देहरादून: अफगानिस्तान में बुधवार तड़के आए भूकंप (Afghanistan earthquake) में एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. अफगानिस्तान के भूकंप को दुनिया के अन्य हिस्सों को एक बड़ी चेतावनी के रूप में समझा जाना चाहिए. भारत में कई इलाके खासकर हिमालयी क्षेत्र जिसमें उत्तराखंड भी आता है, भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील हैं, जिसको लेकर समय-समय पर वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं. अफगानिस्तान में भी उत्तराखंड की तरह लंबे समय से छोटे-छोटे भूकंप आ रहे थे, जो बुधवार 22 जून को बड़ी तबाही का कारण बना.
वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक काफी समय से उत्तराखंड समेत दुनिया भर में धरती के नीचे होने वाली हलचल यानी की भूकंप पर स्टडी कर रहे हैं. वाडिया के वैज्ञानिक भी मानते हैं कि हिंदुकुश पर्वत से नार्थ ईस्ट तक का हिमालयी क्षेत्र भूकंप के प्रति अत्यंत संवेदनशील हैं, जिसमें उत्तराखंड में भी आता है. लेकिन चिंता ये है कि उत्तराखंड समेत इन राज्यों भूकंप को लेकर कोई भी कारगर नीतियां नहीं अपनाई है.
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लगातार डोल रही देवभूमि: वाडिया संस्थान के वैज्ञानिक सुशील कुमार जो काफी लंबे समय से इस विषयों पर शोध कर रहे हैं, उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में हर साल लगभग 20 से अधिक छोटे-बड़े भूकंप आते हैं. रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 2 से 4.5 के बीच माफी गई है.
बार-बार मिल रहे संकेत: वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक सुशील कुमार लंबे समय से इन भूकंपों पर अपनी नजर बनाए हुए हैं, जिसकी समय-समय पर इसकी रिपोर्ट भी तैयार की जाती है. उत्तराखंड में आखिर बड़ा भूकंप उत्तरकाशी में आया था, जिसमें बड़ा जानमाल का नुकसान हुआ था. इसके बाद प्रदेश में ऐसा कोई बड़ा भूकंप नहीं आया. हालांकि, जिस तरह से उत्तराखंड की धरती लगातार हिल रही है यानी भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं, वो उत्तराखंड के भविष्य पर बड़ा खतरा है. ये एक संकेत कि उत्तराखंड में भी अफगानिस्तान की तरह बड़ा भूकंप आ सकता है.
100 साल में एक बार जरूर आता हैं बड़ा भूकंप: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वाइपी सुंदरियाल भी लंबे समय से भूकंप पर शोध कर रहे हैं. प्रोफेसर वाइपी सुंदरियाल ने बताया कि इंडियन प्लेट्स और एशियन प्लेट के आपस में टकराने के कारण नार्थ में इंडियन प्लेट्स खिसक रही है. इस वजह से हिमालय ऊपर की और उठ रहा, इसकी वजह से ही पृथ्वी के अंदर बहुत सारी ऊर्जा इकट्ठा हो रही है, एक दिन यह ऊर्जा बाहर जरूर आएगी और बड़ी तबाही का कारण बनेगी. प्रोफेसर वाइपी सुंदरियाल ने बताया कि 100 साल के बाद एक बड़ा भूकंप जरूर आता है. अगर उत्तराखंड में 6 या 7 रिक्टर स्केल से ऊपर भूकंप आता है तो ये बड़ा विनाशकारी हो सकता है.
भूकंप के मुहाने पर खड़ा उत्तराखंड: वहीं, वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक नरेश कुमार की मानें तो अफगानिस्तान में बीते जून माह में ही भूकंप कई छोटे झटके आ चुके हैं. इस माह अभी तक जम्मू-कश्मीर, लेह लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, असम, उत्तराखंड के पिथौरागढ़, ईस्ट खासी हिल्स मेघालय से लेकर यूपी के सहारनपुर तक भूंकप के दर्जनों छोटे-बड़े झटके आ चुके हैं. इसलिए हम कह सकते हैं कि उत्तराखंड भूकंप के मुहाने पर खड़ा है.
वैज्ञानिक नरेश कुमार ने बताया कि अफगानिस्तान में पिछले कुछ सालों से लगातार छोटे-छोटे भूकंप आ रहे थे, जिसका परिणाम आज सबके सामने है. उत्तराखंड में भी पिछले कुछ सालों से इसी तरह के छोटे-छोटे भूकंप आ रहे हैं. उत्तराखंड में हर साल करीब 15 से 20 भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं.
बड़े भूकंप: उत्तराखंड के अंदर 1991 में उत्तरकाशी, 1999 में चमोली और 2017 में रुद्रप्रयाग में बड़े भूंकप आए, जिसमें व्यापक जनहानि हुई थी. इसके अलावा 1905 में हिमाचल के कांगड़ा और बिहार-नेपाल के बीच 1934 में बड़े भूंकप आए थे, जिनकी तीव्रता 8 से ज्यादा थी.
वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक सुशील कुमार के मुताबिक, सामान्यत: हिमालय क्षेत्रों में जो भूकंप आते हैं, उसका केंद्र बिंदु जमीन की सतह से 10 से 20 किलोमीटर नीचे होता है. अभीतक दुनिया में कोई भी ऐसी तकनीक विकसित नहीं हुई है, जो पहले ही भूकंप की लोकेशन और टाइम के बारे में बता दे.