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बेटे की एक झलक पाने की चाह में पथराई माता-पिता की आंखें, मां- बोली एक बार दिखा दो चेहरा

मात्र 25 साल की उम्र में अपने जवान बेटे को खोने के बाद उसकी आखिरी झलक पाने की आस में कमलेश के माता-पिता की आंखे पथरा गई हैं. परिजनों ने सरकार से जल्द कमलेश के शव को भारत लाने की मांग की है.

demanding to bring Kamlesh's body back from Dubai
वतन वापसी की आस में कमलेश का शव
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Published : Apr 25, 2020, 8:41 PM IST

Updated : Apr 25, 2020, 9:02 PM IST

देहरादून: लॉकडाउन ने दुनिया पर ऐसी पाबंदियां लगाई है, जिसकी वजह से एक मां-पिता अपने मृत बेटे के शरीर को देखने के लिए तरस गए हैं. टिहरी के लाल कमलेश का पार्थिव शरीर पिछले 10 दिनों से अपनी मातृभूमि में मिलने का इंतज़ार कर रहा है.

इस संकट की घड़ी में मां-पिता का कलेजा दुखों का पहाड़ उठाते-उठाते छलनी होता जा रहा है. लेकिन लॉकडाउन के ताले में बंद मानवीय संवेदनाएं भी इसकी चाभी नही ढूंढ पा रही हैं. ईटीवी भारत की टीम से कमलेश के चचेरे भाई ने पूरे घटनाक्रम को बयां किया.

वतन वापसी की आस में कमलेश का शव

ये भी पढ़ें: CORONA: उत्तराखंड को लेकर सीएम त्रिवेंद्र ने लिए 4 बड़े फैसले, 9 पहाड़ी जिलों के अस्पतालों में देखे जाएंगे मरीज

कमलेश के चचेरे भाई विमलेश के मुताबिक टिहरी के सेमवाल गांव निवासी कमलेश दुबई में काम करते थे. बीते 16 अप्रैल को को हार्ट अटैक की वजह से उसकी मौत होना बताया गया. सरकार से लाख मिन्नतें करने के बाद बेहद मुश्किल से कमलेश के शव को भारत लाया गया. लेकिन भारत सरकार के अधिकारियों की अमानवीय व्यवहार के चलते शव को दोबारा दुबई भेज दिया गया.

कमलेश की मृत्यु हुए 10 दिन बीत गए हैं और उसका शव अपनी देश की मिट्टी में मिलने का इंतजार कर रहा है. कमलेश के मां-पिता अपने लाल की एक झलक पाने को बेताब हैं.

विमलेश बताते हैं कि कमलेश का परिवार अंत्योदय श्रेणी का है और आर्थिक रूप से बेहद कमजोर है. ऐसे में राज्य सरकार को कमलेश के शव को पैतृक गांव पहुंचाना चाहिए और पीड़ित परिवार की मदद भी करनी चाहिए. लेकिन अभी तक प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा सका है.

बेटे की एक झलक पाने की चाह में पथराई माता-पिता की आंखें, मां- बोली एक बार दिखा दो चेहरा

देहरादून: लॉकडाउन ने दुनिया पर ऐसी पाबंदियां लगाई है, जिसकी वजह से एक मां-पिता अपने मृत बेटे के शरीर को देखने के लिए तरस गए हैं. टिहरी के लाल कमलेश का पार्थिव शरीर पिछले 10 दिनों से अपनी मातृभूमि में मिलने का इंतज़ार कर रहा है.

इस संकट की घड़ी में मां-पिता का कलेजा दुखों का पहाड़ उठाते-उठाते छलनी होता जा रहा है. लेकिन लॉकडाउन के ताले में बंद मानवीय संवेदनाएं भी इसकी चाभी नही ढूंढ पा रही हैं. ईटीवी भारत की टीम से कमलेश के चचेरे भाई ने पूरे घटनाक्रम को बयां किया.

वतन वापसी की आस में कमलेश का शव

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कमलेश के चचेरे भाई विमलेश के मुताबिक टिहरी के सेमवाल गांव निवासी कमलेश दुबई में काम करते थे. बीते 16 अप्रैल को को हार्ट अटैक की वजह से उसकी मौत होना बताया गया. सरकार से लाख मिन्नतें करने के बाद बेहद मुश्किल से कमलेश के शव को भारत लाया गया. लेकिन भारत सरकार के अधिकारियों की अमानवीय व्यवहार के चलते शव को दोबारा दुबई भेज दिया गया.

कमलेश की मृत्यु हुए 10 दिन बीत गए हैं और उसका शव अपनी देश की मिट्टी में मिलने का इंतजार कर रहा है. कमलेश के मां-पिता अपने लाल की एक झलक पाने को बेताब हैं.

विमलेश बताते हैं कि कमलेश का परिवार अंत्योदय श्रेणी का है और आर्थिक रूप से बेहद कमजोर है. ऐसे में राज्य सरकार को कमलेश के शव को पैतृक गांव पहुंचाना चाहिए और पीड़ित परिवार की मदद भी करनी चाहिए. लेकिन अभी तक प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा सका है.

Last Updated : Apr 25, 2020, 9:02 PM IST
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