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वन्यजीवों को दुर्घटनाओं से बचाने के लिए हरकत में आया विभाग - उत्तराखंड न्यूज

बीते 18 सालों के भीतर 63 हाथियों की मौत दुर्घटनाओं में हो चुकी है जबकि 13 हाथी ट्रेन एक्सीडेंट में मारे जा चुके हैं. 41 तेंदुए सड़क दुर्घटना की वजह से अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं तो वही 6 तेंदुओं की मौत ट्रेन एक्सीडेंट की वजह से हुई हैं.

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Published : Feb 11, 2019, 7:03 PM IST

देहरादून: प्रदेश में बीते कुछ सालों में हुई वन्यजीवों का मौत को लेकर अब विभाग हरकत में आ गया है. विभाग ने अब वन्यजीवों को सड़क और रेल दुर्घटनाओं से बचाने के लिए कमर कस ली है. बीते 18 सालों में इन दुर्घटनाओं में बड़े पैमाने पर वन्य जीवों की मौत हुई हैं. साल 2018 में 63 हाथियों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हो चुकी है, जबकि, 13 हाथी ट्रेन की चपेट में आकर मारे जा चुके हैं.

उत्तराखंड वन बाहुल्य प्रदेश माना जाता है. इसके अलावा राज्य में कॉर्बेट और राजाजी जैसी राष्ट्रीय पार्क मौजूद है. जिनमें जंगली जानवरों की अच्छी खासी तादात है और इन वन्यजीवों को को देखने के लिए साल भर यहां पार्कों में पर्यटकों का तांता लगा रहता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते 18 सालों में 128 तेंदुए दुर्घटनाओं का शिकार हुए हैं. जिसमें से 41 की मौत सड़क दुर्घटना की वजह से हुई है. जबकि, 6 तेंदुए ट्रेन एक्सीडेंट में मारे गए है. वहीं, इसी दौरान 17 टाइगर भी अलग-अलग दुर्घटनाओं में मारे गए है. लिहाजा, वन विभाग ने अब इन दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए फुल प्रूफ प्लान तैयार किया है.

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वन संरक्षक मोनीष मलिक
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पढ़ें- 10 मई को विधि-विधान के साथ खुलेंगे भविष्य बदरी के कपाट

इस मामले में राज्य के प्रमुख वन संरक्षक (वन्य जीव ) मोनीष मलिक ने बताया कि विभाग वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है. इसी कड़ी में वन्यजीवों को दुर्घटनाओं और अवैध शिकारियों से बचाने के लिए वन विभाग लगातार निगरानी करता रहता है. जिन ट्रैक पर जानवरों की आवाजाही अधिक है. वहां पर एहतियातन वनकर्मियों को तैनात किया गया है. ताकि, इन दुर्घटनाओं में कमी आ सके.

प्रमुख वन संरक्षक का कहना है कि ऐसी परिस्थितियो में वन विभाग संबंधित स्टेशन मास्टर को ट्रेन की गति धीमी या रोकने की सूचना देता है. जिससे ट्रैक पार कर रहे जानवर आसानी से इधर-उधर जा सके. इसके अलावा सड़क और हाई-वे में स्पीड ब्रेकर्स का निर्माण कराया गया है. जहां वन्यजीवों की गतिविधि अधिक है. साथ ही वन्य जीवों को शिकारियों के बचाने के लिए भी पुख्ता कदम उठाए गए हैं.

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देहरादून: प्रदेश में बीते कुछ सालों में हुई वन्यजीवों का मौत को लेकर अब विभाग हरकत में आ गया है. विभाग ने अब वन्यजीवों को सड़क और रेल दुर्घटनाओं से बचाने के लिए कमर कस ली है. बीते 18 सालों में इन दुर्घटनाओं में बड़े पैमाने पर वन्य जीवों की मौत हुई हैं. साल 2018 में 63 हाथियों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हो चुकी है, जबकि, 13 हाथी ट्रेन की चपेट में आकर मारे जा चुके हैं.

उत्तराखंड वन बाहुल्य प्रदेश माना जाता है. इसके अलावा राज्य में कॉर्बेट और राजाजी जैसी राष्ट्रीय पार्क मौजूद है. जिनमें जंगली जानवरों की अच्छी खासी तादात है और इन वन्यजीवों को को देखने के लिए साल भर यहां पार्कों में पर्यटकों का तांता लगा रहता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते 18 सालों में 128 तेंदुए दुर्घटनाओं का शिकार हुए हैं. जिसमें से 41 की मौत सड़क दुर्घटना की वजह से हुई है. जबकि, 6 तेंदुए ट्रेन एक्सीडेंट में मारे गए है. वहीं, इसी दौरान 17 टाइगर भी अलग-अलग दुर्घटनाओं में मारे गए है. लिहाजा, वन विभाग ने अब इन दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए फुल प्रूफ प्लान तैयार किया है.

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वन संरक्षक मोनीष मलिक
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पढ़ें- 10 मई को विधि-विधान के साथ खुलेंगे भविष्य बदरी के कपाट

इस मामले में राज्य के प्रमुख वन संरक्षक (वन्य जीव ) मोनीष मलिक ने बताया कि विभाग वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है. इसी कड़ी में वन्यजीवों को दुर्घटनाओं और अवैध शिकारियों से बचाने के लिए वन विभाग लगातार निगरानी करता रहता है. जिन ट्रैक पर जानवरों की आवाजाही अधिक है. वहां पर एहतियातन वनकर्मियों को तैनात किया गया है. ताकि, इन दुर्घटनाओं में कमी आ सके.

प्रमुख वन संरक्षक का कहना है कि ऐसी परिस्थितियो में वन विभाग संबंधित स्टेशन मास्टर को ट्रेन की गति धीमी या रोकने की सूचना देता है. जिससे ट्रैक पार कर रहे जानवर आसानी से इधर-उधर जा सके. इसके अलावा सड़क और हाई-वे में स्पीड ब्रेकर्स का निर्माण कराया गया है. जहां वन्यजीवों की गतिविधि अधिक है. साथ ही वन्य जीवों को शिकारियों के बचाने के लिए भी पुख्ता कदम उठाए गए हैं.

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प्रदेश में बहुमूल्य वन्यजीवों को सड़क दुर्घटनाओ और रेल दुर्घटनाओं से बचाने के लिए विभाग ने कमर कस ली है। बीते 18 सालों की अगर बात करें तो तो 2018 तक  63 हाथियों की मौत दुर्घटनाओं में हो चुकी है जबकि 13 हाथी ट्रेन एक्सीडेंट में मारे जा चुके हैं। वहीं 18 सालों में 128 तेंदुए दुर्घटनाओं का शिकार हुए हैं। जिसमें 41 तेंदुए सड़क दुर्घटना की वजह से अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं तो वही 6 तेंदुओं की मौत ट्रेन एक्सीडेंट की वजह से हुई हैं। जंगलों की शान बढ़ाने में टाइगरो का विशेष योगदान होता है ऐसे में बीते 18 सालों में 15 टाइगर की मौत दुर्घटना की वजह से हुई है जबकि दो टाइगर फायर एक्सीडेंट की वजह से मौत का ग्रास बन गए हैं बता दें कि उत्तराखंड वन बाउ
बहुल प्रदेश की वजह से भी जाना जाता है। ऐसे में उत्तराखंड प्रदेश में वन्यजीवों को को देखने के लिए 12 महीने पर्यटकों का तांता प्रदेश में लगा रहता है। वन विभाग वन्यजीवों को दुर्घटनाओं से बचाने के सवाल पर उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक (वन्य जीव )मोनीष मलिक ने बताया कि वन विभाग वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है इसी कड़ी में दुर्घटनाओं और अवैध शिकारियों से बचाने के लिए वन विभाग लगातार निगरानी करता रहता है। उन्होंने कहा कि रेलवे लाइन में जो दुर्घटनाएं होती है और अवैध शिकारी वन्यजीवों का शिकार करने के लिए उत्सुक रहते हैं उसके लिए विभाग पूरी तरह से मुस्तैद है। उन्होंने कहा कि रेलवे ट्रेक में अगर वन्य जीव आ रहे हैं तो ऐसी परिस्थिति में वन विभाग संबंधित स्टेशन मास्टर को अविलम्ब वायरलेस के माध्यम से सूचित कर देता है ताकि ट्रेन की गति धीमी या रोकने के आदेश दिये जा सके। हाईवेज में स्पीड ब्रेकर्स का निर्माण करने के आदेश दिए गए हैं ,जिससे जंगली जानवरों के आवागमन के रास्तों पर वाहन चालकों की स्पीड धीमी की जा सके ।
बाइट -मोनीष मलिक,प्रमुख वन संरक्षक,(वन्य जीव)उत्तराखंड।

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