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परमार्थ निकेतन पहुंचे वैज्ञानिक मैथ्यू, बोले- हर स्लम प्वाइंट बनेगा सेल्फी प्वाइंट

सेन्जो ग्रुप ऑफ कम्पनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मैथ्यू ने सोमवार को परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद से मुलाकात की. इस दौरान दोनों ने कूड़ा प्रबंधन से संबंधित जानकारियां साझा कीं. इस मौके पर सभी ने पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया.

ऋषिकेश
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Published : Nov 12, 2019, 11:28 AM IST

Updated : Nov 12, 2019, 11:45 AM IST

ऋषिकेश: मुंबई से वैज्ञानिक मैथ्यू मंगलवार को परमार्थ निकेतन पहुंचे. इस दौरान उन्होंने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मुलाकात की और उनको वेस्ट टू एनर्जी प्रोसेस मशीन के बारे में जानकारी भी दी. उन्होंने बताया कि इस मशीन के माध्यम से हर स्लम प्वांइट को सेल्फी प्वांइट में बदला जा सकता है.

वैज्ञानिक मैथ्यू ने बताया कि वेस्ट टू एनर्जी प्रोसेस में अपशिष्ट से ऊर्जा, अपशिष्ट कचरे के प्राथमिक उपचार से बिजली और गर्मी के रूप में ऊर्जा उत्पन्न करने की प्रक्रिया है. जिसको ध्यान में रखते हुए उन्होंने सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण के अनुकूल 'वेस्ट टू एनर्जी प्रोसेस' मशीन का निर्माण किया है.

मैथ्यू ने कहा कि उनका उद्देश्य सुरक्षा, गुणवत्ता और सेवा करना है. उन्होंने बताया कि उनकी मशीन को कई देश पेटेंट कराना और खरीदना चाहते हैं. उन्होंने मशीन को अभी सिर्फ भारत को ही पेटेन्ट दिया है, क्योंकि इसके माध्यम से बाहर का पैसा भी भारत में ही आयेगा. जिससे हम भारत से गरीबी दूर कर सकते हैं और अपने राष्ट्र को कचरा मुक्त और प्रदूषण मुक्त राष्ट्र बना सकते हैं.

परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द ने कहा कि भारत में कचरा प्रबंधन एक बड़ी समस्या है. जिस वेग से हमारे देश की आबादी बढ़ रही है कचरा के पहाड़ भी उतनी तेजी से ऊंचा हो रहा है. वर्तमान में कचरे के ढेरों में सबसे ज्यादा प्लास्टिक दिखायी पड़ता है. उन्होंने कहा कि हमें अब वैज्ञानिक तरीके से कचरे के निस्तारण की आवश्यकता है. तभी वो कचरे के लगते पहाड़ों को कुछ हद तक कम कर सकते हैं.

पढ़ें- हरिद्वारः कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी, जानें क्या है महत्व

उन्होंने कहा कि स्वच्छता को स्वीकार करने का यह तात्पर्य है कि गंदगी को कम करना, न कि कचरे का ढेर लगाना. हम सभी को ध्यान देने की जरूरत है कि आज हमारे देश में कचरे की यह स्थिति है कि हम उससे निपट नहीं पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश का प्रत्येक व्यक्ति केवल अपने कचरे की जिम्मेदारी ले तो यह समस्या अपने-आप हल हो जायेगी, क्योंकि 'मेरा कचरा मेरी जिम्मेदारी' हम सब का यही भाव हो.

ऋषिकेश: मुंबई से वैज्ञानिक मैथ्यू मंगलवार को परमार्थ निकेतन पहुंचे. इस दौरान उन्होंने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मुलाकात की और उनको वेस्ट टू एनर्जी प्रोसेस मशीन के बारे में जानकारी भी दी. उन्होंने बताया कि इस मशीन के माध्यम से हर स्लम प्वांइट को सेल्फी प्वांइट में बदला जा सकता है.

वैज्ञानिक मैथ्यू ने बताया कि वेस्ट टू एनर्जी प्रोसेस में अपशिष्ट से ऊर्जा, अपशिष्ट कचरे के प्राथमिक उपचार से बिजली और गर्मी के रूप में ऊर्जा उत्पन्न करने की प्रक्रिया है. जिसको ध्यान में रखते हुए उन्होंने सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण के अनुकूल 'वेस्ट टू एनर्जी प्रोसेस' मशीन का निर्माण किया है.

मैथ्यू ने कहा कि उनका उद्देश्य सुरक्षा, गुणवत्ता और सेवा करना है. उन्होंने बताया कि उनकी मशीन को कई देश पेटेंट कराना और खरीदना चाहते हैं. उन्होंने मशीन को अभी सिर्फ भारत को ही पेटेन्ट दिया है, क्योंकि इसके माध्यम से बाहर का पैसा भी भारत में ही आयेगा. जिससे हम भारत से गरीबी दूर कर सकते हैं और अपने राष्ट्र को कचरा मुक्त और प्रदूषण मुक्त राष्ट्र बना सकते हैं.

परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द ने कहा कि भारत में कचरा प्रबंधन एक बड़ी समस्या है. जिस वेग से हमारे देश की आबादी बढ़ रही है कचरा के पहाड़ भी उतनी तेजी से ऊंचा हो रहा है. वर्तमान में कचरे के ढेरों में सबसे ज्यादा प्लास्टिक दिखायी पड़ता है. उन्होंने कहा कि हमें अब वैज्ञानिक तरीके से कचरे के निस्तारण की आवश्यकता है. तभी वो कचरे के लगते पहाड़ों को कुछ हद तक कम कर सकते हैं.

पढ़ें- हरिद्वारः कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी, जानें क्या है महत्व

उन्होंने कहा कि स्वच्छता को स्वीकार करने का यह तात्पर्य है कि गंदगी को कम करना, न कि कचरे का ढेर लगाना. हम सभी को ध्यान देने की जरूरत है कि आज हमारे देश में कचरे की यह स्थिति है कि हम उससे निपट नहीं पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश का प्रत्येक व्यक्ति केवल अपने कचरे की जिम्मेदारी ले तो यह समस्या अपने-आप हल हो जायेगी, क्योंकि 'मेरा कचरा मेरी जिम्मेदारी' हम सब का यही भाव हो.

Intro:ऋषिकेश-- परमार्थ निकेतन में मुम्बई महाराष्ट्र से वैज्ञानिक मैथ्यू पंहुचे उन्होने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मुलाकात कर वेस्ट टू एनर्जी प्रोसेस मशीन के बारे में जानकारी प्रदान की।उन्होंने ने कहा कि इस मशीन के माध्यम से हम हर स्लम प्वांइट को सेल्फी प्वांइट में बदल सकते है।


Body:वी/ओ--वेस्ट टू एनर्जी प्रोसेस के अन्तर्गत अपशिष्ट से ऊर्जा-अपशिष्ट कचरे के प्राथमिक उपचार से बिजली और गर्मी के रूप में ऊर्जा उत्पन्न करने की प्रक्रिया है उसी के तहत मुम्बई, महाराष्ट्र से आये वैज्ञानिक मैथ्यू ने सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण के अनुकूल एक ’वेस्ट टू एनर्जी प्रोसेस’ मशीन का निर्माण किया है।वैज्ञानिक और सेन्जो ग्रुप आॅफ कम्पनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मैथ्यू ने कहा कि हम मशीनरी उत्पादों के निर्माण और डिजाइनिंग में दुनिया की अग्रणी कंपनियों में से एक बनाने के लिये प्रतिबद्ध है। हमारा उद्देश्य सुरक्षा, गुणवत्ता और सेवा करना है। मैने जो मशीन बनायी है उसके पेटेन्ट दुनिया के कई देश खरीदना चाहते है परन्तु मैने अपनी मशीन का पेटेन्ट भारत को दिया है क्योकि इसके माध्यम से बाहर का पैसा भी भारत में ही आयेगा। इस प्रकार हम भारत से गरीबी को दूर कर सकते है और अपने राष्ट्र को कचरा मुक्त और प्रदूषण मुक्त राष्ट्र बना सकते है। उन्होने बताया कि छटवी कक्षा तक उन्होने स्कूली शिक्षा प्राप्त की और अब तक लगभग 40 अत्यंत उपयोगी मशीनों का निर्माण कर चुके है। अभी हाल ही में एक ऐसी तकनीक का आविष्कार किया जिसमें उपर छत पर लटका पंखे को बटन दबाते ही नीचे लाया जा सकता है।






Conclusion:वी/ओ--परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द ने कहा कि भारत में कचरा प्रबंधन एक बड़ी समस्या है। जहां देखो वहां पर कचरे के पहाड़ लगे हुये है। जिस वेग से हमारे देश की आबादी बढ़ रही है कचरा के पहाड़ भी उतनी तेजी से उंचे होते जा रहे है। वर्तमान समय में कचरे के ढ़ेरों में सबसे ज्यादा प्लास्टिक दिखायी पड़ता है। उन्होने कहा कि हमें अब वैज्ञानिक तरीके से कचरे के निपटारन की आवश्यकता है तभी हम कचरे के लगते पहाड़ों को कुछ हद तक कम कर सकते है। स्वामी जी ने कहा कि स्वच्छता को स्वीकार करने का यह तात्पर्य है कि गंदगी को कम करना न की कचरे के ढ़ेर लगाना है। हम सभी को ध्यान देने की जरूरत है कि आज हमारे देश में कचरे की यह स्थिति है कि हम उससे निपट नहीं पा रहे तो क्या हमारी आगे आने वाली पीढ़ियाँ इन कचरों के पहाड़ों के साथ कैसे जीवन यापन करेंगी। उन्होने कहा कि देश का प्रत्येक व्यक्ति केवल अपने कचरे की जिम्मेदारी ले तो यह समस्या अपने-आप हल हो जायेगी क्योकि मेरा कचरा मेरी जिम्मेदारी यही भाव हो हम सभी का।उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए खुशखबरी है कि मैथ्यू हमारे साथ मिलकर यह कार्य करेंगे।
Last Updated : Nov 12, 2019, 11:45 AM IST
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