चमोली: जोशीमठ भू-धंसाव को लेकर पूरा देश चिंतित है. भारत के ऐतिहासिक शहर में शुमार जोशीमठ आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. जोशीमठ वासी अपने सपनों का आशीयाना छोड़ने को मजबूर हैं. जोशीमठ के इस हालात का जिम्मेदार पावर प्रोजेक्टों को बताया जा रहा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती भी जोशीमठ पहुंची हैं और उन्होंने वहां आपदा प्रभावितों से मुलाकात की. उमा भारती ने उत्तराखंड में विद्युत परियोजनाओं का विरोध किया है. इससे पहले उन्होंने चिंता जताई थी कि टिहरी की तरह देवप्रयाग को डुबोने और गंगा को झील बनाने की तैयारी चल रही है, लेकिन सभी को इसे मिलकर बचाना होगा.
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9. जोशीमठ के वर्तमान संकट से जो भी प्रभावित होने वाले हैं उनके सहयोग के लिए हमारी केंद्र एवं राज्य की सरकार बहुत चिंतित है ही, हम सभी मानव सेवी लोगों को इसमें आगे आना चाहिए एवं जोशीमठ को बचाया जाना चाहिए। @BJP4India @BJP4UK
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10. बाकी की बातें जोशीमठ पहुंच के करूंगी।
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— Uma Bharti (@umasribharti) January 9, 2023
10. बाकी की बातें जोशीमठ पहुंच के करूंगी।9. जोशीमठ के वर्तमान संकट से जो भी प्रभावित होने वाले हैं उनके सहयोग के लिए हमारी केंद्र एवं राज्य की सरकार बहुत चिंतित है ही, हम सभी मानव सेवी लोगों को इसमें आगे आना चाहिए एवं जोशीमठ को बचाया जाना चाहिए। @BJP4India @BJP4UK
— Uma Bharti (@umasribharti) January 9, 2023
10. बाकी की बातें जोशीमठ पहुंच के करूंगी।
जोशीमठ के हालात को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कुछ सवाल भी उठाए हैं. उन्होंने ट्वीट के माध्यम से अपनी चिंता जताते हुए कहा कि, जोशीमठ हम सबके परम गुरु आदि शंकराचार्य की तपस्थली है, उन्होंने अपने जीवन काल में सर्वाधिक समय यहीं बिताया. वैदिक धर्म की पुनर्स्थापना एवं भारतवर्ष की एकता एवं अखंडता की रक्षा की. पर्यावरणविद् जोशीमठ हालात के लिए अलकनंदा-धौलीगंगा पर बन रहे पावर प्रोजेक्ट की टनल को दोषी ठहरा रहे हैं. हमारे मंत्रालय ने 2017 में ही सुप्रीम कोर्ट को दिए गए एफिडेविट में इस प्रोजेक्ट पर आपत्ति जताई थी. पीएमओ में दिनांक 25 फरवरी 2019 को पीएमओ के वरिष्ठतम अधिकारी द्वारा बुलाई गई बैठक में गंगा को संकट में डालने वाले सभी प्रोजेक्ट को लेकर उत्तराखंड के अधिकारियों को फटकार लगाई थी.
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उन्होंने कहा, पावर प्रोजेक्ट केंद्र के हों या राज्य के, उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार के समय पर उत्तराखंड के अधिकारी इन सारे प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए दिल्ली के चक्कर काटते रहते थे. अभी 2 साल पहले चिपको आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी के गांव में रैणी में भी भारी आपदा आई थी, जिसका मलबा इसी टनल में भर गया था. सैकड़ों मजदूर एवं एनटीपीसी के कई वरिष्ठ अधिकारियों की मृत्यु हुई थी.
यदि यह टनल जोशीमठ के इन हालातों के लिए जिम्मेदार बताया रहा है तो, उस समय की सरकार के मुखिया एवं इस प्रोजेक्ट पर जल्दी करने के लिए दिल्ली के चक्कर काटने वाले अधिकारी ही असली अपराधी हैं. अलकनंदा, मंदाकिनी एवं भागीरथी मिलकर ही देवप्रयाग से गंगा बनती हैं. अलकनंदा, गंगा ही हैं. प्रधानमंत्री गंगा के लिए चिंतित रहते हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देशों की अनदेखी करना, हमारे दिए गए एफिडेविट को भी महत्व नहीं देना, विभिन्न पर्यावरणविदों की भी अनदेखी करना, इसकी सजा किसको मिलनी चाहिए?
उमा भारती ने लिखा कि, आदि शंकर द्वारा बचाए गए वैदिक धर्म (हिंदू धर्म) को, जोशीमठ एवं उत्तराखंड के वासियों को या उस समय के इस प्रोजेक्ट की वकालत करने वाले लोगों को, यह एक यक्ष प्रश्न है. जोशीमठ के वर्तमान संकट से जो भी प्रभावित होने वाले हैं उनके सहयोग के लिए हमारी केंद्र एवं राज्य की सरकार बहुत चिंतित है ही, हम सभी मानव सेवी लोगों को इसमें आगे आना चाहिए एवं जोशीमठ को बचाना चाहिए.