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उत्तराखंडः वन गुर्जरों के आएंगे दिन, वन विभाग करने जा रहा है ये काम

उत्तराखंड में करीब 5 हजार वन गुर्जर रहते हैं. अब वन विभाग इन गुज्जरों को मुख्यधारा से जोड़ने जा रहा है. साथ ही इन्हें वन विभाग के तहत जंगलों में होने वाले काम भी दिए जाएंगे. जबकि, इन वन गुर्जरों के पढ़े-लिखे बच्चों को ट्रेनिंग देकर साहसिक खेलों और उत्तराखंड टूरिज्म से जोड़ा जाएगा. फिलहाल अभी 104 परिवारों की समस्याओं को चुना गया है.

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वन गुज्जर
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Published : Feb 5, 2020, 4:35 PM IST

Updated : Feb 5, 2020, 4:42 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में रह रहे वन गुर्जरों को मुख्य धारा में लाने के लिए वन विभाग कवायद में जुट गया है. इसके तहत राज्य में रहने वाले करीब 5 हजार वन गुज्जरों के परिवारों को मुलभूत सुविधाओं से जोड़ा जाएगा. साथ ही विभाग ने अधिकारियों को वन गुर्जरों को रोजगार मुहैया के लिए एक संगठन बनाने के निर्देश भी दिए हैं. जिससे वन विभाग के तहत वन में होने वाले काम इन गुर्जरों को दिया जा सके.

वन गुज्जरों को मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद.

बता दें कि, बीते साल वन विभाग ने राजाजी नेशनल पार्क के चीला रेंज में रह रहे सैकड़ों वन गुर्जरों के परिवारों को पार्क से बाहर कर दिया था. जिसके बाद तमाम वन गुर्जरों को अन्य जगह पर बसाया गया था, लेकिन करीब 104 परिवार ऐसे भी थे, जो अभी भी लोगों के खेतों में रह रहे थे. जिन्हें अपना जीवन यापन करने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. जिसे देखते हुए वन विभाग ने पहले चरण में इन परिवारों को मुख्यधारा में लाने को लेकर कवायद तेज कर दी है.

ये भी पढ़ेंः नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : हैदराबादी युवा ने बनाया नॉन-प्लास्टिक वी-कार्ड

वन गुर्जरों को वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध कराने के निर्देश
राजाजी नेशनल पार्क से जिन वन गुर्जरों को बाहर किया गया था वो लोग, वहीं पास में लोगों के खेतों में ऐसे ही रह रहे हैं. साथ ही रहने का किराया भी दे रहे हैं. इतना ही नहीं इनके मवेशियों के लिए चारे और पानी की समस्याएं हो रही हैं.

लिहाजा, गुर्जरों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं. साथ ही वन विभाग इन वन गुर्जरों के मवेशियों के चारे के लिए अपने स्तर से भी सपोर्ट करेगा. जबकि, इनके लिए वेटनरी टीम की व्यवस्था भी की जाएगी. जिससे इनके मवेशियों का सही समय पर इलाज किया जा सके.

वन गुर्जरों को वन विभाग देगा काम
वन गुर्जरों को मुख्यधारा में लाने के लिए वन विभाग के जितने भी वन में काम होते हैं. जैसे- जंगलों के भीतर सड़क बनाना, जंगलों के भीतर लॉगिंग ऑपरेशन होना समेत तमाम विकास के कार्यों को अब वन गुर्जरों को दिया जाएगा. इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि इन वन गुर्जरों का एक संगठन बनाया जाए, जिससे गुर्जरों को रजिस्ट्रेशन और पैन नंबर मिल जाएगा. जिसके बाद सीधे तौर पर इन वन गुर्जरों को काम दिया जाएगा. जिससे ये वन में ही रहकर वन विभाग के लिए काम करेंगे.

ये भी पढ़ेंः आजादी के बाद से इस गांव को नहीं मिली सड़क, मूलभूत सुविधाओं से महरूम ग्रामीण

वन गुर्जरों के बच्चों को दिया जाएगा ट्रेनिंग
वन विभाग, वन गुर्जरों के पढ़े-लिखे बच्चों को ट्रेनिंग देकर वन विभाग के तहत होने वाले साहसिक खेलों और उत्तराखंड टूरिज्म से भी जोड़ेगा. जो एक गाइड के रूप में काम करेंगे. जिससे ना सिर्फ वन में रहने वाले गुर्जरों को मुख्यधारा में लाया जा सकेगा. बल्कि, उनके आने वाले पीढ़ी को भी एक अच्छा काम करने का मौका मिलेगा.

वहीं, प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने बताया कि बीते साल शासन ने निर्णय लिया था कि जंगलों में रह रहे गुर्जरों को वहां से हटाया जाएगा. इसी कड़ी में वन गुर्जरों को जंगल से हटाकर कहीं और बसाया गया था, लेकिन चीला रेंज में कुछ गुर्जर ऐसे हैं. जिन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उनकी समस्याओं को 2 महीने के भीतर दूर करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं. साथ ही कहा कि प्रदेश भर में करीब 5 हजार वन गुर्जर रहते हैं. हालांकि, अभी 104 परिवारों की समस्याओं को चुना गया है.

देहरादूनः उत्तराखंड में रह रहे वन गुर्जरों को मुख्य धारा में लाने के लिए वन विभाग कवायद में जुट गया है. इसके तहत राज्य में रहने वाले करीब 5 हजार वन गुज्जरों के परिवारों को मुलभूत सुविधाओं से जोड़ा जाएगा. साथ ही विभाग ने अधिकारियों को वन गुर्जरों को रोजगार मुहैया के लिए एक संगठन बनाने के निर्देश भी दिए हैं. जिससे वन विभाग के तहत वन में होने वाले काम इन गुर्जरों को दिया जा सके.

वन गुज्जरों को मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद.

बता दें कि, बीते साल वन विभाग ने राजाजी नेशनल पार्क के चीला रेंज में रह रहे सैकड़ों वन गुर्जरों के परिवारों को पार्क से बाहर कर दिया था. जिसके बाद तमाम वन गुर्जरों को अन्य जगह पर बसाया गया था, लेकिन करीब 104 परिवार ऐसे भी थे, जो अभी भी लोगों के खेतों में रह रहे थे. जिन्हें अपना जीवन यापन करने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. जिसे देखते हुए वन विभाग ने पहले चरण में इन परिवारों को मुख्यधारा में लाने को लेकर कवायद तेज कर दी है.

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वन गुर्जरों को वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध कराने के निर्देश
राजाजी नेशनल पार्क से जिन वन गुर्जरों को बाहर किया गया था वो लोग, वहीं पास में लोगों के खेतों में ऐसे ही रह रहे हैं. साथ ही रहने का किराया भी दे रहे हैं. इतना ही नहीं इनके मवेशियों के लिए चारे और पानी की समस्याएं हो रही हैं.

लिहाजा, गुर्जरों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं. साथ ही वन विभाग इन वन गुर्जरों के मवेशियों के चारे के लिए अपने स्तर से भी सपोर्ट करेगा. जबकि, इनके लिए वेटनरी टीम की व्यवस्था भी की जाएगी. जिससे इनके मवेशियों का सही समय पर इलाज किया जा सके.

वन गुर्जरों को वन विभाग देगा काम
वन गुर्जरों को मुख्यधारा में लाने के लिए वन विभाग के जितने भी वन में काम होते हैं. जैसे- जंगलों के भीतर सड़क बनाना, जंगलों के भीतर लॉगिंग ऑपरेशन होना समेत तमाम विकास के कार्यों को अब वन गुर्जरों को दिया जाएगा. इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि इन वन गुर्जरों का एक संगठन बनाया जाए, जिससे गुर्जरों को रजिस्ट्रेशन और पैन नंबर मिल जाएगा. जिसके बाद सीधे तौर पर इन वन गुर्जरों को काम दिया जाएगा. जिससे ये वन में ही रहकर वन विभाग के लिए काम करेंगे.

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वन गुर्जरों के बच्चों को दिया जाएगा ट्रेनिंग
वन विभाग, वन गुर्जरों के पढ़े-लिखे बच्चों को ट्रेनिंग देकर वन विभाग के तहत होने वाले साहसिक खेलों और उत्तराखंड टूरिज्म से भी जोड़ेगा. जो एक गाइड के रूप में काम करेंगे. जिससे ना सिर्फ वन में रहने वाले गुर्जरों को मुख्यधारा में लाया जा सकेगा. बल्कि, उनके आने वाले पीढ़ी को भी एक अच्छा काम करने का मौका मिलेगा.

वहीं, प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने बताया कि बीते साल शासन ने निर्णय लिया था कि जंगलों में रह रहे गुर्जरों को वहां से हटाया जाएगा. इसी कड़ी में वन गुर्जरों को जंगल से हटाकर कहीं और बसाया गया था, लेकिन चीला रेंज में कुछ गुर्जर ऐसे हैं. जिन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उनकी समस्याओं को 2 महीने के भीतर दूर करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं. साथ ही कहा कि प्रदेश भर में करीब 5 हजार वन गुर्जर रहते हैं. हालांकि, अभी 104 परिवारों की समस्याओं को चुना गया है.

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उत्तराखंड राज्य में रह रहे वन गुज्जरों को मुख्य धारा में लाने को लेकर वन विभाग ने कवायत शुरू कर दी है। जी हां राज्य के भीतर करीब वन गुज्जरों का 5000 हज़ार परिवार रहता है। जिन्हें मुलभूत सुविधाओं से जोड़ने और रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर उत्तराखंड वन विभाग ने वन गुज्जरों का एक संगठन बनने का निर्देश अधिकारियों को दिए है। ताकि वन विभाग के तहत वन में होंने वाले काम वन गुज्जरों को दिया जा सके। 


Body:हालांकि पिछले साल वन विभाग ने राजाजी नेशनल पार्क के चीला रेंज में रह रहे सैकड़ो को वन गुज्जरों के परिवारों को पार्क से बाहर कर दिया था। जिसके बाद तमाम वन गुज्जरों को अन्य जगह पर बसाया गया था लेकिन करीब 104 परिवार ऐसे भी थे जो अभी भी लोगो के खेतो में रह रहे थे। जिन्हें अपना जीवन व्यतीत करने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। जिसे देखते हुए वन विभाग ने पहले चरण में इन परिवारों को मुख्यधारा में लाने को लेकर कवायत शुरू कर दी है। 


वन गुज्जरों को वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध कराने के निर्देश....

राजाजी नेशनल पार्क से जिन वन गुज्जरों को बाहर किया गया था वो लोग, वही पास में लोगो के खेतों में ऐसे ही रह रहे हैं और रहने का किराया भी दे रहे हैं। यही नहीं इनके जानवरों के चारे और पानी की भी तमाम दिक्कतें उत्पन्न हो रही है। लिहाजा गुर्जरों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही वन गुर्जरों के जानवरों के चारे के लिए वन विभाग ने अपने स्तर से भी सपोर्ट करेगा। यही नही वेटनरी टीम की व्यवस्था भी इन्हें दी जाएगी, ताकि इसकी जानवरों का सही समय पर इलाज किया जा सके।


वन गुज्जरों को वन विभाग देगा काम......

यह नहीं इन वन गुर्जरों को मुख्यधारा में लाने के लिए वन विभाग के जितने भी वन में काम होते हैं जैसे जंगलों के भीतर सड़क बनना, जंगलों की भीतर लॉगिंग ऑपरेशन होना समेत तमाम विकास के कार्यों को अब वन गुर्जरों को काम दिया जाएगा। इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि इन वन गुर्जरों का एक संगठन बना दिया जाए, जिससे वह गुज्जरों को रजिस्ट्रेशन और पैन नंबर मिल जाएगा। जिसके बाद सीधे तौर पर इन वन गुर्जरों को काम दिया जाएगा। जिससे ये वन में हीं रहकर वन विभाग के लिए काम करेंगे। 


वन गुज्जरों के बच्चों को दिया जाएगा ट्रेनिंग....

वन विभाग, वन गुर्जरों के पढ़े-लिखे बच्चों को ट्रेनिंग देकर वन विभाग के तहत होने वाले साहसिक खेलो और उत्तराखंड टूरिज्म से भी जोड़ेगा। जो एक गाइड के रूप में काम करेंगे। जिससे ना सिर्फ वन रहने वाले वर गुर्जरों को मुख्यधारा में लाया जा सकेगा। बल्कि उनके आने वाले जनरेशन को भी एक अच्छा काम करने का मौका मिलेगा ताकि वन गुज्जरों के बच्चे पढ़ लिख कर काम कर सके। 


वही प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने बताया कि पिछले साल शासन निर्णय लिया था कि जंगलों में रह रहे गुर्जरों को वहां से हटाया जाएगा। इसी कड़ी में वन गुज्जरों को जंगल से हटाकर कहीं और बसाया गया था लेकिन चीला रेंज में कुछ गुर्जर ऐसे हैं। जिन्हें अपने काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिनके समस्यओं को 2 महीने के भीतर दूर करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया गया है। साथ ही बताया कि प्रदेश भर में करीब 5000 वन गुज्जर रहते हैं। हालांकि अभी 104 परिवारों की समस्या को चुना गया है यही नहीं प्रदेश भर में गुर्जर जगह जगह पर बसे हुए हैं और बहुत कठिनाई और परेशानियों से अपने जीवन व्यतीत कर रहे हैं लिहाजा इन्हें मुख्यधारा में लाने को लेकर और समस्याओं को दूर करने को लेकर वन विभाग ने बीड़ा उठाया है।

बाइट - जय राज, प्रमुख वन संरक्षक




Conclusion:उत्तराखंड राज्य में वन गुर्जरों का हजारों परिवार रहता है लेकिन अभी तक राज्य सरकार, वन गुर्जरों को मुख्यधारा में लाने के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठा पायी है लेकिन वन विभाग द्वारा वन गुज्जरों के लिए उठाया जा रहा यह कदम काबिले तारीफ है लेकिन अगर वन विभाग का यह पहल सफल रहा तो वन गुर्जरों को मुख्यधारा में लाया जा सकेगा।
Last Updated : Feb 5, 2020, 4:42 PM IST
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