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ऋषिकेश: बीज बम अभियान से चलाई जा रही पर्यावरण संरक्षण की मुहिम

पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं आगे आकर कार्य कर रही हैं. इसी कड़ी में पर्यावरण को बचाने के लिए बीज बम के माध्यम से हरा-भरा करने की मुहिम चलाई जा रही है.

Rishikesh
बीज बम से होगा पर्यावरण का संरक्षण
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Published : Jul 16, 2020, 4:30 PM IST

Updated : Jul 16, 2020, 4:39 PM IST

ऋषिकेश: पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं लगातार प्रयासरत हैं. इसी कड़ी में उत्तराखंड में भी एक संस्था ने बीज बम के माध्यम से पर्यावरण को बचाने का एक अभिनव प्रयास शुरू किया है.

बता दें, पर्यावरण संरक्षण के लिए उत्तराखंड में हर साल हरेला पर्व मनाया जाता है और इस पर्व को पूरे सप्ताह मनाया जाता है. इस दौरान बड़ी संख्या में पौधे लगाए जाते हैं, इसी क्रम में एक संस्था ने भी पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए खेल-खेल में पर्यावरण संरक्षण अभियान की शुरूआत करते हुए बीज बम का प्रयोग किया है.

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क्या है बीज बम

संस्था द्वारा बीज बम बनाया गया है. जिसमें मिट्टी, गोबर और पानी के साथ जलवायु के अनुसार बीज को मिलाकर एक गोला बनाया जाता है और फिर उसे 4 दिनों तक रख दिया जाता है. 4 दिन बाद इस गोले को किसी भी स्थान पर रख दिया जाए तो यह अंकुरित हो जाता है और उस जगह पौधा निकल आता है.

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वहीं, संस्था के संचालक द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने बताया कि उन्होंने बीज बम का प्रयोग इसलिए किया है, ताकि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ मानव-वन्यजीव संघर्ष भी रूक सके. साथ ही उन्होंने कहा कि उनका यह अभियान पूरे उत्तराखंड में चलाया जा रहा है.

ऋषिकेश: पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं लगातार प्रयासरत हैं. इसी कड़ी में उत्तराखंड में भी एक संस्था ने बीज बम के माध्यम से पर्यावरण को बचाने का एक अभिनव प्रयास शुरू किया है.

बता दें, पर्यावरण संरक्षण के लिए उत्तराखंड में हर साल हरेला पर्व मनाया जाता है और इस पर्व को पूरे सप्ताह मनाया जाता है. इस दौरान बड़ी संख्या में पौधे लगाए जाते हैं, इसी क्रम में एक संस्था ने भी पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए खेल-खेल में पर्यावरण संरक्षण अभियान की शुरूआत करते हुए बीज बम का प्रयोग किया है.

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क्या है बीज बम

संस्था द्वारा बीज बम बनाया गया है. जिसमें मिट्टी, गोबर और पानी के साथ जलवायु के अनुसार बीज को मिलाकर एक गोला बनाया जाता है और फिर उसे 4 दिनों तक रख दिया जाता है. 4 दिन बाद इस गोले को किसी भी स्थान पर रख दिया जाए तो यह अंकुरित हो जाता है और उस जगह पौधा निकल आता है.

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वहीं, संस्था के संचालक द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने बताया कि उन्होंने बीज बम का प्रयोग इसलिए किया है, ताकि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ मानव-वन्यजीव संघर्ष भी रूक सके. साथ ही उन्होंने कहा कि उनका यह अभियान पूरे उत्तराखंड में चलाया जा रहा है.

Last Updated : Jul 16, 2020, 4:39 PM IST
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