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वन दरोगा पद पर नियुक्तियों से बिफरे वन आरक्षी, शुरू किया अनिश्चितकालीन धरना, विभाग को दी चेतावनी - forest guards started indefinite strike

forest guard protest वन दरोगा पद पर नियुक्तियों से से वन आरक्षी आक्रोशित हैं. गुस्साये वन आरक्षियों ने इसके विरोध में अनिश्चितकालीन धरना भी शुरू कर दिया है. वन आरक्षियों ने कई मांगें वन विभाग के अधिकारियों के सामने रखी हैं. जिन पर विचार न होने के एवज में वन आरक्षियों ने कार्य बहिष्कार की भी चेतावनी दी है.

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वन दरोगा पद पर नियुक्तियों से बिफरे वन आरक्षी
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 16, 2023, 9:29 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में अभ्यर्थियों को वन दरोगा पद पर नियुक्ति पत्र दिए जाने से विभाग के ही आरक्षियों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया है. स्थिति यह है कि वन आरक्षियों ने आज से वन मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना देना शुरू कर दिया है. इस दौरान वन कर्मी अपनी कई सूत्रीय मांगों को भी विभाग के सामने रख रहे हैं.

उत्तराखंड वन विभाग में वन आरक्षियों का अनिश्चितकालीन धरना शुरू हो गया है. इस धरने के जरिए वन आरक्षियों ने अपनी कई सूत्रीय मांगों को वन विभाग के अफसरों के सामने रखने की कोशिश की ह. विभाग के इन कर्मचारियों की सबसे बड़ी नाराजगी विभाग के उस निर्णय को लेकर है जिसके तहत हाल ही में 292 अभ्यर्थियों को वन दरोगा की सीधी भर्ती में चयनित होने के बाद नियुक्ति पत्र दिया गया है.

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वन आरक्षियों का अनिश्चितकालीन धरना

पढ़ें- उत्तराखंड वन महकमे में पटरी से न उतर जाए व्यवस्था! बीट कर्मियों के नारों से गूंजा मुख्यालय

दरअसल वन दारोगा के रिक्त पदों को एक अनुपात में प्रमोशन के जरिये भरे जाने की मांग की जा रही थी. जिसको लेकर इसी साल अगस्त महीने में हाईकोर्ट ने भी सुनवाई की थी. वन आरक्षियों का कहना था कि वन विभाग की नियमावली के हिसाब से कुल रिक्त पदों के मुकाबले करीब 66 प्रतिशत पद प्रमोशन से भरे जाने चाहिए जबकि बाकी करीब 33 प्रतिशत पर ही सीधी भर्ती होनी चाहिए. लेकिन वन विभाग में इन नियमों का उल्लंघन करते हुए 292 पदों पर सीधी भर्ती के लिए अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दे दिए. यह हाईकोर्ट के आदेशों का भी उल्लंघन है.

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उत्तराखंड वन विभाग

पढ़ें-उत्तराखंड में 2024 तक की रिक्तियों को भरने में जुटा वन महकमा, उधर भर्ती कैलेंडर की भर्तियां हुईं डिले

वन कर्मियों ने कहा वह खुद भी इस तरह के अनिश्चितकालीन धरने का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन जिस तरह उनकी मांगों को नजर अंदाज किया जा रहा है उसके कारण वे यह कदम उठाने के लिए मजबूर है. उन्होंने कहा यदि उनकी मांगों पर कोई विचार नहीं किया जाता तो भविष्य में कार्य बहिष्कार का भी फैसला लिया जाएगा. वन आरक्षी संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष हर्षवर्धन गड़िया ने बताया विभाग ने मांगों पर विचार न करते हुए धरना देने का कदम उठाने के लिए संगठन को मजबूर किया है. इस दौरान हाईकोर्ट के आदेशों तक की भी अवहेलना की जा रही है.


उत्तराखंड वन आरक्षियों की मुख्य मांगें

  • 10 साल की सेवा पूर्ण करने वाले वन आरक्षण को पदोन्नति दी जाए.
  • वन आरक्षियों को 10 साल की सेवा पूरी करने के बाद 2400 की जगह 2800 वेतनमान का लाभ दिया जाए.
  • उप वनक्षेत्राधिकारी पद पर प्रमोशन के लिए मूल पद से 16 साल की अनिवार्य सेवा शर्त रखी जाए.
  • पुलिस की तरह ही एक महीने का अतिरिक्त वेतन दिया जाए.
  • पौष्टिक आहार भत्ता देने के साथ ही धुलाई भत्ते में भी संशोधन किया जाए.
  • साथ ही वन आरक्षियों के लिए आवास भत्ते की भी व्यवस्था की जाए.

देहरादून: उत्तराखंड में अभ्यर्थियों को वन दरोगा पद पर नियुक्ति पत्र दिए जाने से विभाग के ही आरक्षियों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया है. स्थिति यह है कि वन आरक्षियों ने आज से वन मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना देना शुरू कर दिया है. इस दौरान वन कर्मी अपनी कई सूत्रीय मांगों को भी विभाग के सामने रख रहे हैं.

उत्तराखंड वन विभाग में वन आरक्षियों का अनिश्चितकालीन धरना शुरू हो गया है. इस धरने के जरिए वन आरक्षियों ने अपनी कई सूत्रीय मांगों को वन विभाग के अफसरों के सामने रखने की कोशिश की ह. विभाग के इन कर्मचारियों की सबसे बड़ी नाराजगी विभाग के उस निर्णय को लेकर है जिसके तहत हाल ही में 292 अभ्यर्थियों को वन दरोगा की सीधी भर्ती में चयनित होने के बाद नियुक्ति पत्र दिया गया है.

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वन आरक्षियों का अनिश्चितकालीन धरना

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दरअसल वन दारोगा के रिक्त पदों को एक अनुपात में प्रमोशन के जरिये भरे जाने की मांग की जा रही थी. जिसको लेकर इसी साल अगस्त महीने में हाईकोर्ट ने भी सुनवाई की थी. वन आरक्षियों का कहना था कि वन विभाग की नियमावली के हिसाब से कुल रिक्त पदों के मुकाबले करीब 66 प्रतिशत पद प्रमोशन से भरे जाने चाहिए जबकि बाकी करीब 33 प्रतिशत पर ही सीधी भर्ती होनी चाहिए. लेकिन वन विभाग में इन नियमों का उल्लंघन करते हुए 292 पदों पर सीधी भर्ती के लिए अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दे दिए. यह हाईकोर्ट के आदेशों का भी उल्लंघन है.

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उत्तराखंड वन विभाग

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वन कर्मियों ने कहा वह खुद भी इस तरह के अनिश्चितकालीन धरने का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन जिस तरह उनकी मांगों को नजर अंदाज किया जा रहा है उसके कारण वे यह कदम उठाने के लिए मजबूर है. उन्होंने कहा यदि उनकी मांगों पर कोई विचार नहीं किया जाता तो भविष्य में कार्य बहिष्कार का भी फैसला लिया जाएगा. वन आरक्षी संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष हर्षवर्धन गड़िया ने बताया विभाग ने मांगों पर विचार न करते हुए धरना देने का कदम उठाने के लिए संगठन को मजबूर किया है. इस दौरान हाईकोर्ट के आदेशों तक की भी अवहेलना की जा रही है.


उत्तराखंड वन आरक्षियों की मुख्य मांगें

  • 10 साल की सेवा पूर्ण करने वाले वन आरक्षण को पदोन्नति दी जाए.
  • वन आरक्षियों को 10 साल की सेवा पूरी करने के बाद 2400 की जगह 2800 वेतनमान का लाभ दिया जाए.
  • उप वनक्षेत्राधिकारी पद पर प्रमोशन के लिए मूल पद से 16 साल की अनिवार्य सेवा शर्त रखी जाए.
  • पुलिस की तरह ही एक महीने का अतिरिक्त वेतन दिया जाए.
  • पौष्टिक आहार भत्ता देने के साथ ही धुलाई भत्ते में भी संशोधन किया जाए.
  • साथ ही वन आरक्षियों के लिए आवास भत्ते की भी व्यवस्था की जाए.
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