ऋषिकेश: मुंबई से वैज्ञानिक मैथ्यू मंगलवार को परमार्थ निकेतन पहुंचे. इस दौरान उन्होंने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मुलाकात की और उनको वेस्ट टू एनर्जी प्रोसेस मशीन के बारे में जानकारी भी दी. उन्होंने बताया कि इस मशीन के माध्यम से हर स्लम प्वांइट को सेल्फी प्वांइट में बदला जा सकता है.
वैज्ञानिक मैथ्यू ने बताया कि वेस्ट टू एनर्जी प्रोसेस में अपशिष्ट से ऊर्जा, अपशिष्ट कचरे के प्राथमिक उपचार से बिजली और गर्मी के रूप में ऊर्जा उत्पन्न करने की प्रक्रिया है. जिसको ध्यान में रखते हुए उन्होंने सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण के अनुकूल 'वेस्ट टू एनर्जी प्रोसेस' मशीन का निर्माण किया है.
मैथ्यू ने कहा कि उनका उद्देश्य सुरक्षा, गुणवत्ता और सेवा करना है. उन्होंने बताया कि उनकी मशीन को कई देश पेटेंट कराना और खरीदना चाहते हैं. उन्होंने मशीन को अभी सिर्फ भारत को ही पेटेन्ट दिया है, क्योंकि इसके माध्यम से बाहर का पैसा भी भारत में ही आयेगा. जिससे हम भारत से गरीबी दूर कर सकते हैं और अपने राष्ट्र को कचरा मुक्त और प्रदूषण मुक्त राष्ट्र बना सकते हैं.
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द ने कहा कि भारत में कचरा प्रबंधन एक बड़ी समस्या है. जिस वेग से हमारे देश की आबादी बढ़ रही है कचरा के पहाड़ भी उतनी तेजी से ऊंचा हो रहा है. वर्तमान में कचरे के ढेरों में सबसे ज्यादा प्लास्टिक दिखायी पड़ता है. उन्होंने कहा कि हमें अब वैज्ञानिक तरीके से कचरे के निस्तारण की आवश्यकता है. तभी वो कचरे के लगते पहाड़ों को कुछ हद तक कम कर सकते हैं.
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उन्होंने कहा कि स्वच्छता को स्वीकार करने का यह तात्पर्य है कि गंदगी को कम करना, न कि कचरे का ढेर लगाना. हम सभी को ध्यान देने की जरूरत है कि आज हमारे देश में कचरे की यह स्थिति है कि हम उससे निपट नहीं पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश का प्रत्येक व्यक्ति केवल अपने कचरे की जिम्मेदारी ले तो यह समस्या अपने-आप हल हो जायेगी, क्योंकि 'मेरा कचरा मेरी जिम्मेदारी' हम सब का यही भाव हो.