देहरादूनः उत्तराखंड में 70 फीसदी से ज्यादा हिस्सा वन क्षेत्र है. यही वजह है कि उत्तराखंड को ऑक्सीजन का भंडार भी कहा जाता है, लेकिन कुछ सालों से अवैध रूप से पेड़ों के कटान के मामलों में इजाफा देखा गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 6 महीने के भीतर 1,557 वन अपराध के मामले सामने आए हैं. इनमें से ज्यादातर मामले जंगल से लकड़ियों की चोरी से जुड़े हैं. यानी अवैध कटान या पातन बढ़ा है. वन क्षेत्रों में लगातार हो रहे अवैध खनन के मामलों में भी बढ़ोत्तरी हुई है. इसकी तस्दीक आंकड़े खुद दे रहे हैं. अभी तक अवैध खनन के 357 मामलों में चालान किए जा चुके हैं.
उत्तराखंड में लगातार हो रहे वन अपराध को रोकने और तस्करों पर नकेल कसने में वन विभाग नाकाम नजर आ रहा है. प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल में से 71.05 प्रतिशत वन क्षेत्र है, जो हमेशा से ही तस्करों के निशाने पर रहा है. विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो जंगलों के अवैध कटान के मामले में 50 फीसदी लकड़ी भी विभाग जब्त नहीं कर पाया है. आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 से साल मार्च 2021 तक प्रदेश भर में पेड़ों के अवैध कटान के 3,966 मामले सामने आए हैं. इतना ही नहीं अवैध रूप से काटे गए पेड़ों की लकड़ी 3999.67 घन मीटर आंकी गई. बावजूद इसके वन विभाग मात्र 1779.27 घन मीटर लकड़ी ही जब्त करने में कामयाब हुआ.
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इतना ही नहीं पिछले 6 महीने यानी अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 तक के आंकड़ों पर गौर करें तो कुमाऊं मंडल में 948 मामले वन अपराध से जुड़े सामने आए हैं. जिसमें से सर्वाधिक 266 मामले जंगल से लकड़ी चोरी यानी अवैध पातन, 206 अवैध खनन और चुगान के साथ ही 126 मामले ट्रांजिट नियम के तहत दर्ज किए गए हैं. इसके अलावा अवैध शिकार के नैनीताल वन प्रभाग में पांच और चंपावत वन प्रभाग में एक मामला दर्ज किया गया है. 344 मामले वन अपराध से जुड़े अन्य अपराधों के हैं.
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वहीं, गढ़वाल क्षेत्र में अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 तक के वन अपराधों के आंकड़ों पर गौर करें तो इन 6 महीनों में 478 मामले वन अपराध से जुड़े सामने आए हैं. इनमें से सबसे ज्यादा 133 मामले अवैध खनन और चुगान, 81 मामले अवैध पातन, 62 ट्रांजिट नियम उल्लंघन के साथ ही 59 मामले वृक्ष संरक्षण अधिनियम के तहत दर्ज किए गए हैं. इसके अलावा 143 मामले वन अपराध से जुड़े अन्य अपराधों के भी शामिल हैं. ऐसे में ये आंकड़े बताते हैं कि वन महकमा वन अपराध को रोकने में नाकाम हो रहा है.