ऋषिकेश: शिवाजी नगर की गली नंबर-19A के पास वन विभाग की एक विवादित भूमि पर यूकेलिप्टिस (Eucalyptus) के पेड़ स्थानीय लोगों के लिए खतरा बन गए हैं. हल्की सी हवा चलने पर पेड़ों की टहनियां टूटकर लोगों के घरों पर गिर रही हैं. वहीं, कुछ दिन पहले घर की छत पर खेल रहे दो मासूम टहनियों के चपेट में आने से बाल-बाल बचे हैं. स्थानीय लोगों ने वन विभाग से पेड़ों का कटान करने की मांग की है.
शिवाजी नगर के पार्षद जयेश राणा के नेतृत्व में स्थानीय लोगों की बैठक हुई. बैठक में वन विभाग के अधिकारियों को भी बुलाया गया. इस दौरान उन्हें अवगत कराया गया कि गली नंबर-19A के पास कई सालों से खाली पड़ी वन विभाग की एक विवादित भूमि पर कई यूकेलिप्टिस के पेड़ खड़े हैं, जिनमें आधे से ज्यादा सूख चुके हैं. हल्की सी हवा चलने पर पेड़ों की टहनियां टूट कर लोगों के घरों की छत पर गिर रही है. करीब 3 महीने पहले सड़क पर चल रहे एक बाइक सवार पर टहनी गिरने का मामला सामने आया था. जिसमें बाइक सवार घायल हुआ था.
वहीं कुछ दिन पहले छत पर खेल रहे मासूमों के ऊपर भी पेड़ की टहनियां गिरने से बची है. तेज तूफान आने पर लोग पेड़ों को देख सहमे हुए नजर आते हैं. कई लोग मजबूरी में घरों को नुकसान पहुंचने की आशंका के मद्देनजर दूसरों के घरों में आसरा लेने को मजबूर होते हैं. कई बार वन विभाग को पेड़ काटने के लिए कहा गया, लेकिन विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है. इन पेड़ों की वजह से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
पार्षद जयेश राणा ने बताया कि जल्द से जल्द वन विभाग को जनहित में पेड़ों का कटान करना चाहिए. स्थानीय लोगों का कहना है कि वह पेड़ों के कटान को लेकर वन विभाग के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष और तमाम जनप्रतिनिधियों से मुलाकात कर चुके हैं. इसके बावजूद उनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है. स्थानीय लोगों ने निर्णय लिया है कि जल्दी ही एकत्रित होकर वन विभाग को फिर से पेड़ काटने के लिए ज्ञापन सौंपा जाएगा.
पढ़ें: गढ़वाल विवि: UG फर्स्ट ईयर की ऑफलाइन क्लास 3 दिसंबर से होगी शुरू
वहीं विवादित भूमि पर अपना हक जमाने वाले देवेंद्र सिंह ने बताया कि 1954 में वन विभाग की इस जमीन का पट्टा लागू हुआ था. जिस पर उनके पिता ने हाई कोर्ट से स्टे लिया हुआ है. उन्होंने कहा कि उनके पिता और उनके बीच भूमि कब्जे को लेकर विवाद चल रहा है. वर्ष 2013 में लिए गए स्टे के अनुसार जमीन पर खड़े यूकेलिप्टिस के पेड़ों का कटान नहीं किया जा सकता. अगर स्थानीय लोगों को परेशानी है तो वह उनके पिता से कागज पर लिखवा कर ले आए और अपने पेड़ों का कटान करवा ले.