मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी और आसपास के क्षेत्र में करीब दो माह से बारिश न होने के कारण सूखी ठंड पड़ रही है. जिससे मसूरी और आसपास के काश्तकार काफी मायूस हैं. बारिश ना होने के कारण काश्तकारों की फसलों को भारी नुकसान हो रहा है. स्थानीय काश्तकारों का कहना है कि बारिश ना होने के कारण उनके गेहूं की खड़ी फसल बर्बाद होने के कगार पर है. साथ ही फलों की पैदावार पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और यदि आने वाले कुछ दिनों में बारिश नहीं होती है तो काश्तकारों की फसल चौपट हो जाएगी.
काश्तकार शूरवीर सिंह रौंछेला का कहना है कि बारिश न होने से गेहूं की फसल खराब हो गई है. खेतों में सूखे से दरारें पड़ गई हैं. ऐसे में काश्तकारों बारिश का इंतजार कर रहे हैं, ताकि काश्तकार खेतों को जोत सकें और मटर आदि की नकदी फसल लगा सके. काश्तकारों ने खेतों में गोबर डाल रखा है और बारिश का इंतजार कर रहे हैं, क्योकि बारिश न होने से खेतों की मिट्टी सूख कर पत्थर की तरह हो गई है. उन्होंने कहा कि सभी ग्रामीण इलाकों में लोग खेती पर निर्भर हैं, अगर बारिश नहीं होगी तो परेशानी बढ़ेगी.
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उन्होंने कहा कि बर्फबारी गेहूं की फसल के लिए अच्छी होती है और फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़े मर जाते हैं. लेकिन इस बार खेत सूख रहे हैं, वहीं जंगली जानवर बची खुची फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बारिश और बर्फबारी न होने से सेब, खुमानी,आडू, पुलम आदि की नकदी फसलों को भी नुकसान हो रहा है. इन दिनों की बर्फबारी और बारिश सेब और अन्य फलों के लिए फायदेमंद होती है. लेकिन बारिश और बर्फबारी ना होने से इसका खेती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.