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सरकार को करोड़ों का फायदा देने वाली श्रीकृष्ण की 'समुद्री गाय' पर संकट, जानिए क्या है मामला

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Published : Aug 24, 2019, 5:24 PM IST

Updated : Aug 24, 2019, 7:29 PM IST

देश में खत्म हो रही डुगोंग को लेकर वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने इसके संरक्षण पर काम करना शुरू कर दिया है. डूगोंग नाम का ये प्राणी इको सिस्टम के लिए बेहद खास है.

समुद्री गाय

देहरादून: भगवान श्रीकृष्ण की समुद्री गाय का अस्तित्व कलयुग के इस दौर में संकट से घिर गया है. ये कोई कोरी कल्पना नहीं बल्कि धार्मिक मान्यता और वैज्ञानिक रिसर्च से जुड़ा विषय है. डुगोंग नाम से जानी जाने वाली समुद्री गाय पर चिंता बढ़ाती वैज्ञानिक रिसर्च को लेकर ईटीवी भारत की ये स्पेशल रिपोर्ट.

श्री कृष्ण ने जिस गाय को पानी के अंदर भी जीवित रहने का आशीर्वाद दिया वो समुद्री गाय विलुप्त होने की कगार पर है. चिंता की बात ये है कि देश में महज तीन स्थानों पर मौजूद ये गाय अब गिनतियों में ही बची हैं.

पढ़ें- तीर्थनगरी में कूड़े का लगा अंबार, दुर्गंध से लोग हो रहे बीमार

समुद्री गाय को लेकर माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद इन्हें प्राप्त है. हिंदू धर्म में इसके पीछे एक कहानी भी बताई गई है. कहा जाता है कि जब श्रीकृष्ण की द्वारिका नगरी समुद्र में डूबने लगी तो कन्हैया ने गौ प्रेम में डूबती गायों को समुद्र के भीतर भी जीवित रहने का आशीर्वाद दिया था. इसके बाद न केवल ये गायें पानी के भीतर भी जीवित रही बल्कि इन्हें समुद्री गाय भी कहा गया.

श्रीकृष्ण की 'समुद्री गाय' पर संकट

डुगोंग या समुद्री गाय भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में भी पाई जाती हैं, लेकिन वैज्ञानिक मान रहे हैं कि शायद भारत में ही डुगोंग का मूल रहा. हालांकि, इसपर वैज्ञानिक फिलहाल रिसर्च कर रहे हैं.

पढ़ें- उत्तराखंडः पंचायत एक्ट में संशोधन सरकार के लिए बना गले की फांस, कोर्ट ने भी जवाब मांगा

डुगोंग या समुद्री गाय को लेकर धार्मिक मान्यताएं कुछ भी हों लेकिन आज की चिंता ये है कि यह जीव अब भारत में विलुप्ति की कगार पर है. देश में डुगोंग गुजरात, तमिलनाडु और अंडमान में महज 200 से भी कम संख्या में रह गए हैं. डुगोंग के लिए मछुवारों का मछली पकड़ने का तरीका, प्रदूषण और अवैध शिकार मुसीबत बना हुआ है, जिसके कारण इस समुद्री गाय का अस्तित्व अब खतरे में है.

समुद्री गाय यानी डुगोंग कोई सामान्य प्राणी नहीं है. इसे समुद्र का किसान भी कहा जाता है. इससे मछुआरों समेत देश को करीब 400 से 500 करोड़ का फायदा भी होता है, जबकि एक समुद्री गाय के मरने पर 1 साल में तीन करोड़ का नुकसान होता है.

पढ़ें- भारत की 228 ऐतिहासिक धरोहरों का करें दीदार, इस 'वंडर ऑफ ताज' में है बहुत कुछ खास

बता दें कि 800 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में डुगोंग समुद्री घास को साफ करने का काम भी करता है और इसी कारण कई मछलियां इस घास में प्रजनन कर पाती हैं. जिससे 400 से 500 करोड़ की मछलियों का व्यापार हो पाता है.

देश में खत्म हो रही डुगोंग को लेकर वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने इसके संरक्षण पर काम करना शुरू कर दिया है. इसके लिए जहां मछुवारों को जागरूक किया जा रहा है तो वहीं भारतीय नेवी और कोस्ट गार्ड समेत मरिन पुलिस की मदद से अवैध शिकार रोकने की भी कोशिश हो रही है. साथ ही समुद्र में प्रदूषण खत्म करने के लिए क्लीन समुद्र तट अभियान भी चलाया जा रहा है.

डूगोंग नाम का ये प्राणी इको सिस्टम के लिए बेहद खास है. अन्य कई कारणों से भी ये फायदेमंद है. इससे इतर भारत में डूगोंग की खत्म होती प्रजाति देश के लिए एक बड़ी चिंता बनी हुई है. जिसके लिए फिलहाल डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिक चिंतन कर रहे हैं.

देहरादून: भगवान श्रीकृष्ण की समुद्री गाय का अस्तित्व कलयुग के इस दौर में संकट से घिर गया है. ये कोई कोरी कल्पना नहीं बल्कि धार्मिक मान्यता और वैज्ञानिक रिसर्च से जुड़ा विषय है. डुगोंग नाम से जानी जाने वाली समुद्री गाय पर चिंता बढ़ाती वैज्ञानिक रिसर्च को लेकर ईटीवी भारत की ये स्पेशल रिपोर्ट.

श्री कृष्ण ने जिस गाय को पानी के अंदर भी जीवित रहने का आशीर्वाद दिया वो समुद्री गाय विलुप्त होने की कगार पर है. चिंता की बात ये है कि देश में महज तीन स्थानों पर मौजूद ये गाय अब गिनतियों में ही बची हैं.

पढ़ें- तीर्थनगरी में कूड़े का लगा अंबार, दुर्गंध से लोग हो रहे बीमार

समुद्री गाय को लेकर माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद इन्हें प्राप्त है. हिंदू धर्म में इसके पीछे एक कहानी भी बताई गई है. कहा जाता है कि जब श्रीकृष्ण की द्वारिका नगरी समुद्र में डूबने लगी तो कन्हैया ने गौ प्रेम में डूबती गायों को समुद्र के भीतर भी जीवित रहने का आशीर्वाद दिया था. इसके बाद न केवल ये गायें पानी के भीतर भी जीवित रही बल्कि इन्हें समुद्री गाय भी कहा गया.

श्रीकृष्ण की 'समुद्री गाय' पर संकट

डुगोंग या समुद्री गाय भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में भी पाई जाती हैं, लेकिन वैज्ञानिक मान रहे हैं कि शायद भारत में ही डुगोंग का मूल रहा. हालांकि, इसपर वैज्ञानिक फिलहाल रिसर्च कर रहे हैं.

पढ़ें- उत्तराखंडः पंचायत एक्ट में संशोधन सरकार के लिए बना गले की फांस, कोर्ट ने भी जवाब मांगा

डुगोंग या समुद्री गाय को लेकर धार्मिक मान्यताएं कुछ भी हों लेकिन आज की चिंता ये है कि यह जीव अब भारत में विलुप्ति की कगार पर है. देश में डुगोंग गुजरात, तमिलनाडु और अंडमान में महज 200 से भी कम संख्या में रह गए हैं. डुगोंग के लिए मछुवारों का मछली पकड़ने का तरीका, प्रदूषण और अवैध शिकार मुसीबत बना हुआ है, जिसके कारण इस समुद्री गाय का अस्तित्व अब खतरे में है.

समुद्री गाय यानी डुगोंग कोई सामान्य प्राणी नहीं है. इसे समुद्र का किसान भी कहा जाता है. इससे मछुआरों समेत देश को करीब 400 से 500 करोड़ का फायदा भी होता है, जबकि एक समुद्री गाय के मरने पर 1 साल में तीन करोड़ का नुकसान होता है.

पढ़ें- भारत की 228 ऐतिहासिक धरोहरों का करें दीदार, इस 'वंडर ऑफ ताज' में है बहुत कुछ खास

बता दें कि 800 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में डुगोंग समुद्री घास को साफ करने का काम भी करता है और इसी कारण कई मछलियां इस घास में प्रजनन कर पाती हैं. जिससे 400 से 500 करोड़ की मछलियों का व्यापार हो पाता है.

देश में खत्म हो रही डुगोंग को लेकर वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने इसके संरक्षण पर काम करना शुरू कर दिया है. इसके लिए जहां मछुवारों को जागरूक किया जा रहा है तो वहीं भारतीय नेवी और कोस्ट गार्ड समेत मरिन पुलिस की मदद से अवैध शिकार रोकने की भी कोशिश हो रही है. साथ ही समुद्र में प्रदूषण खत्म करने के लिए क्लीन समुद्र तट अभियान भी चलाया जा रहा है.

डूगोंग नाम का ये प्राणी इको सिस्टम के लिए बेहद खास है. अन्य कई कारणों से भी ये फायदेमंद है. इससे इतर भारत में डूगोंग की खत्म होती प्रजाति देश के लिए एक बड़ी चिंता बनी हुई है. जिसके लिए फिलहाल डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिक चिंतन कर रहे हैं.

Intro:स्पेशल रिपोर्ट........

ये नेशनल खबर है...इसे नेशनल पर भी चलाया जा सकता है।


summary-भगवान श्रीकृष्ण की समुद्री गाय का अस्तित्व कलयुग के इस दौर में संकट से घिर गया है..ये कोई कोरी कल्पना नही बल्कि धार्मिक मान्यता और वैज्ञानिक रिसर्च से जुड़ा विषय है..डुगोंग नाम से जानी जाने वाली समुद्री गाय पर चिंता बढ़ाती वैज्ञानिक रिसर्च को लेकर ईटीवी भारत की ये स्पेशल रिपोर्ट...


श्री कृष्ण ने जिस गाय को पानी के अंदर भी जीवित रहने का आशीर्वाद दिया वो समुद्री गाय विलुप्त होने की कगार पर है..चिंता की बात ये है कि देश में महज तीन स्थानों पर मौजूद ये गाय अब गिनतीयों में ही बची हैं।




Body:समुद्री गाय को लेकर माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद इन्हें प्राप्त है... हिंदू धर्म में इसके पीछे एक कहानी भी बताई गई है.. कहा जाता है कि जब श्रीकृष्ण की द्वारिका नगरी समुद्र में डूबने लगी तो कन्हैया ने गौ प्रेम में डूबती गायों को समुद्र के भीतर भी जीवित रहने का आशीर्वाद दिया.. इसके बाद न केवल ये गायें पानी के भीतर भी जीवित रही बल्कि इन्हें समुद्री गाय भी कहा गया..डुगोंग या समुद्री गाय भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में भी पाई जाती है लेकिन वैज्ञानिक मान रहे हैं कि शायद भारत में ही डुगोंग का मूल रहा। हालांकि इसपर वैज्ञानिक फिलहाल रिसर्च कर रहे हैं।


बाइट-डॉ के शिवकुमार वरिष्ठ वैज्ञानिक, भारतीय वन्यजीव संस्थान


डुगोंग या समुद्री गाय को लेकर धार्मिक मान्यताएं कुछ भी हो लेकिन आज की चिंता ये है कि यह जीव अब भारत में विलुप्ति की कगार पर है.. देश में डुगोंग गुजरात, तमिलनाडु और अंडमान में महज 200 से भी कम संख्या में रह गए हैं। डुगोंग के लिए मछुवारों का मछली पकड़ने का तरीका, प्रदूषण और अवैध शिकार मुसीबत बना हुआ है। जिसके कारण इस समुद्री गाय का अस्तित्व अब खतरे में है। 


बाइट-डॉ के शिवकुमार वरिष्ठ वैज्ञानिक, भारतीय वन्यजीव संस्थान


समुद्री गाय यानी डुगोंग कोई सामान्य प्राणी नही है इसे समुद्र का किसान भी कहा जाता है..इससे मछुआरों समेत देश को करीब 400 से 500 करोड़ का फायदा भी होता है। जबकि एक समुद्री गाय के मरने पर 1 साल में तीन करोड़ का नुकसान होता है। आपको बता दें कि 800 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में डुगोंग समुद्री घास को साफ करने का काम भी करता है। और इसी कारण कई मछलियां इस घास में प्रजनन कर पाती हैं। जिससे 400 से 500 करोड़ की मछलियों का व्यापार हो पाता है।


बाइट-डॉ के शिवकुमार वरिष्ठ वैज्ञानिक, भारतीय वन्यजीव संस्थान


देश मे खत्म हो रही डुगोंग को लेकर वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने इसके संरक्षण पर काम करना शुरू कर दिया है...इसमे जहां मछुवारों को जागरूक किया जा रहा है वहीं भारतीय नेवी और कोस्ट गार्ड समेत मेरिन पुलिस की मदद से अवैध शिकार को रोकने की भी कोशिश हो रही है। साथ ही समुद्र में प्रदूषण खत्म करने के लिए क्लीन समुद्र तट अभियान भी चलाया जा रहा है। 


बाइट-डॉ के शिवकुमार वरिष्ठ वैज्ञानिक, भारतीय वन्यजीव संस्थान




Conclusion:डूगोंग नाम का ये प्राणी इको सिस्टम के लिए बेहद खास है..और हर लिहाज से फायदेमंद भी...इससे इतर भारत मे डूगोंग की खत्म होती प्रजाति देश के लिए एक बड़ी चिंता बनी हुई है जिसके लिए फिलहाल डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिक चिंतन कर रहे हैं।
Last Updated : Aug 24, 2019, 7:29 PM IST
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