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90 साल की उम्र में साहित्यकार शेखर जोशी का निधन, उत्तराखंड से रहा गहरा नाता - Shekhar Joshi Uttarakhand connection

साहित्यकार शेखर जोशी का गाजियाबाद में निधन हो गया. शेखर जोशी की कई कहानियों अन्य भाषाओं में अनुवाद हो चुका है. शेखर जोशी प्रख्यात साहित्यकार और कथाकार थे, वे अल्मोड़ा जिले के रहने वाले थे.

Famous Hindi Story Writer Shekhar Joshi Passed Away At The Age 90
90 साल की उम्र में साहित्यकार शेखर जोशी का निधन,
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Published : Oct 5, 2022, 5:42 PM IST

देहरादून: प्रख्यात साहित्यकार और कथाकार शेखर जोशी (Literary Shekhar Joshi) का निधन हो गया. शेखर जोशी ने 90 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. शेखर जोशी ने अपने जीवनकाल में दाज्यू, कोसी का घटवार जैसी कई कहानियां लिखीं. शेखर जोशी के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है.

शेखर जोशी (Shekhar Joshi of Almora) का जन्म 10 सितम्बर, 1932 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलिया गांव में हुआ था. शेखर जोशी की प्रारंभिक शिक्षा अजमेर और देहरादून में हुई. इंटरमीडिएट की पढ़ाई के दौरान ही उनका चयन सुरक्षा विभाग में ईएमई अप्रेन्टिसशिप के लिए हो गया. 1986 तक एक सैनिक औद्योगिक प्रतिष्ठान में सेवारत रहने के बाद उन्होंने स्वैच्छिक रूप से पदत्याग दे दिया.

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शेखर जोशी की लिखी कहानियां इतनी प्रसिद्ध रहीं कि उनका अंग्रेजी, रूसी और जापनी समेत कई भाषाओं में अनुवाद भी किया गया. उनकी दाज्यू वाली कहानी पर तो एक फिल्म भी बनाई गई थी. शेखर जोशी की प्रमुख रचनाओं में दाज्यू, कोसी का घटवार, बदबू, मेंटल जैसी कहानियां शामिल हैं. उनकी कहानियों में पहाड़ी जीवन का कठिन संघर्ष, गरीबी, उत्पीड़न, धर्म और जाति में जुड़ी रुढ़ियां जैसे विषय रहे हैं.

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शेखर जोशी की कला इतनी बेमिसाल रही कि उन्हें एक नहीं कई मौकों पर सम्मानित किया गया. साहित्य के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें 1987 महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार, 1995 में साहित्य भूषण दिया गया था. हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें श्रीलाल शुक्ल सम्मान से भी सम्मानित किया था.

देहरादून: प्रख्यात साहित्यकार और कथाकार शेखर जोशी (Literary Shekhar Joshi) का निधन हो गया. शेखर जोशी ने 90 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. शेखर जोशी ने अपने जीवनकाल में दाज्यू, कोसी का घटवार जैसी कई कहानियां लिखीं. शेखर जोशी के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है.

शेखर जोशी (Shekhar Joshi of Almora) का जन्म 10 सितम्बर, 1932 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलिया गांव में हुआ था. शेखर जोशी की प्रारंभिक शिक्षा अजमेर और देहरादून में हुई. इंटरमीडिएट की पढ़ाई के दौरान ही उनका चयन सुरक्षा विभाग में ईएमई अप्रेन्टिसशिप के लिए हो गया. 1986 तक एक सैनिक औद्योगिक प्रतिष्ठान में सेवारत रहने के बाद उन्होंने स्वैच्छिक रूप से पदत्याग दे दिया.

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शेखर जोशी की लिखी कहानियां इतनी प्रसिद्ध रहीं कि उनका अंग्रेजी, रूसी और जापनी समेत कई भाषाओं में अनुवाद भी किया गया. उनकी दाज्यू वाली कहानी पर तो एक फिल्म भी बनाई गई थी. शेखर जोशी की प्रमुख रचनाओं में दाज्यू, कोसी का घटवार, बदबू, मेंटल जैसी कहानियां शामिल हैं. उनकी कहानियों में पहाड़ी जीवन का कठिन संघर्ष, गरीबी, उत्पीड़न, धर्म और जाति में जुड़ी रुढ़ियां जैसे विषय रहे हैं.

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शेखर जोशी की कला इतनी बेमिसाल रही कि उन्हें एक नहीं कई मौकों पर सम्मानित किया गया. साहित्य के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें 1987 महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार, 1995 में साहित्य भूषण दिया गया था. हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें श्रीलाल शुक्ल सम्मान से भी सम्मानित किया था.

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