देहरादून: पिछले 10 वर्षों में उत्तराखंड में मतदाताओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हुआ है. ऐसे में भारत निर्वाचन आयोग ने इसके पीछे के कारणों की जांच के आदेश दिए हैं. आयोग के आदेश पर राज्य निर्वाचन आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखकर हर जिले में जिला स्तर, विधानसभा क्षेत्र स्तर और मतदान केंद्र स्तर पर कमेटियां गठित कर शीघ्र जांच के आदेश दिए हैं.
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान देहरादून स्थित थिंक टैंक सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन ने 10 वर्षों में राज्य में मतदाताओं की संख्या में हुई अभूतपूर्व वृद्धि पर चुनाव आयोग के आंकड़ों के आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की थी. फाउंडेशन ने मतदान प्रतिशत की तुलना उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर और गोवा के मतदाताओं से की थी. जिसमें इन सभी राज्यों की अपेक्षा उत्तराखंड में वोटरों की संख्या में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है.
इस रिपोर्ट के आधार पर पूर्व आईएफएस अधिकारी और उत्तराखंड रक्षा मोर्चा के अध्यक्ष डॉ वीके बहुगुणा ने मुख्य चुनाव आयुक्त के समक्ष प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मामले की जांच की मांग पर जोर दिया था. बहुगुणा ने कहा था कि उत्तराखंड के मतदाताओं की संख्या में असामान्य वृद्धि हुई है. ऐसे में राज्य की सांस्कृतिक अखंडता को खतरा है. उत्तराखंड की वहन क्षमता कई साल पहले ही खत्म हो चुकी है.
एसडीसी फाउंडेशन की रिपोर्ट के आधार पर जांच के लिए जिला स्तर पर गठित होंगी. इस कमेटी में उप जिला निर्वाचन पदाधिकारी समेत चार सदस्य होंगे. विधानसभा क्षेत्र स्तर की समिति में निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी और बूथ स्तर सहित छह सदस्य होंगे. समिति में उप जिलाधिकारी द्वारा मनोनीत पटवारी सहित पांच सदस्य होंगे. राज्य निर्वाचन आयोग ने 28 फरवरी 2023 तक इस जांच को पूरा कर रिपोर्ट देने को कहा है.
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तुलनात्मक वृद्धि की जांच के लिए चुनाव आयोग के आदेश का एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने स्वागत किया है. अनूप नौटियाल ने बताया कि जिन सीटों पर मतदाताओं की संख्या में सबसे अधिक वृद्धि हुई है. वे सभी मैदानी सीटें हैं. राज्य की 70 सीटों में राजधानी स्थित धर्मपुर शामिल है. देहरादून जिले के विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक मतदाता पंजीकरण दर्ज किया गया है.
पिछले 10 वर्षों में धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या में 72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. धर्मपुर के अलावा रुद्रपुर, डोईवाला, सहसपुर, कालाढूंगी, काशीपुर, रायपुर, किच्छा, भेल रानीपुर और ऋषिकेश में मतदाताओं की संख्या में सर्वाधिक 41 प्रतिशत से 72 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई है.
नौटियाल कहा कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में बाहर से आने वाले लोगों और उत्तराखंड में बसने से राज्य की शहरों की देखभाल करने की क्षमता पर बहुत दबाव है. राज्य के अधिकांश शहर पहले से ही अपनी वहन क्षमता से कहीं अधिक बोझ से दबे हुए हैं. यह नागरिक सुविधाओं की कमी और विभिन्न प्रकार की शहरी समस्याओं की ओर ले जा रहा है.