देहरादूनः उत्तराखंड में साल दर साल महिला अपराध के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस मुख्यालय ने एक और बड़ा कदम उठाया है. अब दुष्कर्म के घटनाओं में क्षेत्राधिकार न होने के बावजूद भी स्थानीय पुलिस को हर हाल में पीड़िता की सुनवाई कर मुकदमा दर्ज करना अनिवार्य होगा. चाहे मुकदमा जीरो एफआईआर ही क्यों न दर्ज करना पड़े. यह निर्णय पुलिस मुख्यालय की समीक्षा बैठक में लिया गया है.
डीजीपी अनिल रतूड़ी की अध्यक्षता में मंगलवार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक हुई है. जिसमें सभी जिलों को कोरोना महामारी बचाव में इंफोर्समेंट लेवल बढ़ाने के साथ-साथ आगामी दशहरा, दुर्गा पूजा, दीपावली जैसे तमाम त्योहारी कार्यक्रमों में विशेष सुरक्षा व्यवस्था बनाने की आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए. वहीं, दूसरी ओर बराहवफात, वाल्मीकि जयंती और पिरान कलियर समेत पूर्णागिरि मेले जैसे विशेष कार्यक्रमों में कोरोना की गाइडलाइन को हर हाल में लागू करने को कहा है.
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उत्तराखंड में 1519 पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमित, अब तक 2 की मौत
वहीं, डीजीपी रतूड़ी में सभी जिलों में कोरोना वॉरियर्स के रूप में 24 घंटे तत्परता से ड्यूटी देने वाले पुलिसकर्मियों को बधाई भी दी. डीजीपी ने कहा कि इस संकट की घड़ी में पुलिस ने जिस चुनौती और मानवीयता, दृढ़ता और विनम्रता के साथ जनहित में कार्य किया है, वो बेहद काबिले तारीफ है. डीजीपी की मानें तो प्रदेशभर में 1519 पुलिसकर्मी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. हालांकि, उनमें से 1243 पुलिसकर्मी स्वस्थ होकर ड्यूटी पर लौट चुके हैं, लेकिन दो पुलिसकर्मी कोरोना से जान गंवा चुके हैं.
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महिलाओं के प्रति अपराध में न्याय दिलाने के लिए मुकदमा दर्ज करना अनिवार्य: अशोक कुमार
अपराध और कानून व्यवस्था की कमान संभाल रहे अशोक कुमार ने सभी जिलों के पुलिस प्रभारियों को महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के संबंध में पहले से ज्यादा संवेदनशील होकर कड़ी कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए. डीजी अशोक कुमार ने साफ तौर पर पुलिस प्रभारियों को कहा कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध पर तत्काल मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करें. जिससे ज्यादा से ज्यादा पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाया जा सके. बलात्कार से संबंधित शिकायत आने पर क्षेत्राधिकार न होने के बावजूद भी स्थानीय पुलिस को हर हाल में अब एफआईआर दर्ज करनी अनिवार्य होगी.