देहरादून: पिछले कई सालों से करोड़ों के नुकसान के दौर से गुजर रही प्रदेश के चीनी मिलों को उबारने के लिए अब प्रदेश सरकार एक नया प्रयोग करने जा रही है. जिसके तहत प्रदेश सरकार बाजपुर चीनी मिल की भूमि पर इथेनॉल प्लांट लगाने जा रही है. जिससे बाजपुर, किच्छा, नादेही चीनी मिल में उत्पादित होने वाले शीरा से बेहतरीन क्वालिटी का इथेनॉल बनाया जा सकेगा. जिसकी बाजार में अच्छी खासी मांग है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए प्रभारी सचिव चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास चंद्रेश यादव ने बताया कि सरकार प्रति दिन 100 लीटर उत्पादन क्षमता के थर्मल प्लांट लगाने की तैयारी कर रही है. जिसके लिए बाजपुर चीनी मिल के स्वामित्व की भूमि को चयनित कर लिया गया है. ऐसे में इस इथेनॉल प्लांट में शीरे से उत्पादित होने वाले इथेनॉल को पेट्रोलियम कंपनी को बेचा जाएगा. जिससे चीनी मिलों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी. साथ ही इससे स्थानीय किसानों को भी आर्थिक लाभ होगा और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे.
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क्या होता है इथेनॉल
इथेनॉल एक तरह का एल्कोहल है. जिसका उद्योगों में कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है. इसका उपयोग वार्निश पॉलिश कृत्रिम रंग, साबुन और इत्र बनाने में भी किया जाता है. इसके अलावा इथेनॉल को मोटर इंजनों में पेट्रोल के साथ मिलाकर ईंधन के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. वर्तमान में पेट्रोल में 5% इथेनॉल मिलाने की अनुमति है जिसे निकट भविष्य में बढ़ाकर 10% भी किया जा सकता है. गौरतलब है कि प्रदेश में वर्तमान में 7 चीनी मिल संचालित हो रही हैं. जिसमें 2 सहकारी चीनी मिल बाजपुर व नादेही में हैं. वहीं, कॉर्पोरेशन की 2 चीनी मिल का संचालन किच्छा और डोईवाला में किया जा रहा है.
इसके अलावा हरिद्वार जनपद में 3 निजी निजी चीनी मिल का भी संचालन हो रहा है, जिसमें लिब्बरहेड़ी, इकबालपुर चीनी मिल और लक्सर चीनी मिल का नाम शामिल है. लेकिन यह सभी चीनी मिल बीते कई सालों से प्रति वर्ष 50-60 करोड़ रुपए के नुकसान से गुजर रही हैं. जिसका प्रमुख कारण यह है कि राज्य सरकार गन्ना मूल्य में साल दर साल वृद्धि करती रहती है. लेकिन चीनी के दामों में कोई खास इजाफा नहीं किया जाता है. जिसकी वजह से चीनी मिल संचालकों को हर साल करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ता है.