बल्कि, वन विभाग के अधिकारियों को भी फटकार लगाई है.

forest minister harak singh rawat
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Published : May 16, 2019, 11:13 PM IST

देहरादून: अपने ही विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली से नाराज चल रहे कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने प्रमुख वन संरक्षक के बाद अब अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है. मंत्री हरक सिंह रावत ने अपनी विधानसभा कोटद्वार में लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग का काम रूकने के लिए अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश और प्रमुख वन संरक्षक जयराज समेत विभाग की कई अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया है.

पढ़ें- हरक सिंह रावत की नाराजगी को भुनाने में लगा विपक्ष, कहा- सरकार पर हावी है ब्यूरोक्रेसी

उत्तराखंड की सियासत में इन दिनों हरक सिंह रावत एक बार फिर से सुर्खियों में है. इस बार मंत्री हरक अपनी ही सरकार के खिलाफ आक्रामक नजर आ रहे हैं. बीते रोज उन्होंने प्रमुख वन संरक्षक के विदेशी दौरे पर नाराजगी जताई तो वहीं, गुरुवार को उन्होंने अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं.

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह ने अपर मुख्य सचिव से मांगा जवाब.

मंत्री हरक की माने तो अधिकारियों ने अपने अधिकारों को गलत इस्तेमाल करके लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग का निर्माण कार्य रूकवाया है. मंत्री के मुताबिक, इस सड़क के निर्माण के लिए उनकी तरफ से तमाम औपचारिकताएं पूरी कर ली गई थी. इसके बाद ही सड़क का निर्माण कार्य शुरू करवाया गया था. लेकिन अब उन्हीं अधिकारियों द्वारा इस सड़क को लेकर डीएफओ स्तर से प्रमुख वन संरक्षक जयराज तक एक गलत रिपोर्ट तैयार कर नेशनल टाइगर अथॉरिटी को भेजी गई.

पढ़ें- कैबिनेट मंत्री हरक सिंह को अधिकारी नहीं दे रहे तवज्जो, चिट्ठी लिखकर उतारा गुस्सा

वन मंत्री हरक सिंह रावत का आरोप है कि डीएफओ से लेकर ऊपर तक के किसी भी अधिकारी ने इस रिपोर्ट की जानकारी उन्हें नहीं दी और ये रिपोर्ट उनके संज्ञान में भी नहीं आई. वन विभाग के अधिकारियों ने इस रिपोर्ट को सीधे अपर मुख्य सचिव लोक निर्माण को भेजी दी. जिसके बाद ओम प्रकाश जैसे जिम्मेदार अधिकारी द्वारा भी बिना मंत्रालय के संज्ञान में लाये निर्माण कार्य रोक दिया गया, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है.

मंत्री हरक सिंह रावत ने इस मामले पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिस सड़क को सरकार के स्तर पर मंजूरी मिली हो, उसको अपर मुख्य सचिव कैसे रोक सकते हैं? उन्होंने कहा कि यह जानबूझ कर हरक सिंह रावत द्वारा किये जा रहे जनहित के कार्यों को रोकने की साजिश की जा रही है.

इस पूरे मामले पर हरक सिंह रावत ने न केवल अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश से मौखिक रूप से जवाब-तलब किया. बल्कि, वन विभाग के अधिकारियों को भी फटकार लगाई है. हरक सिंह रावत का कहना है कि जिस सड़क के निर्माण को लेकर वे पिछले कई सालों से प्रयास कर रहे थे. उसे वे पूरा करके रहेंगे. चाहे उसके लिए उन्हें किसी से भी लड़ाई लड़नी पड़े. उन्होंने कहा कि अगर इसके लिए उन्हें अपने पद का त्याग भी करना पड़ा तो पीछे नहीं हटेंगे.

forest minister harak singh rawat
लालढांग-चिल्लरखाल मोटरमार्ग पर फिर फंसा पेंच.

पढ़ें- सतपाल महाराज का ममता पर पलटवार, पश्चिम बंगाल में नहीं है अभिव्यक्ति की आजादी

अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश का जवाब
वहीं, इस बारे में जब अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश से बात की गई तो उन्होंने कहा कि लालढ़ाग-चिल्लरखाल सड़क का निर्माण कार्य रूकवाने में उनकी कोई भूमिका नहीं है. इसकी जानकारी पहले ही मंत्री को दे दी गई है. वन विभाग के अधिकारियों ने इस मोटर मार्ग का काम रूकवाया है. अगर वन विभाग अपनी रूकावट हटा दें तो लोक निर्माण विभाग को काम करने में कोई समस्या नहीं है.

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वन मंत्री ने अपर मुख्य सचिव से मांगा जवाब.

अपर मुख्य सचिव के मुताबिक, एनजीटी ने भी इस सड़क निर्माण में दखल दिया है. जिसमें एनजीटी ने लोक निर्माण विभाग को पार्टी बनाया है. ऐसे में लोक निर्माण विभाग का कोर्ट के नियमों का पालन करना जरुरी हो गया है. उन्होंने मंत्री से अनुरोध किया है कि वो अपने विभाग द्वारा लगाई गई आपत्ति को हटा दें और एनजीटी की कार्रवाई से पीडब्ल्यूडी को बाहर कर दें. उसके बाद सड़क का निर्माण बिना किसी बाधा के पूरा हो पायेगा.पर मुख्य सचिव इस पूरे मामले को लेकर जरूरी दस्तावेज ईटीवी भारत से साझा किए हैं.

देहरादून: अपने ही विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली से नाराज चल रहे कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने प्रमुख वन संरक्षक के बाद अब अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है. मंत्री हरक सिंह रावत ने अपनी विधानसभा कोटद्वार में लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग का काम रूकने के लिए अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश और प्रमुख वन संरक्षक जयराज समेत विभाग की कई अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया है.

पढ़ें- हरक सिंह रावत की नाराजगी को भुनाने में लगा विपक्ष, कहा- सरकार पर हावी है ब्यूरोक्रेसी

उत्तराखंड की सियासत में इन दिनों हरक सिंह रावत एक बार फिर से सुर्खियों में है. इस बार मंत्री हरक अपनी ही सरकार के खिलाफ आक्रामक नजर आ रहे हैं. बीते रोज उन्होंने प्रमुख वन संरक्षक के विदेशी दौरे पर नाराजगी जताई तो वहीं, गुरुवार को उन्होंने अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं.

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह ने अपर मुख्य सचिव से मांगा जवाब.

मंत्री हरक की माने तो अधिकारियों ने अपने अधिकारों को गलत इस्तेमाल करके लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग का निर्माण कार्य रूकवाया है. मंत्री के मुताबिक, इस सड़क के निर्माण के लिए उनकी तरफ से तमाम औपचारिकताएं पूरी कर ली गई थी. इसके बाद ही सड़क का निर्माण कार्य शुरू करवाया गया था. लेकिन अब उन्हीं अधिकारियों द्वारा इस सड़क को लेकर डीएफओ स्तर से प्रमुख वन संरक्षक जयराज तक एक गलत रिपोर्ट तैयार कर नेशनल टाइगर अथॉरिटी को भेजी गई.

पढ़ें- कैबिनेट मंत्री हरक सिंह को अधिकारी नहीं दे रहे तवज्जो, चिट्ठी लिखकर उतारा गुस्सा

वन मंत्री हरक सिंह रावत का आरोप है कि डीएफओ से लेकर ऊपर तक के किसी भी अधिकारी ने इस रिपोर्ट की जानकारी उन्हें नहीं दी और ये रिपोर्ट उनके संज्ञान में भी नहीं आई. वन विभाग के अधिकारियों ने इस रिपोर्ट को सीधे अपर मुख्य सचिव लोक निर्माण को भेजी दी. जिसके बाद ओम प्रकाश जैसे जिम्मेदार अधिकारी द्वारा भी बिना मंत्रालय के संज्ञान में लाये निर्माण कार्य रोक दिया गया, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है.

मंत्री हरक सिंह रावत ने इस मामले पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिस सड़क को सरकार के स्तर पर मंजूरी मिली हो, उसको अपर मुख्य सचिव कैसे रोक सकते हैं? उन्होंने कहा कि यह जानबूझ कर हरक सिंह रावत द्वारा किये जा रहे जनहित के कार्यों को रोकने की साजिश की जा रही है.

इस पूरे मामले पर हरक सिंह रावत ने न केवल अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश से मौखिक रूप से जवाब-तलब किया. बल्कि, वन विभाग के अधिकारियों को भी फटकार लगाई है. हरक सिंह रावत का कहना है कि जिस सड़क के निर्माण को लेकर वे पिछले कई सालों से प्रयास कर रहे थे. उसे वे पूरा करके रहेंगे. चाहे उसके लिए उन्हें किसी से भी लड़ाई लड़नी पड़े. उन्होंने कहा कि अगर इसके लिए उन्हें अपने पद का त्याग भी करना पड़ा तो पीछे नहीं हटेंगे.

forest minister harak singh rawat
लालढांग-चिल्लरखाल मोटरमार्ग पर फिर फंसा पेंच.

पढ़ें- सतपाल महाराज का ममता पर पलटवार, पश्चिम बंगाल में नहीं है अभिव्यक्ति की आजादी

अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश का जवाब
वहीं, इस बारे में जब अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश से बात की गई तो उन्होंने कहा कि लालढ़ाग-चिल्लरखाल सड़क का निर्माण कार्य रूकवाने में उनकी कोई भूमिका नहीं है. इसकी जानकारी पहले ही मंत्री को दे दी गई है. वन विभाग के अधिकारियों ने इस मोटर मार्ग का काम रूकवाया है. अगर वन विभाग अपनी रूकावट हटा दें तो लोक निर्माण विभाग को काम करने में कोई समस्या नहीं है.

forest minister harak singh rawat
वन मंत्री ने अपर मुख्य सचिव से मांगा जवाब.

अपर मुख्य सचिव के मुताबिक, एनजीटी ने भी इस सड़क निर्माण में दखल दिया है. जिसमें एनजीटी ने लोक निर्माण विभाग को पार्टी बनाया है. ऐसे में लोक निर्माण विभाग का कोर्ट के नियमों का पालन करना जरुरी हो गया है. उन्होंने मंत्री से अनुरोध किया है कि वो अपने विभाग द्वारा लगाई गई आपत्ति को हटा दें और एनजीटी की कार्रवाई से पीडब्ल्यूडी को बाहर कर दें. उसके बाद सड़क का निर्माण बिना किसी बाधा के पूरा हो पायेगा.पर मुख्य सचिव इस पूरे मामले को लेकर जरूरी दस्तावेज ईटीवी भारत से साझा किए हैं.

Intro:अब ओम प्रकाश पर बिफरे हरक सिंह रावत, कार्यशैली पर उठाए सवाल

Note- फीड FTP पर (Ab Om Prkash Par Bifre Haram singh) से भेजी गयी है।

एंकर- वन मंत्री हरक सिंह रावत ने प्रमुख वन संरक्षक के बाद अब अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कोटद्वार विधानसभा में लाल ढांग- चिल्लर खाल मोटर मार्ग को लेकर लंबे समय से प्रयासरत वन मंत्री हरक सिंह रावत ने इस सड़का के काम रुक जाने को लेकर अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश, प्रमुख वन संरक्षक जयराज सहित काम रोकने में भूमिका निभाने वाले हर अधिकारी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वहीं दूसरी तरफ अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने अपना पक्ष रखते हुए काम रुकने के पीछे वन विभाग के आदेश और एनजीटी द्वारा की कार्यवाही का हवाला दिया।


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वीओ- उत्तराखंड की सियासत में इन दिनो हरक सिंह रावत एक बार फिर से सुर्खियों में है। अपनी राजनीती कद और सियासी चहल कदमियों के बलबूते हरक सिंह रावत समय समय पर उत्तराखंड की सियासत में हड़कप मचाते रहें और एक बार फिर हरक सिंह रावत अपनी ही सरकार के खिलाफ आक्रामक रुप में नजर आ रहे। बीते रोज प्रमुख वन संरक्षक के बिना वन मंत्री या हरक सिंह रावत के अनुमती के विदेश जाने पर हरक सिंह रावत ने नाराजगी जताई तो अब सरकार के एक बड़े अधिकारी की कार्य प्रणाली पर हरक सिंह रावत ने सवाल खड़े किये हैं। 

गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए वन मंत्री हरक सिंह रावत ने चिल्लर खाल - लाल ढांग मोटर मार्ग के काम को रोकने को लेकर आरोप लगाया कि अधिकारियों द्वारा अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर इस सड़क के निर्माण कार्य को रोका गया है। वह मंत्री ने कहा कि इस सड़क के लिए मेरे द्वारा हर स्तर पर तमाम औपचारिकताएं पूरी की गई और इस के बाद इस सड़क का निर्माण कार्य शुरू करवाया गया लेकिन अब उन्ही अधिकारियों ने इस सड़क को लेकर DFO स्तर से प्रमुख वन संरक्षक जयराज तक एक गलत रिपोर्ट तैयार कर नेशनल टाइगर अथॉरिटी को भेजी गई। वन मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि DFO से लेकर ऊपर तक के किसी भी अधिकारी ने इस रिपोर्ट को वन मंत्री के संज्ञान में नही लाया गया और सीधे ये रिपोर्ट लोक निर्माण अपर मुख्य सचिव को भेजी गई। जिसके बाद ओम प्रकाश जैसे जिम्मेदार अधिकारी द्वारा भी बिना मंत्रालय के संज्ञान में लाये निर्माण कार्य रोक दिया गया जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। हरक सिंह रावत कहना है कि जिस सड़क को सरकार के स्तर पर मंजूरी मिली हो उनको अपर मुख्य सचिव कैसे रोक सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह जानबूझ कर हरक सिंह रावत द्वारा किये जा रहे जनहित के कार्यों को रोकने के मकसद से साजिश की जा रही है। इस पूरे मामले पर हरक सिंह रावत ने ना केवल अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश से मौखिक रुप से जवाब तलब कि बल्कि वन विभाग में भी अधिकारियों को खरी खोटी सुनाई। हरक सिंह रावत का कहना है कि जिस सड़क को वो पिछले कई सालों से प्रयास रत है उसके लिए वो हर लड़ाई लड़ेगे चाहे इसके लिए उन्हे किसी भी हद तक जाना पड़े। यंहा तक कि उन्होंने कहा कि अगर उन्हें अपना पद ही क्यों ना त्यागना पड़े।

बाइट- हरक सिंह रावत, वन मंत्री उत्तराखंड

वीओ- वहीं दूसरी ओर अपर मुख्य सचिव ओम प्रकार से इस बारे में जब पूछा गया तो उन्होने कहा कि चिल्लर खाल- लाल ढ़ाग सड़क के काम को रुकवाने में उनकी कोई भूमीका नही है। उन्होने वन मंत्री को भेजे गये एक पत्र का हवाला देते हुए कहा कि उनके द्वारा यह सूचना पहले ही मंत्री को दी गई थी कि वन विभाग के अधिकारिंयो द्वारा ही इस मोटर मार्ग का काम रुकवाया गया है और अगर वन विभाग अपनी रुकावट हटा दें तो लोक निर्माण विभाग को काम करने में कोई समस्या नही है वहीं इसके अलावा एनजीटी द्वारा भी इस सड़क निर्माण में दखल दिया गया है जिसकी चपेट में लोक निर्माण विभाग को भी एनजीटी ने पार्टी बनाया है जिसके बाद पीडब्लुडी द्वारा कोर्ट के नियमो का पालन करना जरुरी हो गया है। उन्होने मंत्री से अनुरोध किया है कि वो अपने विभाग के लगी आपत्ती हटा दें और एनजीटी की कार्यवाही से पीडब्लुडी को बाहर कर दें उसके बाद निर्माण बिना रुके हो पायेगा। अपर मुख्य सचिव इस पूरे मामले को लेकर जरूरी दस्तावेज etv भारत से साझा किए हंलांकि उन्होंने अचार संहिता का हवाला देते हुए कैमरे पर कुछ बोलने से मना किया लेकिन ये सारी जानकारी उन्होंने बन्द कैमरे पर दी।





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