देहरादून: उत्तराखंड वन महकमे के विकास को लेकर 5 सूत्रीय बिंदुओं पर काम किया जा रहा है. विभागीय अधिकारियों को उम्मीद है कि इन 5 बिंदुओं पर आगे बढ़कर विभाग को न केवल कार्य दक्षता के लिहाज से बेहतर बनाया जा सकेगा, बल्कि इससे आम लोगों को भी सहूलियतें मिल सकेंगी. विभाग की कोशिश है कि इन पांच बिंदुओं में उन सभी विषयों को जोड़ा जा सके जो कि कर्मचारियों के हितों और विभाग की बेहतरी से जुड़े हुए हैं. उत्तराखंड वन विभाग के क्या हैं वो 5 बिंदु आप भी जानिए...
पहले बिंदु के तहत वन विभाग में सभी रिक्तियों को भरने और कर्मचारियों की कमी को विभाग में दूर करने की कोशिशें की जाएंगी. बता दें कि प्रदेश में वन विभाग में वन रक्षकों की बड़ी संख्या में कमी चल रही है. यही नहीं डिप्टी रेंजर और रेंजर पद पर भी पदोन्नति के कई मामले लटके हुए हैं. इस तरह पहले बिंदु के तहत विभाग में पदोन्नति के सभी मामलों को जल्द से जल्द निपटाने और उसके बाद होने वाली रिक्तियों में सीधी भर्ती के जरिए इन्हें भरने की प्राथमिकता है.
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वन विभाग का दूसरा फोकस विभाग में कर्मचारियों के दक्षता विकास को करना है. दरअसल, जल्द ही वन विभाग को 1218 फॉरेस्ट गार्ड मिलने जा रहे हैं. ऐसे में इन सभी चयनित फॉरेस्ट गार्ड के प्रशिक्षण के लिए तमाम नए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने की कोशिशें की जा रही हैं. इसके तहत कर्मचारियों को प्रशिक्षण देकर उनका दक्षता विकास किया जाएगा.
वन विभाग में तीसरे नंबर पर प्राथमिकता में ढांचागत सुविधाओं को बढ़ाना है. इसमें वन विभाग के तमाम कार्यालय और भवनों के निर्माण तो शामिल हैं, साथ ही अग्निशमन उपकरण, आग की घटनाओं से पहले की तैयारियों की रूपरेखा तैयार करना जानवरों को पकड़ने और तमाम दूसरे जरूरी उपकरणों को लाना शामिल हैं. साथ ही आईटी यानी इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में वन विभाग को सुदृढ़ करना है.
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राज्य में वन विभाग की सीमाओं के पुनर्आकलन कर उन पर फिर से सीमाओं का आकलन करना वन विभाग की चौथी प्राथमिकता है. इसके तहत पहले ही शासन स्तर पर एक समिति तैयार की गई है, यह समिति जल्द ही सीमाओं को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. इस लक्ष्य का मकसद पुरानी व्यवस्थाओं के तहत तय किए गए वन विभाग की सीमाओं के आकलन से हटकर नए हालातों पर नए सीमांकन को करना है.
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वन विभाग अपने पांचवें बिंदु के तहत विभाग के कर्मचारियों के तमाम संघों की मांगों को पूरा करने का प्रयास करेगा. दरअसल, वन विभाग से जुड़े तमाम कर्मचारी पिछले लंबे समय से अपने भत्ते से लेकर पदोन्नति तक के तमाम मसलों को लेकर अधिकारियों के सामने चक्कर काटते रहे हैं. ऐसे में उनकी मांगों के निराकरण को भी बिंदु में शामिल किया गया है.