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सिस्टम की खामियों का बेरोजगारों को भुगतना होगा हर्जाना, कई युवाओं का टूटेगा वन दरोगा बनने का सपना

Van daroga recruitment in Uttarakhand उत्तराखंड में एक बार फिर से बेरोजगारों के सरकारी नौकरी पाने का सपना सरकारी सिस्टम की भेंट चढ़ गया है. जो युवा 2019 में वन दरोगा बनने का सपना देख रहे थे, उनके अरमानों पर एक बार से फिर से पानी फिर गया. ऐसे ही एक मामले के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, कैसे ये सिस्टम बेरोजगारों के साथ खेल रहा है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 28, 2023, 12:05 PM IST

Updated : Aug 28, 2023, 3:52 PM IST

सिस्टम की खामियों का बेरोजगारों को भुगतना होगा हर्जाना

देहरादून: उत्तराखंड में ऐसे कई मामले हैं, जिनमें सिस्टम की नाकामी और खामियों का हर्जाना बेरोजगार युवाओं को भुगतना पड़ता है. ताजा मामला वन दरोगाओं की भर्ती से जुड़ा है, जहां सिस्टम की नाकामी के कारण सैकड़ों युवाओं का वन दारोगा बनने का सपना तोड़ दिया है. क्या है पूरा मामला जानिए.

उत्तराखंड में युवाओं को किस कदर प्रतियोगी परीक्षाओं में मुसीबत का सामना करना पड़ता है, यह बात किसी से छिपी नहीं है. समय से परीक्षा न होना, परीक्षा से पहले ही पेपर लीक हो जाना और परीक्षा केंद्रों में नकल का बोलबाला, ऐसी कई बातें हैं जो मेहनत करने के बाद परीक्षा केंद्रों पर पहुंचने वाले बेरोजगार युवाओं को ठगा सा महसूस करवाती है.
पढ़ें- Paper Leak: घोटालों की नदी से पकड़ी जा रही छोटी मछलियां, विपक्ष पूछे- मगरमच्छों पर कब होगा एक्शन?

युवाओं का वन दरोगा बनने का सपना टूटा: ताजा मामला वन दरोगाओं की भर्ती से जुड़ा है, जहां कई बेरोजगार युवाओं का वन दरोगा बनने का सपना टूटने जा रहा है. हाईकोर्ट के एक निर्णय के बाद तमाम बेरोजगार युवाओं को तगड़ा झटका लगा है, लेकिन विभागीय स्तर पर छोड़ी गई खामियों के कारण ही हाईकोर्ट को ऐसा फैसला करना पड़ा है, जो परीक्षा पास करने के बाद भी युवाओं को नौकरी से दूर रखने वाला है.

2019 का है मामला: दरअसल, पूरा मामला साल 2019 में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) के वन दरोगा के 316 पदों पर भर्ती के लिए दिए गए अधियाचन से शुरू होता है. 18 दिसंबर 2019 को विज्ञापन जारी किया गया और करीब 2 साल बाद 2021 जुलाई में ऑनलाइन परीक्षा करवाई गई.

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कई युवाओं का टूटेगा वन दरोगा बनने का सपना
पढ़ें- वन दरोगा भर्ती परीक्षा निरस्त होने के बाद सड़कों पर छात्र, बोले- आत्मदाह है आखिरी विकल्प

2023 में कराई गई परीक्षा: साल 2019 से ही सैकड़ों अभ्यर्थी इसमें शामिल होकर वन दरोगा बनने का सपना देखने लगे, लेकिन परीक्षा में नकल की पुष्टि होने के बाद परीक्षा को स्थगित कर, इसी साल साल 2023 में दोबारा इसके लिए परीक्षा करवाई गई. इसके बाद एक बार फिर कई युवाओं ने अपनी मेहनत के बल पर इस परीक्षा को पास कर लिया और अब अंतिम औपचारिकताओं को पूरा कर जॉइनिंग लेटर का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उनका सपना फिर से टूट गया है.

हुआ ये कि 316 युवा अभी रोजगार का इंतजार कर ही रहे थे कि उत्तराखंड वन विभाग के आरक्षी कर्मचारी संघ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए सीधी भर्ती के जरिये वन दरोगा के पद भरे जाने से उनके प्रमोशन की संभावनाएं खत्म होने को लेकर आपत्ति दर्ज कर दी. इसमें कहा गया कि पूर्व में वन दरोगा के 100 प्रतिशत पद प्रमोशन के जरिए ही भरे जाते थे. लेकिन साल 2018 में नई नियमावली लाकर इन पदों को सीधी भर्ती के जरिए भरने का प्रावधान कर दिया गया.
पढ़ें- उत्तराखंड वन विभाग में गठित होंगी ये कमेटियां, बेहतर काम करने वाले वनकर्मियों को मिलेगा अवॉर्ड

सिस्टम की गलती का खामियाजा भुगत रहे युवा: सरकार की तरफ से कमजोर पैरवी कहें या इस मामले में अधूरी तैयारी कि हाईकोर्ट ने भी सरकार को 316 पदों में से 211 पद प्रमोशन के जरिए भरे जाने के आदेश दे दिए. अब वन विभाग भी हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप 316 पदों में से 211 पद प्रमोशन के जरिए भरने को मजबूर है, लेकिन इस बीच बेरोजगार युवाओं में आक्रोश दिखाई दे रहा है. क्योंकि उन्हें लगता है कि वन विभाग ने अधियाचन 316 पदों के लिए भेजे और अब भर्ती केवल 105 पदों पर करने की तैयारी हो रही है. जाहिर है कि ऐसा होने से कई युवाओं का वन दरोगा बनने का सपना टूट जाएगा.

चयनित हुए अभ्यर्थियों की मांग: इस भर्ती परीक्षा में पास होने वाले कई अभ्यर्थी वन विभाग पहुंचकर अपनी आपत्ति दर्ज कर रहे हैं और जितने पदों पर अधियाचन भेजा गया और भर्ती प्रक्रिया को शुरू किया गया उतनी ही भर्ती किए जाने की मांग हो रही है. अभ्यर्थी कहते हैं कि एक ही समय में कई परीक्षाएं होती हैं और तमाम अभ्यर्थियों ने वन दरोगा भर्ती को चुना और बाकी कई परीक्षाएं छोड़ दी.
पढ़ें- वन दरोगा चयनित अभ्यर्थियों ने उठाई नियुक्ति की मांग, बोले 'नियुक्ति दो या जहर दो'

यही नहीं भर्ती परीक्षा में करीब 4 साल बाद उत्तीर्ण होने के बाद रोजगार की उम्मीद भी जगी, लेकिन जिस तरह सीटों को कम करने की बात कही जा रही है, उसे बेरोजगारों का प्रतियोगी परीक्षाओं से विश्वास उठ रहा है. वैसे तो हाईकोर्ट के आदेश के बाद ऐसा किया जा रहा है, लेकिन यदि वन विभाग इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखने के बाद ही अधियाचन भेजता और कानूनी अड़चनों का समय से समाधान करता तो शायद यह स्थिति ना आती.

इस मामले को लेकर ईटीवी भारत ने वन विभाग में मानव संसाधन की जिम्मेदारी देख रहे मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने बैठक का हवाला देते हुए बात करने से इनकार कर दिया.

सिस्टम की खामियों का बेरोजगारों को भुगतना होगा हर्जाना

देहरादून: उत्तराखंड में ऐसे कई मामले हैं, जिनमें सिस्टम की नाकामी और खामियों का हर्जाना बेरोजगार युवाओं को भुगतना पड़ता है. ताजा मामला वन दरोगाओं की भर्ती से जुड़ा है, जहां सिस्टम की नाकामी के कारण सैकड़ों युवाओं का वन दारोगा बनने का सपना तोड़ दिया है. क्या है पूरा मामला जानिए.

उत्तराखंड में युवाओं को किस कदर प्रतियोगी परीक्षाओं में मुसीबत का सामना करना पड़ता है, यह बात किसी से छिपी नहीं है. समय से परीक्षा न होना, परीक्षा से पहले ही पेपर लीक हो जाना और परीक्षा केंद्रों में नकल का बोलबाला, ऐसी कई बातें हैं जो मेहनत करने के बाद परीक्षा केंद्रों पर पहुंचने वाले बेरोजगार युवाओं को ठगा सा महसूस करवाती है.
पढ़ें- Paper Leak: घोटालों की नदी से पकड़ी जा रही छोटी मछलियां, विपक्ष पूछे- मगरमच्छों पर कब होगा एक्शन?

युवाओं का वन दरोगा बनने का सपना टूटा: ताजा मामला वन दरोगाओं की भर्ती से जुड़ा है, जहां कई बेरोजगार युवाओं का वन दरोगा बनने का सपना टूटने जा रहा है. हाईकोर्ट के एक निर्णय के बाद तमाम बेरोजगार युवाओं को तगड़ा झटका लगा है, लेकिन विभागीय स्तर पर छोड़ी गई खामियों के कारण ही हाईकोर्ट को ऐसा फैसला करना पड़ा है, जो परीक्षा पास करने के बाद भी युवाओं को नौकरी से दूर रखने वाला है.

2019 का है मामला: दरअसल, पूरा मामला साल 2019 में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) के वन दरोगा के 316 पदों पर भर्ती के लिए दिए गए अधियाचन से शुरू होता है. 18 दिसंबर 2019 को विज्ञापन जारी किया गया और करीब 2 साल बाद 2021 जुलाई में ऑनलाइन परीक्षा करवाई गई.

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कई युवाओं का टूटेगा वन दरोगा बनने का सपना
पढ़ें- वन दरोगा भर्ती परीक्षा निरस्त होने के बाद सड़कों पर छात्र, बोले- आत्मदाह है आखिरी विकल्प

2023 में कराई गई परीक्षा: साल 2019 से ही सैकड़ों अभ्यर्थी इसमें शामिल होकर वन दरोगा बनने का सपना देखने लगे, लेकिन परीक्षा में नकल की पुष्टि होने के बाद परीक्षा को स्थगित कर, इसी साल साल 2023 में दोबारा इसके लिए परीक्षा करवाई गई. इसके बाद एक बार फिर कई युवाओं ने अपनी मेहनत के बल पर इस परीक्षा को पास कर लिया और अब अंतिम औपचारिकताओं को पूरा कर जॉइनिंग लेटर का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उनका सपना फिर से टूट गया है.

हुआ ये कि 316 युवा अभी रोजगार का इंतजार कर ही रहे थे कि उत्तराखंड वन विभाग के आरक्षी कर्मचारी संघ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए सीधी भर्ती के जरिये वन दरोगा के पद भरे जाने से उनके प्रमोशन की संभावनाएं खत्म होने को लेकर आपत्ति दर्ज कर दी. इसमें कहा गया कि पूर्व में वन दरोगा के 100 प्रतिशत पद प्रमोशन के जरिए ही भरे जाते थे. लेकिन साल 2018 में नई नियमावली लाकर इन पदों को सीधी भर्ती के जरिए भरने का प्रावधान कर दिया गया.
पढ़ें- उत्तराखंड वन विभाग में गठित होंगी ये कमेटियां, बेहतर काम करने वाले वनकर्मियों को मिलेगा अवॉर्ड

सिस्टम की गलती का खामियाजा भुगत रहे युवा: सरकार की तरफ से कमजोर पैरवी कहें या इस मामले में अधूरी तैयारी कि हाईकोर्ट ने भी सरकार को 316 पदों में से 211 पद प्रमोशन के जरिए भरे जाने के आदेश दे दिए. अब वन विभाग भी हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप 316 पदों में से 211 पद प्रमोशन के जरिए भरने को मजबूर है, लेकिन इस बीच बेरोजगार युवाओं में आक्रोश दिखाई दे रहा है. क्योंकि उन्हें लगता है कि वन विभाग ने अधियाचन 316 पदों के लिए भेजे और अब भर्ती केवल 105 पदों पर करने की तैयारी हो रही है. जाहिर है कि ऐसा होने से कई युवाओं का वन दरोगा बनने का सपना टूट जाएगा.

चयनित हुए अभ्यर्थियों की मांग: इस भर्ती परीक्षा में पास होने वाले कई अभ्यर्थी वन विभाग पहुंचकर अपनी आपत्ति दर्ज कर रहे हैं और जितने पदों पर अधियाचन भेजा गया और भर्ती प्रक्रिया को शुरू किया गया उतनी ही भर्ती किए जाने की मांग हो रही है. अभ्यर्थी कहते हैं कि एक ही समय में कई परीक्षाएं होती हैं और तमाम अभ्यर्थियों ने वन दरोगा भर्ती को चुना और बाकी कई परीक्षाएं छोड़ दी.
पढ़ें- वन दरोगा चयनित अभ्यर्थियों ने उठाई नियुक्ति की मांग, बोले 'नियुक्ति दो या जहर दो'

यही नहीं भर्ती परीक्षा में करीब 4 साल बाद उत्तीर्ण होने के बाद रोजगार की उम्मीद भी जगी, लेकिन जिस तरह सीटों को कम करने की बात कही जा रही है, उसे बेरोजगारों का प्रतियोगी परीक्षाओं से विश्वास उठ रहा है. वैसे तो हाईकोर्ट के आदेश के बाद ऐसा किया जा रहा है, लेकिन यदि वन विभाग इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखने के बाद ही अधियाचन भेजता और कानूनी अड़चनों का समय से समाधान करता तो शायद यह स्थिति ना आती.

इस मामले को लेकर ईटीवी भारत ने वन विभाग में मानव संसाधन की जिम्मेदारी देख रहे मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने बैठक का हवाला देते हुए बात करने से इनकार कर दिया.

Last Updated : Aug 28, 2023, 3:52 PM IST
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