देहरादून: साल 2015 में अस्तित्व में आने के बाद उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) ने तकरीबन 17 हजार सरकार नौकरियों के लिए परीक्षाएं करवाईं लेकिन जल्द ही आयोग विवादों में घिर गया. पेपर लीक और नकल जैसे मामलों के चलते आयोग की खूब छीछालेदर हुई. आयोग से लगातार आ रही गड़बड़ी की खबरों पर खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संज्ञान लिया और आयोग में फैली गड़बड़ियों को जड़ से साफ करने का जिम्मा उठाया. धामी सरकार के निर्देश पर आयोग में नकल और पेपर लीक मामलों में सैकड़ों लोगों पर कार्रवाई हो चुकी है. आयोग के सभी कर्मचारियों को बदला गया है.
UKSSSC में खत्म होगा अनिश्चितता का माहौल: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के चेयरमैन जीएस मर्तोलिया ने ईटीवी भारत से कहा कि उनके द्वारा लगातार सिस्टम को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्हें जब आयोग की जिम्मेदारी दी गई थी, तो उस समय तकरीबन आठ परीक्षाओं पर संशय बना हुआ था. इन सभी आठ परीक्षाओं में नकल और धांधली की शिकायतें थीं. जिस पर तय करना था कि इन शिकायतों का आधार क्या है ? क्या निर्णय लेना है? इसके अलावा तीन भर्तियों पर आज भी एसटीएफ जांच कर रही है.
इस पूरे मामले पर आयोग ने गहन मंथन किया. विशेषज्ञों से बातचीत की गई. विधिक राय ली गई और तय किया गया कि शिकायतों का मजबूत आधार रखने वाली तीन भर्तियों को निरस्त कर इनका दोबारा एग्जाम करवाया जाएगा. इसके अलावा एलटी परीक्षा और रैंकर भर्ती को लेकर शिकायतों का कुछ आधार न मिलने पर उन्हें क्लीन चिट दी गई. इसके अलावा छह अन्य परीक्षाएं ऐसी हैं, जिन्हें फरवरी माह के आखिर तक संपन्न करवा दिया जाएगा. साथ ही उन्होंने बताया कि जो परीक्षाएं दोबारा होनी हैं. वह भी मार्च महीने की शुरुआत में पूरी करवा दी जाएंगी. इस तरह से आयोग को लेकर जो अनिश्चितता की स्थिति है, उसे जल्द ही खत्म कर दिया जाएगा.
अप्रैल में नए अध्याचन भेजेगा आयोग: अपने आगे के कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए जीएस मर्तोलिया ने बताया कि आयोग आज की डेट में अपनी पेंडिंग परीक्षाओं को लेकर के बेहद गंभीर है. उन्होंने बताया कि अभी उनके पास सबसे महत्वपूर्ण कार्य है, तीन रीएग्जाम को मार्च महीने की शुरुआत में करवा दिया जाएगा. स्नातक स्तरीय वन दारोगा और सचिवालय रक्षक परीक्षाएं होनी हैं. 6 एग्जाम के परिणाम निकालने हैं, जो कि फरवरी माह के अंत तक निकाल दिए जाएंगे. इस पूरे सफर को निपटाने के बाद आयोग अपने नए सत्र में नए सिरे से अध्याचन को लेकर अप्रैल से विभागों को लिखना शुरू कर देगा. इस तरह से एक बार फिर से आयोग वापस पटरी पर लौट आएगा. जुलाई से एक बार फिर से नई भर्तियों का दौर शुरू हो पायेगा.
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वन दरोगा भर्ती रीएग्जाम पर मर्तोलिया का जवाब: वन दरोगा भर्ती में अभ्यर्थियों द्वारा चयन होने के बाद दोबारा परीक्षा कराने के विरोध के सवाल पर आयोग के अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया ने कहा कि निश्चित तौर से वह मानते हैं कि जो बच्चे इस परीक्षा में निकल चुके थे, उनके लिए यह मुश्किल समय है. उन्हें दोबारा परीक्षा में बैठना पड़ेगा. उन्हें उम्मीद है कि जो बच्चे मेहनती हैं और जिन्होंने पहले परीक्षा पास की थी. वह इस बार भी बेहतर रिजल्ट लेकर आएंगे.
मर्तोलिया ने कहा कि वन दरोगा भर्ती की परीक्षा के दौरान ही शिकायतें आना शुरू हो गई थी. इस दौरान तकरीबन 350 आपत्तियां सही पाई गईं थी. उसके बाद लगातार इसमें विवाद होता रहा. कुछ लोग न्यायालय की शरण में भी गए. उन्होंने कहा कि तमाम विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया गया कि वन दारोगा भर्ती का दोबारा एग्जाम करवाया जाएगा. उन्होंने मेहनती अभ्यर्थियों को भरोसा दिलाया है कि वह अपनी मेहनत पर विश्वास रखें और वो दोबारा एग्जाम निकालेंगे.
वन दारोगा भर्ती में सेग्रिगेशन नहीं था संभव: वन दरोगा भर्ती में सेग्रीगेशन ना किए जाने के सवाल पर अध्यक्ष मर्तोलिया ने जवाब दिया कि इतनी बड़ी परीक्षा में Segregation की प्रक्रिया करना इतना आसान काम नहीं है. उन्होंने इस बारे में एसटीएफ से भी बातचीत की थी. उन्होंने कहा कि इस परीक्षा में कुछ बच्चे तो बिल्कुल स्पष्ट तौर पर नकल में पाए गए. लेकिन कुछ बच्चों का नकल में सलिप्त होना बेहद संदिग्ध था, जिनकी अधिक जानकारी भी नहीं मिल पा रही है. इस तरह से सेग्रीगेशन करना एक बेहद जटिल क्रिया बनी हुई थी. 50 हजार परिक्षार्थियों का सेग्रिगेशन करना इतना आसान काम नहीं है.
उन्होंने बताया कि फिर पूरे विचार विमर्श के बाद और पुराने फैसलों के मद्देनजर रखते हुए यह फैसला लिया गया कि इस परीक्षा को दोबारा करवाया जाए. वहीं, पूर्व अध्यक्ष द्वारा दिये गए बयान पर कहा कि अगर इस परीक्षा में सेग्रिगेशन की प्रक्रिया संभव थी, तो उन्हें सेग्रिगेशन कर देना चाहिए था. क्योंकि यह परीक्षा उनके कार्यकाल के दौरान की थी.
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केवल एपीयर बच्चों को देना होगा रीएग्जाम: मार्च में होने वाले तीन रीएग्जाम को लेकर मर्तोलिया ने कहा कि दोबारा होने वाली परीक्षाओं में केवल उन्हीं बच्चों को मौका दिया जाएगा, जो कि रद्द हुई परीक्षा में एपीयर हुए थे. यानी कि जिन्होंने उस समय परीक्षा दी थी. वही बच्चे दोबारा परीक्षा देने के लिए योग्य होंगे. यानी पिछली बार डेढ़ लाख में से केवल 50 हजार अभ्यर्थी परीक्षा देने के लिए उपस्थित हुए थे, तो इस बार केवल उन्हीं अभ्यर्थियों को मौका दिया जाएगा.
वहीं, जिन बच्चों ने फिजिकल टेस्ट निकाल दिया था, वह अगर फिर से परीक्षा निकाल देते हैं, तो उन्हें दोबारा फिजिकल टेस्ट देने की जरूरत नहीं पड़ेगी. अगर कोई नया बच्चा परीक्षा निकालता है, तो उसे फिजिकल टेस्ट देना होगा. उन्होंने बताया कि वन दरोगा भर्ती, सचिवालय रक्षक और स्नातक स्तरीय परीक्षा दोबारा होनी है. यह मार्च दूसरे सप्ताह में करवा दी जाएगी. इस परीक्षाओं में सिलेबस चेंज नहीं होगा. यानी वही पिछली परीक्षा वाला सिलेबस ही रहेगा. हालांकि, वन दारोगा का पिछली बार ऑनलाइन एग्जाम था लेकिन इस बार ऑफलाइन किया जाएगा.
दोबारा परीक्षा से बचेगा समय: वन दारोगा भर्ती में एसटीएफ की जांच से पहले ही दोबारा एग्जाम के निर्णय लेने पर उठाए सवाल पर मर्तोलिया ने कहा कि उनके पास इस परिस्थिति से निपटने के लिए दो विकल्प थे. या तो वह एसटीएफ की जांच के भरोसे बैठे रहते, जो कि अगले कितने समय तक चलती इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है. एक विकल्प था कि पूरी परीक्षा को रद्द कर एक बार फिर से पारदर्शी तरीके से परीक्षा करवा दी जाए. उन्होंने कहा कि परीक्षा रद्द करके तत्काल दोबारा परीक्षा करवाने से अभ्यर्थियों को एक बार फिर से जल्द ही मौका मिलेगा. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा बच्चों की भलाई के लिए ही यह फैसला लिया गया है, ताकि बच्चों का महत्वपूर्ण समय जाया ना जाए. तत्काल ही योग्य छात्र को मौका मिल पाए. जो परीक्षा पास ना कर पाएं वह अगली परीक्षा के लिए तैयारी करें.
नकल रोकने के लिए हमें पहचानने होंगे सही लोग: तमाम आयोगों की लाख कोशिशों के बावजूद भी नकल पर लगाम ना लगने और व्यवस्था में मौजूद कुछ तथाकथित बेईमान लोगों की वजह से आयोग पर उठ रहे सवालों पर आखिर विराम कैसे लगेगा? कैसे यह नासूर खत्म होगा? इस सवाल के जवाब में जीएस मर्तोलिया ने कहा कि हमारे पास मशीन का विकल्प हो सकता है, लेकिन व्यक्ति का विकल्प नहीं है. आखिरकार हमें काम व्यक्ति से ही करवाना है, तो हमें जरूरत है, सही व्यक्तियों को पहचानने की.
उन्होंने कहा कि व्यक्ति की ईमानदारी ही इसकी सबसे बड़ी कसौटी है. उन्होंने कहा कि अब हमें व्यक्ति की पहचान करने की जरूरत है, ना कि बेहतर मशीन और बेहतर टेक्नोलॉजी के पीछे भागने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आयोग एक प्रतिष्ठित संस्था है. वह चाहे किसी भी तरह का आयोग हो कोई सा भी आयोग हो, उस पर इस तरह के आक्षेप नहीं लगने चाहिए था. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आयोगों पर लगातार उठ रहे सवालों का बेहतर संज्ञान लिया, ताकि आयोगों पर युवाओं का भरोसा बना रहे. उनकी लगातार कोशिश है कि एक बार फिर से आयोग के भरोसे को स्थापित किया जाए.
आपको बता दें कि 4 विवादित परीक्षाओं को लेकर UKSSSC ने बड़ा फैसला लिया है. एक तरफ सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा को क्लीनचिट दी गयी है, जबकि स्नातक स्तरीय परीक्षा, वन दारोगा और सचिवालय रक्षक में गड़बड़ी पाए जाने के कारण इनको फिर से कराए जाने का फैसला लिया है. कनिष्ठ सहायक, व्यक्तिगत सहायक, पुलिस रैंकर उपनिरीक्षक, कर्मशाला अनुदेशक, वाहन चालक, मत्स्य निरीक्षक और मुख्य आरक्षी दूरसंचार भर्ती पर निर्णय लेने के लिए विधिक राय ली जाएगी.
स्नातक स्तरीय परीक्षा, वन दारोगा परीक्षा और सचिवालय रक्षक परीक्षा में गड़बड़ी होने की बात सामने आई है, जिसके बाद इन तीनों की परीक्षाओं को मार्च के दूसरे सप्ताह में दोबारा कराए जाने का निर्णय लिया गया है. खास बात यह है कि इन तीनों परीक्षाओं में पकड़े गए अभ्यर्थियों को शामिल नहीं होने दिया जाएगा, यही नहीं पूर्व में जिन अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरे थे वही परीक्षार्थी इसमें परीक्षा दे सकेंगे.