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REALITY CHECK 3: सारी सुविधाओं से लैस हैं रैन बसेरे लेकिन वहां तक पहुंचे कैसे?

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Published : Dec 28, 2019, 5:33 PM IST

Updated : Dec 28, 2019, 5:59 PM IST

राजधानी देहरादून में रैन बसेरों पर ईटीवी भारत का रियलिटी चेक शहर के अलग-अलग कोनों में स्थित रैन बसेरों पर किए गए. अब बारी ट्रांसपोर्ट नगर स्थित रेन बसेरे की थी जहां ईटीवी भारत की टीम ने पहुंचकर रैन बसेरे के हालातों का जायजा लिया.

देहरादून की मुख्य न्यूज Patel Nagar's Rain Basera News
रैन बसेरों का रियलिटी चेक

देहरादून: महानगरों की चहल-पहल के बीच एक तबका है जो गरीबी की चादर ओढ़े सर्द रातों में सोया करता है, जो दिनभर मजदूरी कर मुश्किल से दो वक्त की रोटी जुटाते हैं और शाम होते ही फुटपाथ किनारे सो जाते हैं. इनमें से ज्यादातर लोगों का इन्हीं फुटपाथों पर जन्म होता हैं और यहीं से इनका बुलावा आ जाता है. इस पीड़ा को देखते हुआ सरकारें इन गरीबों को सर्द रातों से बचाने के लिये रैन बसेरों के रूप में सोने-रहने की जगह मुहैया कराती है. लेकिन क्या रैन बसेरों का कुछ लाभ इन गरीबों को मिल पा रहा है. क्या सर्द रातों में बेसहारा लोग चैन की नींद सो पा रहे हैं. इन्हीं सब सवालों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने देहरादून के रैन बसेरों का रियलिटी चेक किया.

रैन बसेरों पर ईटीवी भारत का रियलिटी चेक.

देहरादून ईटीवी भारत ब्यूरो ऑफिस से करीब 8 किलोमीटर दूर स्थित ट्रांसपोर्ट नगर में हमारी टीम रैन बसेरों का हालात जानने के लिए रवाना हुई. लेकिन पूरे रास्ते में कहीं भी रैन बसेरे की लोकेशन को लेकर कोई साइन बोर्ड लगा नहीं मिला. किसी तरह ढूंढते हुए टीम एक रैन बसेरे तक पहुंच ही गई लेकिन वहां इमारत पर भी कोई बोर्ड लगा नहीं मिला. हालांकि, रैन बसेरे के बाहर कुछ लोग अलाव सेंकते कड़कड़ाती ठंड से राहत लेने की कोशिश करते हुए दिखाई दिए.

देहरादून की मुख्य न्यूज Patel Nagar's Rain Basera News
रैन बसेरे की इमारत पर नहीं लगा है कोई साइन बोर्ड.

इस सब के बीच रात के 9 बज चुके थे और तापमान भी करीब 8 डिग्री तक पहुंच गया. अब बारी थी रैन बसेरे के अंदर की व्यवस्थाएं जानने की. ईटीवी भारत की टीम जब रैन बसेरे में पहुंची तो यहां साफ-सफाई को लेकर व्यवस्थाएं दुरुस्त दिखाई दी. खुशी की बात यह थी कि यहां न केवल स्वच्छता को लेकर ध्यान दिया गया था बल्कि बेसहाराओं के लिए रजाई गद्दे की भी मुकम्मल व्यवस्था की गई थी.

देहरादून की मुख्य न्यूज Patel Nagar's Rain Basera News
साफ-सफाई की दुरुस्त व्यवस्थाएं.
देहरादून की मुख्य न्यूज Patel Nagar's Rain Basera News
लोगों के सोने के लिए भरपूर है गद्दे और रजाई

बताया गया कि इस रैन बसेरे में करीब 80 से 100 लोगों के रुकने की व्यवस्था मौजूद थी. लेकिन जैसे ही ईटीवी भारत की टीम लोगों के रुकने के लिए बनाए गए कमरों में पहुंची तो हमें वहां के हालात देखकर बेहद हैरानी हुई. यहां दो-चार लोग ही आसरा लेने पहुंचे थे. मामला समझने के लिए हमारी टीम ने वहां ठहरे लोगों से व्यवस्थाओं को लेकर जानकारी ली तो लोगों ने बेहद खुशी के साथ बताया कि रैन बसेरा उनके लिए बेहतर सुविधाएं जुटाए हुए है.

देहरादून की मुख्य न्यूज Patel Nagar's Rain Basera News
रैन बसेरे में 80 से 100 लोगों के रुकने की व्यवस्था है

ये भी पढ़ें: 204 साल पहले अस्तित्व में आई थी पुरानी टिहरी, जन्म से जलमग्न तक की पूरी कहानी

इसके बाद टीम ने रैन बसेरे के मैनेजर से बात की. उन्होंने बताया कि यहां लोग बेहद कम संख्या में आते हैं. हालांकि, व्यवस्थाएं बेहद ज्यादा लोगों के लिए जुटाई गई हैं. यहां बेसहाराओं के सामान को लेकर लॉकर भी रखे गए हैं और यहां आने वाले शख्स की आइडेंटिटी लेने के बाद ही यहां पर जगह दी जाती है लेकिन फिर भी बेसहारा लोग यहां सहारा लेने नहीं पहुंच पाते हैं.

देहरादून की मुख्य न्यूज Patel Nagar's Rain Basera News
लॉकर की व्यवस्था.

कुल मिलाकर ईटीवी भारत की टीम ने पाया कि प्रशासन की तरफ से व्यवस्थाओं को तो जुटाया गया है लेकिन रैन बसेरे का प्रचार-प्रसार ना होने के चलते सभी व्यवस्थाएं बेकार साबित हो रही हैं. उधर, महिलाओं के लिए भी रैन बसेरे में अलग से कोई व्यवस्था देखने को नहीं मिली.

देहरादून: महानगरों की चहल-पहल के बीच एक तबका है जो गरीबी की चादर ओढ़े सर्द रातों में सोया करता है, जो दिनभर मजदूरी कर मुश्किल से दो वक्त की रोटी जुटाते हैं और शाम होते ही फुटपाथ किनारे सो जाते हैं. इनमें से ज्यादातर लोगों का इन्हीं फुटपाथों पर जन्म होता हैं और यहीं से इनका बुलावा आ जाता है. इस पीड़ा को देखते हुआ सरकारें इन गरीबों को सर्द रातों से बचाने के लिये रैन बसेरों के रूप में सोने-रहने की जगह मुहैया कराती है. लेकिन क्या रैन बसेरों का कुछ लाभ इन गरीबों को मिल पा रहा है. क्या सर्द रातों में बेसहारा लोग चैन की नींद सो पा रहे हैं. इन्हीं सब सवालों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने देहरादून के रैन बसेरों का रियलिटी चेक किया.

रैन बसेरों पर ईटीवी भारत का रियलिटी चेक.

देहरादून ईटीवी भारत ब्यूरो ऑफिस से करीब 8 किलोमीटर दूर स्थित ट्रांसपोर्ट नगर में हमारी टीम रैन बसेरों का हालात जानने के लिए रवाना हुई. लेकिन पूरे रास्ते में कहीं भी रैन बसेरे की लोकेशन को लेकर कोई साइन बोर्ड लगा नहीं मिला. किसी तरह ढूंढते हुए टीम एक रैन बसेरे तक पहुंच ही गई लेकिन वहां इमारत पर भी कोई बोर्ड लगा नहीं मिला. हालांकि, रैन बसेरे के बाहर कुछ लोग अलाव सेंकते कड़कड़ाती ठंड से राहत लेने की कोशिश करते हुए दिखाई दिए.

देहरादून की मुख्य न्यूज Patel Nagar's Rain Basera News
रैन बसेरे की इमारत पर नहीं लगा है कोई साइन बोर्ड.

इस सब के बीच रात के 9 बज चुके थे और तापमान भी करीब 8 डिग्री तक पहुंच गया. अब बारी थी रैन बसेरे के अंदर की व्यवस्थाएं जानने की. ईटीवी भारत की टीम जब रैन बसेरे में पहुंची तो यहां साफ-सफाई को लेकर व्यवस्थाएं दुरुस्त दिखाई दी. खुशी की बात यह थी कि यहां न केवल स्वच्छता को लेकर ध्यान दिया गया था बल्कि बेसहाराओं के लिए रजाई गद्दे की भी मुकम्मल व्यवस्था की गई थी.

देहरादून की मुख्य न्यूज Patel Nagar's Rain Basera News
साफ-सफाई की दुरुस्त व्यवस्थाएं.
देहरादून की मुख्य न्यूज Patel Nagar's Rain Basera News
लोगों के सोने के लिए भरपूर है गद्दे और रजाई

बताया गया कि इस रैन बसेरे में करीब 80 से 100 लोगों के रुकने की व्यवस्था मौजूद थी. लेकिन जैसे ही ईटीवी भारत की टीम लोगों के रुकने के लिए बनाए गए कमरों में पहुंची तो हमें वहां के हालात देखकर बेहद हैरानी हुई. यहां दो-चार लोग ही आसरा लेने पहुंचे थे. मामला समझने के लिए हमारी टीम ने वहां ठहरे लोगों से व्यवस्थाओं को लेकर जानकारी ली तो लोगों ने बेहद खुशी के साथ बताया कि रैन बसेरा उनके लिए बेहतर सुविधाएं जुटाए हुए है.

देहरादून की मुख्य न्यूज Patel Nagar's Rain Basera News
रैन बसेरे में 80 से 100 लोगों के रुकने की व्यवस्था है

ये भी पढ़ें: 204 साल पहले अस्तित्व में आई थी पुरानी टिहरी, जन्म से जलमग्न तक की पूरी कहानी

इसके बाद टीम ने रैन बसेरे के मैनेजर से बात की. उन्होंने बताया कि यहां लोग बेहद कम संख्या में आते हैं. हालांकि, व्यवस्थाएं बेहद ज्यादा लोगों के लिए जुटाई गई हैं. यहां बेसहाराओं के सामान को लेकर लॉकर भी रखे गए हैं और यहां आने वाले शख्स की आइडेंटिटी लेने के बाद ही यहां पर जगह दी जाती है लेकिन फिर भी बेसहारा लोग यहां सहारा लेने नहीं पहुंच पाते हैं.

देहरादून की मुख्य न्यूज Patel Nagar's Rain Basera News
लॉकर की व्यवस्था.

कुल मिलाकर ईटीवी भारत की टीम ने पाया कि प्रशासन की तरफ से व्यवस्थाओं को तो जुटाया गया है लेकिन रैन बसेरे का प्रचार-प्रसार ना होने के चलते सभी व्यवस्थाएं बेकार साबित हो रही हैं. उधर, महिलाओं के लिए भी रैन बसेरे में अलग से कोई व्यवस्था देखने को नहीं मिली.

Intro:feed ftp से भेजी है...

note-- रैन बसेरों की रियलिटी चेक की सीरीज में घंटाघर रेन बसेरा--- सहस्त्रधारा रेन बसेरा--- ट्रांसपोर्ट नगर रेन बसेरा--aur आखिरी में पटेल नगर स्थित रेन बसेरे का रियलिटी चेक हुआ है.....


folder name-uk_deh_01_reality_check_pkg_7206766


summary- राजधानी देहरादून में रैन बसेरों पर ईटीवी भारत का रियलिटी चेक शहर के अलग-अलग कोनों में स्थित रैन बसेरों पर किए गए.. अब बारी ट्रांसपोर्ट नगर स्थित रेन बसेरे की थी जहां ईटीवी भारत की टीम ने पहुंचकर रैन बसेरे के हालातों का जायजा लिया... यह कैसी थी व्यवस्थाएं आप भी जानिए...




Body:opening ptc

अब हम ईटीवी भारत के ब्यूरो ऑफिस से करीब 8 किलोमीटर पर बने ट्रांसपोर्ट नगर स्थित रैन बसेरे के हालातों को जानने के लिए रवाना हुए... इस दौरान हमने देखा कि ट्रांसपोर्ट नगर के आसपास के क्षेत्रों में अलाव की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी... बहरहाल अब हम रेन बसेरे तक पहुंच गए लेकिन इस दौरान ना तो कहीं रैन बसेरे की लोकेशन को लेकर कोई साइन बोर्ड लगा था और ना ही रेन बसेरे पर ही इसको लेकर कोई बोर्ड लगाया गया था.. रेन बसेरे के बाहर ही कुछ लोग अलाव पर कड़कड़ाती ठंड से राहत लेने की कोशिश करते हुए दिखाई दिए.. अब बारी थी रैन बसेरे के अंदर की व्यवस्थाएं जानने की.. रात्रि करीब 9:00 बज चुके थे और तापमान भी करीब 8 डिग्री तक पहुंच चुका था..

क्लोजिंग पीटीसी नवीन उनियाल

ईटीवी भारत की टीम जब रैन बसेरे में पहुंची तो यहां साफ-सफाई को लेकर व्यवस्थाएं दुरुस्त दिखाई दी.. खुशी की बात यह थी कि यहां न केवल स्वच्छता को लेकर ध्यान दिया गया था बल्कि बेसहाराओं के लिए रजाई गद्दे की भी मुकम्मल व्यवस्था की गई थी.. बताया गया कि इस रैन बसेरे में करीब 80 से 100 लोगों के रुकने की व्यवस्था मौजूद थी.. लेकिन जैसे ही ईटीवी भारत की टीम लोगों के रुकने के लिए बनाए गए कमरे में पहुंची तो हम वहां के हालात देखकर बेहद हैरान थे.. हैरानी इस बात की कि यहां दो-चार लोग ही रेन बसेरे में आसरा लेने पहुंचे थे... हम भी लोगों से ज्यादा की क्या रैन बसेरे में सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त है, तो लोगों ने बेहद खुशी के साथ यह बात बताई कि रैन बसेरा उनके लिए बेहतर सुविधाएं जुटाए हुए हैं, और उन्हें यहां सभी सुविधाएं मिल रही है.. लेकिन जब रेन बसेरे की व्यवस्थाएं करने वाले शख्स से हमने कम संख्या को लेकर जानकारी लेनी चाही तो, उसने बताया कि यहां लोग बेहद कम संख्या में आते हैं.. हालांकि व्यवस्थाएं बेहद ज्यादा लोगों के लिए जुटाई गई है ।। यहां बेसहाराओं के समान को लेकर लॉकर भी रखे गए हैं... और यहां आने वाले शख्स की आइडेंटिटी लेने के बाद ही यहां पर मिले जगह दी जाती है...

कुल मिलाकर ईटीवी भारत की टीम ने पाया कि प्रशासन की तरफ से व्यवस्थाओं को जुटाया तो गया है लेकिन रैन बसेरे का औचित्य प्रचार प्रसार ना होने के कारण बेकार साबित हो रहा है...
उधर महिलाओं के लिए भी अलग से कोई व्यवस्था इस रेन बसेरे में नहीं की गई है और ना ही जहां महिलाओं के लिए या बच्चों के लिए कोई एंट्री है।।



Conclusion:
Last Updated : Dec 28, 2019, 5:59 PM IST
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