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Power Crisis: ऊर्जा विभाग के इस फैसले से दूर होगा उत्तराखंड में बिजली संकट! दूसरे राज्यों से ट्रांसपोर्ट होगी 'पावर'

ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड बिजली संकट से जूझ रहा है. ऊर्जा विभाग इस दिक्कत को दूर करने के लिए कई प्रयोग कर भी चुका है और नए प्रयोग करने की ओर अग्रसर भी है. अब फैसला लिया गया है कि कोयले से बिजली उत्पादन पर फोकस किया जाएगा, जिसके लिए देश के प्रमुख कोयला उत्पादन करने वाले राज्यों में ही थर्मल पावर प्लांट लगाया जाएगा.

power crisis in uttarakhand
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Published : Mar 1, 2023, 5:48 PM IST

जानकारी देते ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम.

देहरादूनः उत्तराखंड राज्य बिजली के संकट से जूझता रहा है. ऊर्जा विभाग भी बिजली उत्पादन बढ़ाए जाने को लेकर नए-नए विकल्पों की तलाश करता रहा है लेकिन बावजूद इसके सफलता न मिल सकी है. इसे देखते हुए अब ऊर्जा विभाग ने कोयले से बिजली उत्पादन पर जोर देने का निर्णय लिया है.

दरअसल, ऊर्जा विभाग अब कोयला उत्पादन करने वाले देश के मुख्य राज्यों में थर्मल पावर प्लांट लगाए जाने की तैयारी कर रहा है. इसमें मुख्य रूप से झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा राज्य शामिल हैं जहां कोयला उत्पादन अधिक मात्रा में होता है, इन राज्यों में पावर प्रोजेक्ट लगाया जाएगा.
पढ़ें- Gas Based Power Plants को दोबारा शुरू करने की कोशिश तेज, उत्तराखंड को मिलेगी 300 मेगावाट बिजली

ज्यादा जानकारी देते हुए ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि हाइड्रो पावर पर डिपेंडेंसी होने के चलते कई बार बिजली संकट का सामना करना पड़ता है, क्योंकि हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट सीजनल होते हैं और मुख्य रूप से शीतकाल के दौरान बिजली उत्पादन लगभग ठप हो जाती है. हालांकि, मानसून और समर सीजन में बिजली उत्पादन जरूर बढ़ता है, लिहाजा, सीजन बिजली उत्पादन की समय को दूर करने और ग्रिड को स्टेबल करने के लिए दूसरे सोर्सेस की आवश्यकता होती है.

इसी क्रम में गैस आधारित पावर प्लांट बनाया गया लेकिन सक्सेस नहीं हो पाया है, जिसके चलते कोल बेस्ट पावर प्लांट पर जोर दिया जा रहा है. लिहाजा जिन राज्यों में कोल माइंस है उन राज्यों में पावर प्लांट लगाए जाने पर निर्णय लिया गया है. दरअसल, कोल का ट्रांसपोटेशन चार्ज काफी अधिक होता है, लेकिन बिजली का ट्रांसपोटेशन चार्ज काफी कम होता है. लिहाजा यूजेवीएनएल, कोयला उत्पादन करने वाले राज्यों में पावर प्लांट लगाएगा. इसके लिए टीएचडीसी के साथ ज्वाइंट वेंचर भी ऊर्जा विभाग बना रहा हैं, जिसे जल्द ही लॉन्च कर दिया जाएगा, क्योंकि टीएचडीसी के पास कोल माइनिंग का लाइसेंस भी है जिसका बड़ा फायदा मिलेगा.

जानकारी देते ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम.

देहरादूनः उत्तराखंड राज्य बिजली के संकट से जूझता रहा है. ऊर्जा विभाग भी बिजली उत्पादन बढ़ाए जाने को लेकर नए-नए विकल्पों की तलाश करता रहा है लेकिन बावजूद इसके सफलता न मिल सकी है. इसे देखते हुए अब ऊर्जा विभाग ने कोयले से बिजली उत्पादन पर जोर देने का निर्णय लिया है.

दरअसल, ऊर्जा विभाग अब कोयला उत्पादन करने वाले देश के मुख्य राज्यों में थर्मल पावर प्लांट लगाए जाने की तैयारी कर रहा है. इसमें मुख्य रूप से झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा राज्य शामिल हैं जहां कोयला उत्पादन अधिक मात्रा में होता है, इन राज्यों में पावर प्रोजेक्ट लगाया जाएगा.
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ज्यादा जानकारी देते हुए ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि हाइड्रो पावर पर डिपेंडेंसी होने के चलते कई बार बिजली संकट का सामना करना पड़ता है, क्योंकि हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट सीजनल होते हैं और मुख्य रूप से शीतकाल के दौरान बिजली उत्पादन लगभग ठप हो जाती है. हालांकि, मानसून और समर सीजन में बिजली उत्पादन जरूर बढ़ता है, लिहाजा, सीजन बिजली उत्पादन की समय को दूर करने और ग्रिड को स्टेबल करने के लिए दूसरे सोर्सेस की आवश्यकता होती है.

इसी क्रम में गैस आधारित पावर प्लांट बनाया गया लेकिन सक्सेस नहीं हो पाया है, जिसके चलते कोल बेस्ट पावर प्लांट पर जोर दिया जा रहा है. लिहाजा जिन राज्यों में कोल माइंस है उन राज्यों में पावर प्लांट लगाए जाने पर निर्णय लिया गया है. दरअसल, कोल का ट्रांसपोटेशन चार्ज काफी अधिक होता है, लेकिन बिजली का ट्रांसपोटेशन चार्ज काफी कम होता है. लिहाजा यूजेवीएनएल, कोयला उत्पादन करने वाले राज्यों में पावर प्लांट लगाएगा. इसके लिए टीएचडीसी के साथ ज्वाइंट वेंचर भी ऊर्जा विभाग बना रहा हैं, जिसे जल्द ही लॉन्च कर दिया जाएगा, क्योंकि टीएचडीसी के पास कोल माइनिंग का लाइसेंस भी है जिसका बड़ा फायदा मिलेगा.

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