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कोरोना में 5 करोड़ से अधिक के कोर्ट राजस्व का नुकसान, ढाई हजार वकील हुए बेरोजगार

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Published : Jul 9, 2021, 7:49 PM IST

Updated : Jul 9, 2021, 7:59 PM IST

कोरोना काल में अब तक 5 करोड़ से अधिक के कोर्ट राजस्व का नुकसान हो चुका है. ढाई हजार से अधिक अधिवक्ता इस दौरान बेरोजगार हो गये हैं.

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कोरोना काल में अब तक 5 करोड़ से अधिक कोर्ट राजस्व का नुकसान

देहरादून: वैश्विक महामारी कोरोना के कारण कोर्ट-कचहरी व बड़ी अदालतों की कार्यवाही बुरी तरह प्रभावित हुई है. उत्तराखंड की बात करें तो यहां कोरोना काल साल 2020 से 21 में वर्तमान समय तक निचली अदालतों से लेकर हाईकोर्ट तक की कोर्ट प्रक्रिया बाधित होने के चलते लगभग 5 करोड़ से अधिक कोर्ट फीस राजस्व का नुकसान हो चुका है. इतना ही नहीं कानूनी जानकारों के मुताबिक डेढ़ से दो लाख केस पेंडिंग हो चले हैं, जो लगातार बढ़ते जा रहे हैं.

वहीं दूसरी तरफ कोर्ट कचहरी में अति आवश्यक कार्यों को छोड़कर सामान्य तरह की किसी भी कानूनी प्रक्रिया के न चलने के कारण ढाई हजार से अधिक अधिवक्ता बेरोजगार हो गये हैं. उनके सामने रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है. जानकारों के अनुसार देशभर के साथ-साथ उत्तराखंड में भी कई कानूनी पेशेवर अधिवक्ताओं की फर्म बंद हो चुकी हैं. इस कारण भी बेरोजगारी बढ़ रही है.

कोरोना में 5 करोड़ से अधिक के कोर्ट राजस्व का नुकसान

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उत्तराखंड में वर्तमान समय की बात करें तो यहां लगभग 18 हजार अधिवक्ता रजिस्टर्ड वकालत करते हैं. इसमें से 15 हजार युवा अधिवक्ता कोर्ट, कचहरी में कार्यरत हैं. वहीं, वर्ष 2019 से 2021 तक लगभग 2,500 से 3,000 नए लोग प्रारंभिक कानूनी पढ़ाई पूरी कर वकालत के पेशे में प्रैक्टिस के लिए रजिस्टर्ड हुए हैं. लेकिन कोरोना वायरस के चलते सामान्य रूप से कोर्ट कार्यवाही प्रभावित होने से सबसे अधिक आर्थिक संकट के दौर से युवा अधिवक्ता गुजर रहे हैं. इसी के चलते भारी संख्या में नए अधिवक्ता तनाव में आकर वकालत छोड़ नया कुछ करने की ओर बढ़ रहे हैं.

पढ़ें- मसूरी में पर्यटकों की भीड़ पर अंकुश की तैयारी, प्रवेश के लिए मानने ही होंगे तीन नियम

वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ताओं की मानें तो कोरोना की मार से कोर्ट-कचहरी बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं. जिसके चलते सबसे बड़ा आर्थिक नुकसान रोजी-रोटी के रूप में उन लोगों को उठाना पड़ा है जो पूर्ण रूप से वकालत के पेशे पर निर्भर हैं. इसमें सबसे अधिक संकट उन युवा नए अधिवक्ताओं पड़ा है जिन्होंने वकालत की पढ़ाई पूरी कर पिछले 3 से 5 वर्षों से अपनी नई-नई प्रैक्टिस शुरू की है. कानूनी जानकारों के अनुसार कोरोना काल में अति आवश्यक कार्य जैसे- जमानत, बेल, रिमांड जैसी कानूनी प्रक्रिया ऑनलाइन (वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग) हो रही हैं. प्रतिदिन कोर्ट में 10 से 25 मामलों पर सुनवाई हो रही है, लेकिन यह अति आवश्यक कानूनी कार्य पुराने अधिवक्ताओं के पास ही होते हैं.

पढ़ें- पंचायती राज मंत्री अरविंद पांडे को ग्राम प्रधान संगठन ने दिखाए काले झंडे

उत्तराखंड बार काउंसिल के सदस्य अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी के मुताबिक वर्ष 2020-21 में कोरोना महामारी के चलते वकालत का पेशा इस स्तर पर पहुंच गया है कि अब नए युवा अधिवक्ताओं से लेकर कानूनी पढ़ाई करने वाले लोग इसे छोड़ दूसरे रोजगार की तरफ रुख कर रहे हैं. अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी के मुताबिक कोरोना के कारण निचली अदालतों में सामान्य तरह के मुकदमों की सुनवाई व्यक्तिगत ऑफलाइन ना होने के चलते अब पूरे उत्तराखंड से 10 हजार से अधिक मामलों का निस्तारण राष्ट्रीय लोक अदालत में रेफर किया गया. इसमें अधिकांश केस दो पक्षों के आपसी समझौते और मुआवजा से संबंधित होते हैं. जिनकी सुनवाई और निस्तारण का कार्य राष्ट्रीय लोक अदालत द्वारा ही किया जाएगा. जिसमें अधिवक्ताओं की कम ही जरूरत पड़ती है.

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देहरादून की निचली अदालतों से एक दिन में राष्ट्रीय लोक अदालत को रेफर होने वाले मामलों की संख्या में 154 मामले DJ/ADJ (कोर्ट) से सम्बंधित कमर्शियल मामलों के हैं. सिविल जज से संबंधित मामलों की संख्या 300 है. CJM/ACJM से संबंधित मामले 322 और फैमिली कोर्ट से संबंधित मामलों की संख्या 44 है.

देहरादून: वैश्विक महामारी कोरोना के कारण कोर्ट-कचहरी व बड़ी अदालतों की कार्यवाही बुरी तरह प्रभावित हुई है. उत्तराखंड की बात करें तो यहां कोरोना काल साल 2020 से 21 में वर्तमान समय तक निचली अदालतों से लेकर हाईकोर्ट तक की कोर्ट प्रक्रिया बाधित होने के चलते लगभग 5 करोड़ से अधिक कोर्ट फीस राजस्व का नुकसान हो चुका है. इतना ही नहीं कानूनी जानकारों के मुताबिक डेढ़ से दो लाख केस पेंडिंग हो चले हैं, जो लगातार बढ़ते जा रहे हैं.

वहीं दूसरी तरफ कोर्ट कचहरी में अति आवश्यक कार्यों को छोड़कर सामान्य तरह की किसी भी कानूनी प्रक्रिया के न चलने के कारण ढाई हजार से अधिक अधिवक्ता बेरोजगार हो गये हैं. उनके सामने रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है. जानकारों के अनुसार देशभर के साथ-साथ उत्तराखंड में भी कई कानूनी पेशेवर अधिवक्ताओं की फर्म बंद हो चुकी हैं. इस कारण भी बेरोजगारी बढ़ रही है.

कोरोना में 5 करोड़ से अधिक के कोर्ट राजस्व का नुकसान

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उत्तराखंड में वर्तमान समय की बात करें तो यहां लगभग 18 हजार अधिवक्ता रजिस्टर्ड वकालत करते हैं. इसमें से 15 हजार युवा अधिवक्ता कोर्ट, कचहरी में कार्यरत हैं. वहीं, वर्ष 2019 से 2021 तक लगभग 2,500 से 3,000 नए लोग प्रारंभिक कानूनी पढ़ाई पूरी कर वकालत के पेशे में प्रैक्टिस के लिए रजिस्टर्ड हुए हैं. लेकिन कोरोना वायरस के चलते सामान्य रूप से कोर्ट कार्यवाही प्रभावित होने से सबसे अधिक आर्थिक संकट के दौर से युवा अधिवक्ता गुजर रहे हैं. इसी के चलते भारी संख्या में नए अधिवक्ता तनाव में आकर वकालत छोड़ नया कुछ करने की ओर बढ़ रहे हैं.

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वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ताओं की मानें तो कोरोना की मार से कोर्ट-कचहरी बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं. जिसके चलते सबसे बड़ा आर्थिक नुकसान रोजी-रोटी के रूप में उन लोगों को उठाना पड़ा है जो पूर्ण रूप से वकालत के पेशे पर निर्भर हैं. इसमें सबसे अधिक संकट उन युवा नए अधिवक्ताओं पड़ा है जिन्होंने वकालत की पढ़ाई पूरी कर पिछले 3 से 5 वर्षों से अपनी नई-नई प्रैक्टिस शुरू की है. कानूनी जानकारों के अनुसार कोरोना काल में अति आवश्यक कार्य जैसे- जमानत, बेल, रिमांड जैसी कानूनी प्रक्रिया ऑनलाइन (वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग) हो रही हैं. प्रतिदिन कोर्ट में 10 से 25 मामलों पर सुनवाई हो रही है, लेकिन यह अति आवश्यक कानूनी कार्य पुराने अधिवक्ताओं के पास ही होते हैं.

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उत्तराखंड बार काउंसिल के सदस्य अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी के मुताबिक वर्ष 2020-21 में कोरोना महामारी के चलते वकालत का पेशा इस स्तर पर पहुंच गया है कि अब नए युवा अधिवक्ताओं से लेकर कानूनी पढ़ाई करने वाले लोग इसे छोड़ दूसरे रोजगार की तरफ रुख कर रहे हैं. अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी के मुताबिक कोरोना के कारण निचली अदालतों में सामान्य तरह के मुकदमों की सुनवाई व्यक्तिगत ऑफलाइन ना होने के चलते अब पूरे उत्तराखंड से 10 हजार से अधिक मामलों का निस्तारण राष्ट्रीय लोक अदालत में रेफर किया गया. इसमें अधिकांश केस दो पक्षों के आपसी समझौते और मुआवजा से संबंधित होते हैं. जिनकी सुनवाई और निस्तारण का कार्य राष्ट्रीय लोक अदालत द्वारा ही किया जाएगा. जिसमें अधिवक्ताओं की कम ही जरूरत पड़ती है.

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देहरादून की निचली अदालतों से एक दिन में राष्ट्रीय लोक अदालत को रेफर होने वाले मामलों की संख्या में 154 मामले DJ/ADJ (कोर्ट) से सम्बंधित कमर्शियल मामलों के हैं. सिविल जज से संबंधित मामलों की संख्या 300 है. CJM/ACJM से संबंधित मामले 322 और फैमिली कोर्ट से संबंधित मामलों की संख्या 44 है.

Last Updated : Jul 9, 2021, 7:59 PM IST
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