डोईवालाः रानीपोखरी पुल टूटने के बाद भले ही मुख्यमंत्री धामी और मंत्री सतपाल महाराज की ओर से जांच के आदेश दे दिए गए हों, लेकिन इस पुल को लेकर ऐसी तस्वीरें भी सामने आईं हैं, जो साफ बयां कर रही है कि किस तरीके से सारे नियम कानून ताक पर रखकर पुल के नीचे से खनन सामग्री उठाई गई. इतना ही नहीं भारी भरकम गड्ढे़ भी पुल के नीचे कर दिए गए थे. ऐसे में पूरे मामले में लोनिवि अधिकारियों की मिलीभगत सामने आ रही है.
दरअसल, ईटीवी भारत के पास दिसंबर 2020 की कुछ ऐसी तस्वीरें हैं, जो रानीपोखरी पुल के टूटने के कारण को पुख्ता कर रही है. लोक निर्माण विभाग की ओर से पुल को बचाने के लिए ब्लॉक और सुरक्षा दीवार बनाई गई थी. इसके लिए खनन सामग्री पुल के नीचे से ही उठाई गई थी. ये सारा खेल लोनिवि अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा था. अब भले ही जांच की बात की जा रही हो, लेकिन एक साल पहले ही ठेकेदारों ने पुल की नींव हिला डाली थी. ऐसे में उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी? ये बड़ा सवाल है.
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बता दें कि 27 अगस्त यानी शुक्रवार को देहरादून-ऋषिकेश हाईवे पर रानीपोखरी में पुल का बड़ा हिस्सा टूटकर गिर गया था. जब पुल गिरा उस समय उसके ऊपर वाहन दौड़ रहे थे. पुल का जो हिस्सा टूटा वहां कुछ वाहन फंस गए और कुछ पलट गए. दो छोटे हाथी वाहन के साथ एक और वाहन नीचे फंस गए थे. गनीमत यह रही कि इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई है.
उधर, मुख्यमंत्री धामी ने पुल टूटने की जांच के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही डोईवाला से विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी पुल ध्वस्त होने की घटना पर दुख जताया है. फिलहाल, प्रशासन ने पुल पर आवाजाही को पूरी तरह से बंद कर दिया है. साथ ही जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर बैरिकेडिंग लगाकर आवाजाही रोक दी है.
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कैसे हुआ था हादसा: दरअसल, नदी में बीते दिन से ही भारी मात्रा में पानी आ रहा था. पुल के दोनों किनारों पर पानी जोर से टकरा रहा था. नदी के तेज प्रवाह के कारण पुल के बीच में लगे पुश्ते क्षतिग्रस्त हो गए और पुल ढह गया. ऋषिकेश और देहरादून के मध्य रानीपोखरी में वर्ष 1964 में लोक निर्माण विभाग की ओर से टू लेन पुल का निर्माण कराया गया था. 57 वर्ष पुराना यह पुल ओपन फाउंडेशन पर निर्मित किया गया था. 27 अगस्त की दोपहर जाखन नदी में आई बाढ़ से पुल के दोनों और पिलर क्षतिग्रस्त हो गए थे.