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FOREST FIRE की घटनाएं महज एक संयोग या इसके पीछे कोई बड़ी साजिश?

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Published : Apr 4, 2022, 9:31 PM IST

उत्तराखंड में इन दिनों एक बड़ी आपदा के संकेत मिलने लगे हैं, यह आपदा वनाग्नि से जुड़ी है. जी हां राज्य में जिस तरह जंगलों की आग अपने पैर फैला रही है, उससे आने वाले दिनों में एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है.

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वनाग्नि की घटनाएं

देहरादून: यूं तो हर साल प्रदेश इस आपदा से दो-चार होता है, लेकिन वन महकमा न तो कभी इन आग की घटनाओं के वजहों की तह तक पहुंच पाया है और न ही इसके समाधान की तरफ एक भी कदम बढ़ा पाया है. लिहाजा सवाल उठना लाजमी है कि वनाग्नि की घटनाएं महज आपदा है या फिर इसके पीछे कोई बड़ी साजिश. बहरहाल मौजूदा स्थिति ये है कि पिछले डेढ़ महीने में ही अबतक करीब 215 हेक्टेयर जंगल आग की लपटों में आ चुके हैं.

उत्तराखंड में फायर सीजन शुरू होते ही जंगलों में आग का तांडव दिखने लगी है, दिनों दिन आग की घटनाओं में तेजी से इजाफा भी हो रहा है. चिंता की बात यह है कि वन विभाग के पास कागजों में इसका प्लान तो है लेकिन समाधान नहीं. वैसे इसका समाधान महकमें के बस की बात नहीं दिखाई दे रहा. ऐसा इसलिए क्योंकि, आग की ये घटनाएं हो कैसी रही है. इस पर ही विभाग खुद सवालों के घेरे में हैं.

उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाएं.
पढ़ें-
देहरादून: सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में लगी भीषण आग, कड़ी मशक्कत के बाद पाया गया काबू

वैसे आपको बता दें कि जंगलों में आग लगने की दो वजह मानी जाती है, पहला प्राकृतिक और दूसरा इंसानों द्वारा लगाई गई आग. ज्यादातर घटनाओं के पीछे लोग ही वजह माने जाते हैं, लेकिन वन विभाग ने इतने सालों में ऐसी घटनाओं के लिए कितने मुकदमे दर्ज किए और कितने लोगों को जेल भेजा, वह विभाग के आंकड़ों देखकर ही समझा जा सकता है. क्योंकि आंकड़े बताते हैं कि या तो वन विभाग बेहद लापरवाह है या फिर इन आग की घटनाओं के पीछे दाल में कुछ काला जैसा है.

Forest fire
उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाएं.

दरअसल, आग लगने की घटनाएं वन पंचायत के जंगलों की बजाय आरक्षित वनों में ज्यादा दिखाई देती है. ऐसे भी एक सवाल यह उठता है कि वन क्षेत्रों में प्लांटेशन को लेकर जो गड़बड़ी के सवाल उठते रहे हैं, कहीं इन आग की घटनाओं का उससे कोई सीधा कनेक्शन तो नहीं. वैसे तो यह जांच का विषय है, लेकिन पहले आप ये जानिए कि उत्तराखंड में पिछले डेढ़ महीने में आग लगने की घटनाओं को लेकर क्या आंकड़ा रहा.
पढ़ें- अल्मोड़ा के रवि ने तैयार की आग बुझाने वाली अनोखी मशीन, वनों को बचाने में आएगी काम

ये आंकड़े जाहिर करते हैं कि वन पंचायत क्षेत्रों में जहां स्थानीय लोगों की मौजूदगी ज्यादा होती है, वहां पर आग की घटना कम हो रही है और संरक्षित क्षेत्र जहां लोगों की जाने पर पाबंदी है और वन विभाग का अमला भी तैनात रहता है, ऐसे क्षेत्रों में आग की घटनाएं ज्यादा लग रही है.
पढ़ें- हल्‍द्वानी के ग्रामीण इलाके में बाघ के बाद तेंदुए का आतंक, वन कर्मियों के छुड़ाए पसीने

वन पंचायत परिषद के पूर्व अध्यक्ष विरेंद्र बिष्ट का मानना है कि जंगलों में आग की घटनाओं की बड़ी वजह वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही है. कई बार तो देखने में आया है कि जहां एक बार आग लग चुकी है, वहीं पर फिर आग की घटना देखने को मिलती है. इसके पीछे के बड़ा कारण यहीं है कि वन विभाग द्वारा पूर्व के कार्यक्रम को ठीक से धरातल पर इंप्लीमेंट नहीं किया जाता है.

वन विभाग में बड़े स्तर पर होने वाला पौधरोपण हमेशा सवालों के घेरे में रहा है. आरोप लगते रहे हैं कि पौधरोपण के नाम पर महकमे में काफी कुछ गलत हो जाता है, लेकिन यह कैसी प्रक्रिया है, जिसे पकड़ पाना काफी मुश्किल होता है. उधर जंगलों में लगने वाली आग से बड़ी मात्रा में नया पौधरोपण भी जलकर खाक हो जाता है और इन्हीं घटनाओं के कारण कुछ लोग इस बात की भी आशंका जताते हैं कि कहीं आग की यह घटनाएं कोई साजिश ना हो.

बहरहाल इन परिस्थितियों के बीच वन मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं कि विभाग की तरफ से सभी तैयारियों को किया गया है और इसके लिए उपकरणों का भी इस्तेमाल किया जाता है. मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं समय से सूचनाएं मिलें, इसके लिए भी व्यवस्थाएं की गई है.

देहरादून: यूं तो हर साल प्रदेश इस आपदा से दो-चार होता है, लेकिन वन महकमा न तो कभी इन आग की घटनाओं के वजहों की तह तक पहुंच पाया है और न ही इसके समाधान की तरफ एक भी कदम बढ़ा पाया है. लिहाजा सवाल उठना लाजमी है कि वनाग्नि की घटनाएं महज आपदा है या फिर इसके पीछे कोई बड़ी साजिश. बहरहाल मौजूदा स्थिति ये है कि पिछले डेढ़ महीने में ही अबतक करीब 215 हेक्टेयर जंगल आग की लपटों में आ चुके हैं.

उत्तराखंड में फायर सीजन शुरू होते ही जंगलों में आग का तांडव दिखने लगी है, दिनों दिन आग की घटनाओं में तेजी से इजाफा भी हो रहा है. चिंता की बात यह है कि वन विभाग के पास कागजों में इसका प्लान तो है लेकिन समाधान नहीं. वैसे इसका समाधान महकमें के बस की बात नहीं दिखाई दे रहा. ऐसा इसलिए क्योंकि, आग की ये घटनाएं हो कैसी रही है. इस पर ही विभाग खुद सवालों के घेरे में हैं.

उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाएं.
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वैसे आपको बता दें कि जंगलों में आग लगने की दो वजह मानी जाती है, पहला प्राकृतिक और दूसरा इंसानों द्वारा लगाई गई आग. ज्यादातर घटनाओं के पीछे लोग ही वजह माने जाते हैं, लेकिन वन विभाग ने इतने सालों में ऐसी घटनाओं के लिए कितने मुकदमे दर्ज किए और कितने लोगों को जेल भेजा, वह विभाग के आंकड़ों देखकर ही समझा जा सकता है. क्योंकि आंकड़े बताते हैं कि या तो वन विभाग बेहद लापरवाह है या फिर इन आग की घटनाओं के पीछे दाल में कुछ काला जैसा है.

Forest fire
उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाएं.

दरअसल, आग लगने की घटनाएं वन पंचायत के जंगलों की बजाय आरक्षित वनों में ज्यादा दिखाई देती है. ऐसे भी एक सवाल यह उठता है कि वन क्षेत्रों में प्लांटेशन को लेकर जो गड़बड़ी के सवाल उठते रहे हैं, कहीं इन आग की घटनाओं का उससे कोई सीधा कनेक्शन तो नहीं. वैसे तो यह जांच का विषय है, लेकिन पहले आप ये जानिए कि उत्तराखंड में पिछले डेढ़ महीने में आग लगने की घटनाओं को लेकर क्या आंकड़ा रहा.
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ये आंकड़े जाहिर करते हैं कि वन पंचायत क्षेत्रों में जहां स्थानीय लोगों की मौजूदगी ज्यादा होती है, वहां पर आग की घटना कम हो रही है और संरक्षित क्षेत्र जहां लोगों की जाने पर पाबंदी है और वन विभाग का अमला भी तैनात रहता है, ऐसे क्षेत्रों में आग की घटनाएं ज्यादा लग रही है.
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वन पंचायत परिषद के पूर्व अध्यक्ष विरेंद्र बिष्ट का मानना है कि जंगलों में आग की घटनाओं की बड़ी वजह वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही है. कई बार तो देखने में आया है कि जहां एक बार आग लग चुकी है, वहीं पर फिर आग की घटना देखने को मिलती है. इसके पीछे के बड़ा कारण यहीं है कि वन विभाग द्वारा पूर्व के कार्यक्रम को ठीक से धरातल पर इंप्लीमेंट नहीं किया जाता है.

वन विभाग में बड़े स्तर पर होने वाला पौधरोपण हमेशा सवालों के घेरे में रहा है. आरोप लगते रहे हैं कि पौधरोपण के नाम पर महकमे में काफी कुछ गलत हो जाता है, लेकिन यह कैसी प्रक्रिया है, जिसे पकड़ पाना काफी मुश्किल होता है. उधर जंगलों में लगने वाली आग से बड़ी मात्रा में नया पौधरोपण भी जलकर खाक हो जाता है और इन्हीं घटनाओं के कारण कुछ लोग इस बात की भी आशंका जताते हैं कि कहीं आग की यह घटनाएं कोई साजिश ना हो.

बहरहाल इन परिस्थितियों के बीच वन मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं कि विभाग की तरफ से सभी तैयारियों को किया गया है और इसके लिए उपकरणों का भी इस्तेमाल किया जाता है. मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं समय से सूचनाएं मिलें, इसके लिए भी व्यवस्थाएं की गई है.

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