देहरादून: उत्तराखंड में फायर सीजन शुरू होने के साथ ही वन महकमा तैयारियों में जुट गया है. इस बार वन विभाग को वनाग्नि के लिए फूल प्रूफ बनाने की कोशिश की जा रही है. जिसके तहत न केवल अत्याधुनिक उपकरणों को जुटाने की कोशिश है, बल्कि तमाम दूसरे जरूरी कदम भी उठाए जा रहे हैं. इसी में से वनाग्नि प्रबंधन के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना करना भी एक है.
उत्तराखंड में वन विभाग को फायर सीजन के लिए फूल प्रूफ करने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए हाल ही में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वन विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर उन सभी कार्य योजनाओं को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए थे. जिसमें वनों में अग्नि की घटनाओं को रोका जा सकता है. इसके तहत सबसे जरूरी वनों में आग लगने की परिस्थितियों का आकलन और इसे रोकने के लिए वन विभाग के पास जरूरी हाईटेक उपकरणों का होना है. इसी को देखते हुए बैठक में यह फैसला भी लिया गया था कि प्रदेश में फॉरेस्ट फायर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भी खोला जाएगा. इस सेंटर का मकसद वनाग्नि का अध्ययन, इसके कारण और रोकथाम के लिए जरूरी बातों का अध्ययन करना होगा. इसमें वन विभाग को उपकरणों के लिए हादसे फूल प्रूफ करना होगा और विदेशों की तरह ही टूल्स विकसित करना भी होगा. वहीं जागरूक करना और कर्मियों को भी उसको लेकर जानकारी देना सेंटर का मुख्य मकसद रहेगा.
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वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि वनों में आग की घटनाएं बेहद तेजी से बढ़ रही हैं. इसके लिए जरूरी है कि राज्य इसके लिए पहले ही पूरी तरह से तैयारी कर ले. विभाग इस पर लगातार काम कर रहा है और इस तरह के सेंटर बनने के बाद राज्य में ऐसी घटनाओं पर रोकथाम को लेकर बड़ी मदद मिलेगी.
देहरादून वन विभाग ने भी कसी कमर
15 फरवरी से उत्तराखंड में फायर सीजन शुरू हो चुका है. देहरादून वन विभाग ने भी जंगलों को आग से बचाने के लिए अपनी तैयारी पूरी कर ली है. वन अग्नि सप्ताह के दौरान वन विभाग की टीम गांव-गांव जाकर लोगों को वनाग्नि को लेकर उन्हें जागरुक करेंगी. साथ ही गांव के लोगों को आग लगने की सूचना भी तुरंत विभाग को देने के लिए कहा गया है. साथ ही इस बार साफ निर्देश दिए गए है की अगर कोई जंगलों में आग लगाता है तो उसके खिलाफ मुकदमा किया जायेगा. इसके अलावा कुंभ को लेकर भी खासकर ऋषिकेश क्षेत्र के सभी रेंजरों को निर्देशित कर दिया गया है कि सभी क्यूआरटी टीम सतर्क रहें. जिससे कुंभ के दौरान कोई अप्रिय घटना घठित न हो.