देहरादून: उत्तराखंड में 18 अगस्त को आई आपदा का सबसे ज्यादा असर उत्तरकाशी जिले के आराकोट, माकुड़ी, बागड़ा जैसे गांव में हुआ है. प्रशासन के मुताबिक 30 से ज्यादा घायलों को उपचार के लिए अस्पताल लाया गया है. उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना को जिसने भी देखा उसकी रूह कांप गई. उत्तरकाशी से देहरादून अस्पताल पहुंचे घायलों से ईटीवी भारत ने जाना कि आखिर वो मंजर कैसा था.
अब तक छह घायलों को एयरलिफ्ट करके देहरादून के दून अस्पताल में लाया गया है. जहां पर डॉक्टरों की देखरेख में उनका इलाज चल रहा है. आराकोट के रहने वाले सोहनलाल बताते हैं कि जिस वक्त ये घटना हुई उस समय वह अपने परिवार के साथ अपनी नाती के साथ थे. इतने में अचानक से एक सैलाब आया. थोड़ी देर में ही सैलाब के साथ पत्थर, बालू और बड़े-बड़े पेड़ भी आने लगे. पानी को आता देख पूरा परिवार सुरक्षित स्थान पर भागा, लेकिन इतने में पहाड़ों से पत्थरों का गिरना शुरू हो गया.
सोहन लाल ने बताया कि जब तक वह कुछ समझ पाते तब तक उनकी पत्नी के उनकी नाती अचानक हाथ से छूटकर पानी की लहरों में समा गईं. उसके बाद उन्होंने जो देखा वह बेहद ही भयावह था. उनका कहना है कि उनके सामने ही 4 से 5 लोगों के ऊपर पत्थरों की बरसात हो गई, जिसमें वे सभी लोग दब गए थे. जिन घायलों को अस्पताल लाया जा रहा है उनकी अलग-अलग कहानियां है ऐसी ही एक कहानी को याद करके राजेंद्र की भी रूह कांप जाती है.
राजेंद्र ने बताया कि वह त्यूणी से ऊपर गाड़ी लेकर गए थे. उनके साथ उनके चाचा भी मौजूद थे. उनकी गाड़ी के आगे और पीछे लगभग 25 से 30 गाड़ियां चल रही थी. तभी अचानक से बादल फटा और पानी का एक सैलाब गाड़ियों की तरफ आने लगा. बमुश्किल उन्होंने अपनी और अपने चाचा की जान बचाई, लेकिन जब उन्होंने पीछे पलटकर देखा. तो लगभग 5 से 6 गाड़ियां पानी में बह गई थीं. राजेंद्र ने बताया कि जिस वक्त यह हादसा हुआ, उस वक्त जो लोग गाड़ियों में सवार थे, उन्होंने गाड़ी से बाहर निकलने का मौका नहीं मिला.