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उत्तराखंड गठन के 19 साल बाद भी सवाल बरकरार, किसानों की आय दोगुनी कर पाएगी सरकार ?

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Published : Dec 23, 2019, 5:19 PM IST

Updated : Dec 23, 2019, 5:58 PM IST

पांचवें प्रधानमंत्री दिवंगत चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन पर मनाए जाने वाले किसान दिवस पर देखिए स्पेशल रिपोर्ट. राज्य गठन के 19 साल बाद सरकार के सामने प्रश्न बरकार है कि क्या किसानों की आय दोगुनी हो पाएगी?

farmers day 2019
farmers day 2019

देहरादून: किसान देश के अन्नदाता हैं. यही वजह है कि भारत को किसानों का देश कहा जाता है. बावजूद इसके किसानों से जुड़े मुद्दों पर आए दिन आवाज उठती रही है. किसानों के मुद्दों और उनकी समस्याओं को दूर करने को लेकर ही देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन 23 दिसंबर को 'किसान दिवस' के रूप में मनाया जाता है. 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाने का मकसद पूरे देश को ये याद दिलाना है कि अगर किसानों को कोई समस्या होती है तो उसे दूर करना, पूरे देश का दायित्व है. इसके साथ ही किसानों के संवर्धन और संरक्षण के लिए केंद्र और राज्य सरकारें समय-समय पर तमाम योजनाएं चलाती रहती है. आखिर क्या हैं उत्तराखंड राज्य में किसानों से जुड़ी योजनाएं और क्या है किसानों की वास्तविक स्थिति ?

उत्तराखंड गठन के 19 साल बाद भी सवाल बरकरार

उत्तराखंड राज्य की एक बड़ी आबादी किसी न किसी रूप से कृषि पर निर्भर है. 6.98 लाख हेक्टेयर भूमि पर प्रदेश के करीब 6 लाख से अधिक किसान कृषि का काम करते हैं. साल 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग एक पहाड़ी राज्य बनने के बाद प्रदेश में करीब 0.72 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि कमी आयी है. यही नहीं इस भूमि में से करीब 3.18 लाख हेक्टेयर भूमि बंजर और 1.43 लाख हेक्टेयर परती भूमि है. लेकिन वर्तमान में पहाड़ी क्षेत्रों के किसान, न सिर्फ खेती करना छोड़ रहे है बल्कि एक बेहतर जीवन और सुविधाओं की तलाश में पलायन कर रहे हैं. जिसे भविष्य की लिहाज से ठीक नहीं माना जा सकता.

उत्तराखंड राज्य सरकार किसानों को मजबूत और किसानों की आय को बढ़ने को लेकर तमाम योजनाए चला रही है. वर्तमान समय में राज्य सरकार किसानों के लिए नर्सरी एक्ट, आर्गेनिक एग्रीकल्चर एक्ट, मंडी परिषद के माध्यम से किसानों के उत्पादों को खरीदना, हॉर्टिकल्चर के माध्यम से बागवानी उत्पाद को खरीदना और कृषि यंत्रीकरण योजना समेत तमाम योजनाएं राज्य स्तर पर चला रही है.

राज्य में किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाएं

  • दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना
  • किसान सम्मान निधि योजना
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
  • राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना
  • क्रेडिट कार्ड योजना
  • पशुधन बीमा योजना
  • डेयरी उद्ममिता योजना
  • मृदा हेल्थ कार्ड योजना
  • प्रधानमंत्री सिंचाई योजना

कुछ योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी

  • दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना

उत्तराखंड राज्य सरकार ने प्रदेश के छोटे और सीमान्त किसानों को खेती करने में सुविधा देने को लेकर नवंबर 2017 में दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना शुरू की गई थी.

  • किसान कल्याण योजना

प्रदेश के किसानों को वास्तव में कृषि ऋण देने की योजना है. जिसके माध्यम से प्रदेश के किसानों को 2 प्रतिशत ब्याज की दर पर 1 लाख रुपये तक की कर्ज देने की योजना है. यही नहीं खेती के लिए दिए जाने वाले इस लोन को किसानों द्वारा तीन साल में लोन वापस करने की व्यवस्था है. लेकिन प्रदेश सरकार, इस योजना के तहत प्रदेश के किसानों को एक लाख तक का और महिला-पुरुष स्वयं सहायता समूहों को पांच लाख तक का ऋण बिना ब्याज के दे रही है. जिसका मकसद सीमावर्ती क्षेत्रों में कृषि करने वाले किसानों को लाभ देना है, ताकि कृषकों का खेती करने से मोह भंग न हो.

  • किसान सम्मान निधि योजना

देश के किसानों की आय को दोगुनी करने और सम्मान के तहत राशि देने को लेकर फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में किसान सम्मान निधि योजना का शुभारंभ किया था. इस योजना के तहत उत्तराखंड राज्य के करीब डेढ़ लाख छोटे किसानों के बैंक खातों में पहली किश्त के रूप में दो-दो हजार रुपये की सम्मान निधि भेजी गयी थी. इसके साथ ही प्रदेश के करीब 6 लाख किसानों का विवरण भी भेजा गया था, लेकिन इस योजना का लाभ प्रदेश के करीब 4 लाख किसानों को ही मिल पाया है. बाकि बचे किसानों को अभी तक इस योजना का लाभ आवेदक पत्रों में त्रुटियों के चलते नहीं मिल पाया है. उम्मीद की जा रही है कि बचे किसानों को भी किसान सम्मान निधि योजना का लाभ जल्द से जल्द दिया जा सके.

  • प्रधानमंत्री फसल बिमा योजना

उत्तराखंड राज्य में करीब 6 लाख किसान हैं. इस साल प्रदेश के किसानों ने खरीफ और रबी की फसलों को मिलाकर करीब 1 लाख 80 हजार किसानों ने ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ उठाया है. जबकि फसल बीमा का लाभ उठाने वाले किसानों में से 90 फीसदी यानि 1 लाख 62 हजार किसान ऐसे हैं जो किसी बैंक या सहकारी संस्था से खेती करने के लिए लोन लिया है और ये बैंक अनिवार्य रूप से फसलों का बीमा करवाते है. यानि सिर्फ 18 हजार किसानों ने अपनी इच्छा से फसल बीमा करवाया है. अगर प्रदेश के किसानों के आकड़ों पर गौर करें तो करीब 4 लाख 20 हजार किसान फसल बीमा के लाभ से दूर हैं. जबकि राज्य सरकार किसानों को बीमा के प्रीमियम में छूट भी दे रही है. बावजूद इसके प्रदेश के किसान फसल बीमा का पूरी तरह से लाभ नहीं उठा पा रहे हैं.

इसके साथ ही राज्य सरकार, राज्य को ऑर्गेनिक स्टेट बनाने, किसानों को खेती के साथ-साथ पशुपालन, मत्स्यपालन के लिए भी प्रोत्साहन करने, किसानों को खेती के साथ एलाइड सेक्टरों से जोड़ना, चकबंदी और सामूहिक खेती पर कृषकों को बल देना जैसे अहम कार्य कर रही है. इसके साथ ही तमाम योजनाए भी उच्च स्तर पर चलायी जा रही है ताकि प्रदेश के किसान, कृषि में मुंह न फेरकर, राज्य सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं का लाभ उठाते हुए कृषि करे और अपनी आमदनी को भी दोगुना कर सकें.

केंद्र सरकार, साल 2022 तक देश के किसानों की आय को दोगुनी करने को लेकर लगातार तमाम योजनाएं चला रही है. इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार भी प्रदेश के किसानों की आय को दोगुनी करने को लेकर प्रदेश में कई योजनाओं को संचालित कर रही है, ताकि प्रदेश के किसानों की आय को बढ़ाया जा सके और साल 2022 तक प्रदेश के किसानों की आय दोगुनी की जा सके. लेकिन प्रदेश में चलायी जा रही योजनाओं का सही ढंग से किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसकी वजह जो भी हो, लेकिन क्या वाकई प्रदेश के किसानों के लिए चलायी जा रही इन तमाम योजनाओं का लाभ वास्तवमें तय समय सीमा में मिल पायेगा. ये एक बड़ा सवाल है?

देहरादून: किसान देश के अन्नदाता हैं. यही वजह है कि भारत को किसानों का देश कहा जाता है. बावजूद इसके किसानों से जुड़े मुद्दों पर आए दिन आवाज उठती रही है. किसानों के मुद्दों और उनकी समस्याओं को दूर करने को लेकर ही देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन 23 दिसंबर को 'किसान दिवस' के रूप में मनाया जाता है. 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाने का मकसद पूरे देश को ये याद दिलाना है कि अगर किसानों को कोई समस्या होती है तो उसे दूर करना, पूरे देश का दायित्व है. इसके साथ ही किसानों के संवर्धन और संरक्षण के लिए केंद्र और राज्य सरकारें समय-समय पर तमाम योजनाएं चलाती रहती है. आखिर क्या हैं उत्तराखंड राज्य में किसानों से जुड़ी योजनाएं और क्या है किसानों की वास्तविक स्थिति ?

उत्तराखंड गठन के 19 साल बाद भी सवाल बरकरार

उत्तराखंड राज्य की एक बड़ी आबादी किसी न किसी रूप से कृषि पर निर्भर है. 6.98 लाख हेक्टेयर भूमि पर प्रदेश के करीब 6 लाख से अधिक किसान कृषि का काम करते हैं. साल 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग एक पहाड़ी राज्य बनने के बाद प्रदेश में करीब 0.72 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि कमी आयी है. यही नहीं इस भूमि में से करीब 3.18 लाख हेक्टेयर भूमि बंजर और 1.43 लाख हेक्टेयर परती भूमि है. लेकिन वर्तमान में पहाड़ी क्षेत्रों के किसान, न सिर्फ खेती करना छोड़ रहे है बल्कि एक बेहतर जीवन और सुविधाओं की तलाश में पलायन कर रहे हैं. जिसे भविष्य की लिहाज से ठीक नहीं माना जा सकता.

उत्तराखंड राज्य सरकार किसानों को मजबूत और किसानों की आय को बढ़ने को लेकर तमाम योजनाए चला रही है. वर्तमान समय में राज्य सरकार किसानों के लिए नर्सरी एक्ट, आर्गेनिक एग्रीकल्चर एक्ट, मंडी परिषद के माध्यम से किसानों के उत्पादों को खरीदना, हॉर्टिकल्चर के माध्यम से बागवानी उत्पाद को खरीदना और कृषि यंत्रीकरण योजना समेत तमाम योजनाएं राज्य स्तर पर चला रही है.

राज्य में किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाएं

  • दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना
  • किसान सम्मान निधि योजना
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
  • राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना
  • क्रेडिट कार्ड योजना
  • पशुधन बीमा योजना
  • डेयरी उद्ममिता योजना
  • मृदा हेल्थ कार्ड योजना
  • प्रधानमंत्री सिंचाई योजना

कुछ योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी

  • दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना

उत्तराखंड राज्य सरकार ने प्रदेश के छोटे और सीमान्त किसानों को खेती करने में सुविधा देने को लेकर नवंबर 2017 में दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना शुरू की गई थी.

  • किसान कल्याण योजना

प्रदेश के किसानों को वास्तव में कृषि ऋण देने की योजना है. जिसके माध्यम से प्रदेश के किसानों को 2 प्रतिशत ब्याज की दर पर 1 लाख रुपये तक की कर्ज देने की योजना है. यही नहीं खेती के लिए दिए जाने वाले इस लोन को किसानों द्वारा तीन साल में लोन वापस करने की व्यवस्था है. लेकिन प्रदेश सरकार, इस योजना के तहत प्रदेश के किसानों को एक लाख तक का और महिला-पुरुष स्वयं सहायता समूहों को पांच लाख तक का ऋण बिना ब्याज के दे रही है. जिसका मकसद सीमावर्ती क्षेत्रों में कृषि करने वाले किसानों को लाभ देना है, ताकि कृषकों का खेती करने से मोह भंग न हो.

  • किसान सम्मान निधि योजना

देश के किसानों की आय को दोगुनी करने और सम्मान के तहत राशि देने को लेकर फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में किसान सम्मान निधि योजना का शुभारंभ किया था. इस योजना के तहत उत्तराखंड राज्य के करीब डेढ़ लाख छोटे किसानों के बैंक खातों में पहली किश्त के रूप में दो-दो हजार रुपये की सम्मान निधि भेजी गयी थी. इसके साथ ही प्रदेश के करीब 6 लाख किसानों का विवरण भी भेजा गया था, लेकिन इस योजना का लाभ प्रदेश के करीब 4 लाख किसानों को ही मिल पाया है. बाकि बचे किसानों को अभी तक इस योजना का लाभ आवेदक पत्रों में त्रुटियों के चलते नहीं मिल पाया है. उम्मीद की जा रही है कि बचे किसानों को भी किसान सम्मान निधि योजना का लाभ जल्द से जल्द दिया जा सके.

  • प्रधानमंत्री फसल बिमा योजना

उत्तराखंड राज्य में करीब 6 लाख किसान हैं. इस साल प्रदेश के किसानों ने खरीफ और रबी की फसलों को मिलाकर करीब 1 लाख 80 हजार किसानों ने ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ उठाया है. जबकि फसल बीमा का लाभ उठाने वाले किसानों में से 90 फीसदी यानि 1 लाख 62 हजार किसान ऐसे हैं जो किसी बैंक या सहकारी संस्था से खेती करने के लिए लोन लिया है और ये बैंक अनिवार्य रूप से फसलों का बीमा करवाते है. यानि सिर्फ 18 हजार किसानों ने अपनी इच्छा से फसल बीमा करवाया है. अगर प्रदेश के किसानों के आकड़ों पर गौर करें तो करीब 4 लाख 20 हजार किसान फसल बीमा के लाभ से दूर हैं. जबकि राज्य सरकार किसानों को बीमा के प्रीमियम में छूट भी दे रही है. बावजूद इसके प्रदेश के किसान फसल बीमा का पूरी तरह से लाभ नहीं उठा पा रहे हैं.

इसके साथ ही राज्य सरकार, राज्य को ऑर्गेनिक स्टेट बनाने, किसानों को खेती के साथ-साथ पशुपालन, मत्स्यपालन के लिए भी प्रोत्साहन करने, किसानों को खेती के साथ एलाइड सेक्टरों से जोड़ना, चकबंदी और सामूहिक खेती पर कृषकों को बल देना जैसे अहम कार्य कर रही है. इसके साथ ही तमाम योजनाए भी उच्च स्तर पर चलायी जा रही है ताकि प्रदेश के किसान, कृषि में मुंह न फेरकर, राज्य सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं का लाभ उठाते हुए कृषि करे और अपनी आमदनी को भी दोगुना कर सकें.

केंद्र सरकार, साल 2022 तक देश के किसानों की आय को दोगुनी करने को लेकर लगातार तमाम योजनाएं चला रही है. इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार भी प्रदेश के किसानों की आय को दोगुनी करने को लेकर प्रदेश में कई योजनाओं को संचालित कर रही है, ताकि प्रदेश के किसानों की आय को बढ़ाया जा सके और साल 2022 तक प्रदेश के किसानों की आय दोगुनी की जा सके. लेकिन प्रदेश में चलायी जा रही योजनाओं का सही ढंग से किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसकी वजह जो भी हो, लेकिन क्या वाकई प्रदेश के किसानों के लिए चलायी जा रही इन तमाम योजनाओं का लाभ वास्तवमें तय समय सीमा में मिल पायेगा. ये एक बड़ा सवाल है?

Intro:नोट - फीड ftp से भेजी गई है.....
uk_deh_01_farmers_day_vis_7205803


किसान देश के अन्नदाता है यही वजह है कि भारत को किसानों का देश कहा जाता है। बावजूद इसके किसानों से जुड़े मुद्दों पर आये दिन आवाज उठती रही है। किसानो के मुद्दों और उनकी समस्याओ को दूर करने को लेकर ही देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन 23 दिसंबर 1902 को "किसान दिवस" के रूप में मनाया जाता है। यही नहीं इस दिन को किसान दिवस के रूप में मनाने का मकसद पूरे देश को यह याद दिलाना है कि यदि किसानो को कोई समस्या होती है तो उसे दूर करना, पूरे देश का दायित्व है। तो वही किसानो के सम्बर्धन और संरक्षण के लिए केंद्र और राज्य सरकारे समय समय पर तमाम योजंनाये चलती रहती है। आखिर क्या है उत्तराखंड राज्य में किसानो से जुडी योजनाए और क्या है किसानो की वस्तविक स्थिति ? देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट............


Body:उत्तराखंड राज्य की एक बड़ी आबादी किसी न किसी रूप से कृषि पर निर्भर है। और 6.98 लाख हेक्टेयर भूमि पर प्रदेश के करीब 6 लाख से अधिक किसान, किसानी का काम करते है। लेकिन साल 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग एक अलग पहाड़ी राज्य बनने के बाद प्रदेश में करीब 0.72 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि कमी आयी है। यही नहीं इस भूमि में से करीब 3.18 लाख हेक्टेयर भूमि बंजर और 1.43 लाख हेक्टेयर परती भूमि है। लेकिन वर्तमान समय में पहाड़ी क्षेत्रो के किसान, लगातार न सिर्फ खेती करना छोड़ रहे है बल्कि एक बेहतर जीवन और सुविधाओं की तलाश में पलायन कर रहे है। जिसको भविष्य  के लिहाज से ठीक नहीं माना जा सकता हैं।   


उत्तराखंड राज्य सरकार किसानो को मजबूत और किसानो की आय को बढ़ने को लेकर तमाम योजनाए चला रही है। हालांकि वर्तमान समय में राज्य सरकार, राज्य के किसानो के लिए नर्सरी एक्ट, आर्गेनिक एग्रीकल्चर एक्ट, मंडी परिषद् के माध्यम से किसानो के उत्पादों को खरीदना, हॉर्टिकल्चर के माध्यम से बागवानी उत्पाद को खरीदना और कृषि यंत्रीकरण योजना समेत तमाम योजनाए राज्य स्तर पर चला रही है। इसके साथ ही केंद्र सरकार कि "दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना", "किसान सम्मान निधि योजना", "प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना", "राष्ट्रीय कृषि विकास योजना", "राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना", "क्रेडिट कार्ड योजना", "पशुधन बीमा योजना", "डेयरी उद्ममिता योजना", "मृदा हेल्थ कार्ड योजना" और "प्रधानमंत्री सिचाई योजना" समेत कई अन्य योजनाओ को भी राज्य में संचालित किया जा रहा है। ताकि साल 2022 तक किसानो की आय को दोगुनी किया जा सके।  


दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना.........  


उत्तराखंड राज्य सरकार ने प्रदेश के छोटे और सीमान्त किसानों को खेती करने में सुविधा देने को लेकर नवंबर, 2017 में "दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना" शुरू की थी। "किसान कल्याण योजना" प्रदेश के किसानो को वास्तव में कृषि ऋण देने की योजना है। जिसके माध्यम से प्रदेश के किसानों को 2 प्रतिशत ब्याज की दर पर 1 लाख रुपये तक की कर्ज देने की योजना है। यही नहीं खेती के लिए दिए जाने वाले इस लोन को किसानो द्वारा तीन साल में लोन वापस करने की व्यवस्था है। लेकिन प्रदेश सरकार, इस योजना के तहत प्रदेश के किसानों को एक लाख तक का और महिला-पुरुष स्वयं सहायता समूहों को पांच लाख तक का ऋण बिना ब्याज के दे रही है। जिसका मकसद सीमावर्ती क्षेत्रों में कृषि करने वाले किसानो को लाभ देना है ताकि कृषको का खेती करने से मोह भांग न हो।  
 

किसान सम्मान निधि योजना..........

देश के किसानो की आय को दोगुनी करने और सम्मान के तहत राशि देने को लेकर, फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में किसान सम्मान निधि योजना का शुभारंभ किया था। इस योजना के तहत उत्तराखंड राज्य के करीब डेढ़ लाख छोटे किसानों के बैंक खातों में पहली किश्त के रूप में दो-दो  हजार रुपये की सम्मान निधि भेजी गयी थी। इसके साथ ही प्रदेश के करीब 6 लाख किसानो का विवरण भी भेजा गया था। लेकिन इस योजना का लाभ प्रदेश के करीब 4 लाख किसानो को ही मिल पाया है। बाकि बचे किसानो को अभी तक इस योजना का लाभ आवेदक पत्रों में त्रुटियों के चलते नहीं मिल पाया है। हालांकि उम्मीद की जा रही है कि बाकि बचे किसानो को भी "किसान सम्मान निधि योजना" का लाभ जल्द से जल्द दिया जा सके। 


प्रधानमंत्री फसल बिमा योजना.............   

उत्तराखंड राज्य में करीब 6 लाख किसान है, जो खेती का काम करते है। लेकिन इस साल प्रदेश के किसानो ने खरीफ और रबी की फसलों को मिलाकर करीब 1 लाख 80 हज़ार किसानो ने ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ उठाया है। जबकि फसल बीमा का लाभ उठाने वाले किसानो में से 90 फीसदी यानि 1 लाख 62 हज़ार किसान ऐसे है जो किसी बैंक या सहकारी संस्था से खेती करने के लिए लोन लिया है। और ये बैंक अनिवार्य रूप से फसलों का बीमा करवाते है। यानि मात्र 18 हज़ार किसानो ने ही अपनी इच्छा से फसल बीमा करवाया है। और अगर प्रदेश के किसानो के आकड़ो पर गौर करे तो करीब 4 लाख 20 हज़ार किसान फसल बीमा के लाभ से दूर है। जबकि राज्य सरकार किसानो को बीमा के प्रीमियम में छूट भी दे रही है। बावजूद इसके प्रदेश के किसान फसल बीमा का पूरी तरह से लाभ नहीं उठा पा रहे है। 


इसके साथ ही राज्य सरकार, राज्य को ऑर्गेनिक स्टेट बनाने, किसानो को खेती के साथ-साथ पशुपालन, मत्स्यपालन के लिए भी प्रोत्साहन करना, किसानो को खेती के साथ एलाइड सेक्टरों से जोड़ना, चकबंदी और सामूहिक खेती पर कृषकों को बल देना जैसे अहम कार्य कर रही है। इसके साथ ही तमाम योजनाए भी उच्च स्तर पर चलायी जा रही है ताकि प्रदेश के किसान, कृषि में मुँह न फेरकर, राज्य सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं का लाभ उठाते हुए कृषि करे और अपनी आमदनी को भी दोगुना कर सके। 





Conclusion:केंद्र सरकार, साल 2022 तक देश के किसानो की आय को दोगुनी करने को लेकर लगातार तमाम योजनाए चला रही है, इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार भी प्रदेश के किसानो की आय को दोगुनी करने को लेकर प्रदेश में कई योजनाओ को संचालित कर रही है। ताकि प्रदेश के किसानो की आय को बढ़ाया जा सके और साल 2022 तक प्रदेश के किसानो की आय दोगुनी कि जा सके। लेकिन प्रदेश में चलायी जा रही योजनाओ का सही ढंग से किसानो को लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह जो भी हो, लेकिन क्या वाकई प्रदेश के किसानो के लिए चलायी जा रही इन तमाम योजनाओं का लाभ वास्तवमें तय समय सीमा में मिल पायेगा। ये एक बड़ा सवाल है? देहरादून से ईटीवी भारत के लिए रोहित सोनी की रिपोर्ट ......... 
Last Updated : Dec 23, 2019, 5:58 PM IST
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