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उत्तराखंड में देख सकते हैं बंगाली संस्कृति की झलक, इस बार दुर्गा पूजा में बहुत कुछ है खास

राजधानी देहरादून में बंगाली समुदाय द्वारा आयोजित की जाने वाली दुर्गा पूजा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी आयोजन किया जाएगा.

देहरादून दुर्गा पूजा.
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Published : Oct 3, 2019, 9:41 AM IST

देहरादून: पूरे देश के साथ ही देवभूमि में भी दुर्गा पूजा की धूम मची हुई है. श्रद्धालु नित्य मां की उपासना कर रहे हैं. वहीं राजधानी देहरादून में पिछले 97 सालों से बंगाली समुदाय के लोग अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संजोए हुए हैं. समुदाय के लोगों द्वारा नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. वहीं इस साल दुर्गा पूजा में समाज में न्यायपालिका की कार्यशैली का मंचन होगा. जिसका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना होगा.

देहरादून के करनपुर रोड स्थित 'बंगाली लाइब्रेरी' नाम के इस भवन को बंगाली समुदाय के लोगों द्वारा करीब 119 वर्ष पहले यानी साल 1900 में बनवाया गया था. सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा को कायम रखते हुए इसी बंगाली लाइब्रेरी में पिछले 97 साल से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है. जिसमें श्रद्धालु बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं. दुर्गा पूजा में सप्तमी, अष्टमी और नवमी में सांस्कृतिक और नाटक का आयोजन किया जाता है. जिसके लिए समुदाय के लोग खासी तैयारी करते हैं.

बंगाली समाज में दुर्गा पूजा की धूम.

पढ़ें-छात्रवृत्ति घोटाला: स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज पर कसा शिकंजा, SIT ने दर्ज की FIR

जिसमें बंगाली समुदाय के लोग अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को पिरोने का प्रयास करते हैं. दुर्गा पूजा कार्यक्रम के तहत सप्तमी को बंगाली संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए नाटक प्रस्तुत किया जाएगा. जिसके लिए इन दिनों रिहर्सल किया जा रहा है. वहीं अष्टमी के दिन इस बार कोलकाता से विशेष बंगाली लोकगीत संगीत बैंड के साथ ही संस्कृति से जुड़े कार्यक्रम को पेश किया जाएगा. साथ ही इस आयोजन में लोगों को जागरूकता का संदेश भी दिया जाएगा.

इस बार नवमी के दिन हिंदी नाटक समाज में न्यायपालिका के प्रति समर्पित रहेगा. यह नाटक कांति प्रसाद त्यागी की कविता को लेकर तैयार किया गया है. जिसका शीर्षक 'गधे के सींग' हैं. इस नाटक में ज्वलंत मुद्दों को उठाने के साथ ही जागरूकता का संदेश दिया जाएगा.

देहरादून: पूरे देश के साथ ही देवभूमि में भी दुर्गा पूजा की धूम मची हुई है. श्रद्धालु नित्य मां की उपासना कर रहे हैं. वहीं राजधानी देहरादून में पिछले 97 सालों से बंगाली समुदाय के लोग अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संजोए हुए हैं. समुदाय के लोगों द्वारा नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. वहीं इस साल दुर्गा पूजा में समाज में न्यायपालिका की कार्यशैली का मंचन होगा. जिसका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना होगा.

देहरादून के करनपुर रोड स्थित 'बंगाली लाइब्रेरी' नाम के इस भवन को बंगाली समुदाय के लोगों द्वारा करीब 119 वर्ष पहले यानी साल 1900 में बनवाया गया था. सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा को कायम रखते हुए इसी बंगाली लाइब्रेरी में पिछले 97 साल से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है. जिसमें श्रद्धालु बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं. दुर्गा पूजा में सप्तमी, अष्टमी और नवमी में सांस्कृतिक और नाटक का आयोजन किया जाता है. जिसके लिए समुदाय के लोग खासी तैयारी करते हैं.

बंगाली समाज में दुर्गा पूजा की धूम.

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जिसमें बंगाली समुदाय के लोग अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को पिरोने का प्रयास करते हैं. दुर्गा पूजा कार्यक्रम के तहत सप्तमी को बंगाली संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए नाटक प्रस्तुत किया जाएगा. जिसके लिए इन दिनों रिहर्सल किया जा रहा है. वहीं अष्टमी के दिन इस बार कोलकाता से विशेष बंगाली लोकगीत संगीत बैंड के साथ ही संस्कृति से जुड़े कार्यक्रम को पेश किया जाएगा. साथ ही इस आयोजन में लोगों को जागरूकता का संदेश भी दिया जाएगा.

इस बार नवमी के दिन हिंदी नाटक समाज में न्यायपालिका के प्रति समर्पित रहेगा. यह नाटक कांति प्रसाद त्यागी की कविता को लेकर तैयार किया गया है. जिसका शीर्षक 'गधे के सींग' हैं. इस नाटक में ज्वलंत मुद्दों को उठाने के साथ ही जागरूकता का संदेश दिया जाएगा.

Intro:summary-उत्तराखंड का मात्र एक ऐसा स्थान जहां पिछले 97 सालों से हो थी है -दुर्गा पूजा, देहरादून के करनपुर में स्थित वर्ष 1900 में स्थापित बंगाली लाइब्रेरी दुर्गा पूजा समिति स्थल.



पश्चिम बंगाल के साथ जहां देश भर में दुर्गा पूजा की तैयारियां बड़े हर्षोल्लास के साथ चल रही हैं.. वही उत्तराखंड में एक ऐसा सबसे पुराना मात्र स्थान है.. जहां पिछले 97 सालों से बांग्ला समुदाय के लोग अपनी सांस्कृतिक व धार्मिक धरोहर को कायम रखते हुए दुर्गा पूजा का आयोजन प्रतिवर्ष धूमधाम से करता रहा है।

देहरादून के करनपुर रोड़ पर स्थित बांग्ला लाइब्रेरी नाम इस भवन को बांग्ला समुदाय के लोगों ने लगभग 119 वर्ष पहले यानी ब्रिटिश शासन के दौरान वर्ष 1900 को बनवाया था। अपने सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा को कायम रखते हुए इसी बंगाली लाइब्रेरी में में पिछले 97 साल से दुर्गा पूजा समिति दशहरे से पहले सप्तमी अष्टमी और नवमी के दिन बड़े ही उत्साह हर्षोल्लास के साथ दुर्गा पूजा का आयोजन करता हैं।


Body:दुर्गा पूजा से पहले सप्तमी अष्टमी और नवमी में सांस्कृतिक और नाटक के जरिए सौहार्द पूर्ण माहौल बनाने का प्रयास: दुर्गा पूजा समिति

देहरादून के करनपुर रोड स्थित इस बांग्ला लाइब्रेरी में दुर्गा पूजा की तैयारी इन दिनों बड़े ही उत्साह के साथ हो रही है। बांग्ला समुदाय के लोगों को अपनी सांस्कृतिक धरोहर व अपनी धार्मिक सद्भावना के धागे में पिरो कर दुर्गा पूजा में अलग-अलग तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम की इन दिनों तैयारी कर रहे हैं।
दुर्गा पूजा कार्यक्रम के तहत पहले सप्तमी वाले दिन बांग्ला संस्कृति को बढ़ावा देने के तहत समुदाय के लोग इस दिन बांग्ला नाटक का प्रस्तुत करेंगे जिसके लिए इन दिनों इस बांग्ला,हिंदी नाटक सहित अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रिहर्सल हो रही है।

वही अष्टमी वाले दिन पूजा स्थल पर इस बार कोलकाता से विशेष संगीतमय बैंड बांग्ला लोकगीत से लेकर संस्कृति से जुड़े कार्यक्रम को पेश करेगा।
वही दुर्गा पूजा नवमी वाले दिन सभी समुदाय को एक साथ सौहार्दपूर्ण माहौल में दुर्गा पूजा में शामिल होने के दृष्टिगत बांग्ला समुदाय के लोग हर वर्ष की भांति इस बार भी एक हिंदी नाटक का प्रस्तुतीकरण कर समाज में न्यायपालिका प्रति जागरूकता वाला संदेश देने का प्रयास करने जा रहे हैं।

दुर्गा पूजा से पहले नवमी के दिन आपसी सौहार्द और जन जागरूकता को लेकर हिंदी नाटक "गधे के सींग"के जरिए जनता को जगाने का प्रयास: तंश्वि चक्रवर्ती

दुर्गा पूजा में प्रतिवर्ष की भांति नाटक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति के द्वारा बांग्ला व अन्य समुदाय को सौहार्दपूर्ण माहौल में एक साथ दुर्गा पूजा कार्यक्रम में लनाटक और धार्मिक कल्चर के माध्यम से जन जागरूकता संदेश देने का काम करने वाली नाटक की डायरेक्टर तंश्वि चक्रवर्ती ने बताया कि वर्ष 1922 से देहरादून के इस बंगाली लाइब्रेरी में बंगाली समुदाय के साथ-साथ अन्य समुदाय के लोगों को एक सौहार्दपूर्ण माहौल में दुर्गा पूजा और धार्मिक सांस्कृतिक अनुष्ठान में शामिल कर भाईचारा बनाने की पहल आज भी जारी है। तंश्वि चक्रवर्ती का मानना है कि दुर्गा पूजा एक धार्मिक धरोहर है इसी पूजा में हम लोग हर बार कुछ ऐसे सांस्कृतिक नाटक प्रस्तुत कर जनता को जागरूक करने का प्रयास करते रहे। इस बार नवमी पूजा वाले दिन हिंदी नाटक न्यायपालिका की कार्यशैली को लेकर तैयार किया जा रहा है.. यह नाटक कांति प्रसाद त्यागी की कविता को लेकर तैयार किया गया है ..जिसका शीर्षक "गधे के सींग" हैं। इस नाटक के जरिए हम मान में सबसे ज्वलंत मुद्दों में से एक को लेकर सभी वर्ग के लोगों को जागरूक कर इस बात का संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि किस तरह से आज जाति धर्म और समुदाय के नाम पर कुछ लोग अलग-अलग राजनीति का शिकार होकर कोर्ट कचहरी में वकीलों के झांसे में फंस कर वर्षों समय और धन बर्बाद केस लड़ रहे है। जबकि आपसी सुहागपुर में बातचीत कर बड़ी समस्याओं का हल निकाला जा सकता है।


बाइट-तंश्वि चक्रवर्ती, नाटक निर्देशक, बांग्ला समुदाय


Conclusion:
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