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उत्तराखंड में सरकारी विभागों में सर्विस के लिए 20 ड्रोन कंपनियां होंगी सूचीबद्ध, जानें भविष्य की संभावनाएं और चुनौतियां

Drone industry will start in Uttarakhand उत्तराखंड सरकार द्वारा कैबिनेट में ड्रोन पॉलिसी लाने के बाद अब सभी विभाग एक इंटीग्रेटेड सिस्टम पर काम कर रहे हैं. जिसके तहत उत्तराखंड के सभी विभागों में ड्रोन सर्विस के लिए आईटीडीए द्वारा 7 अलग-अलग कैटेगरी में 20 कंपनियों को इन सेवाओं के इम्पैनल किया जा रहा है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 11, 2023, 11:17 AM IST

Updated : Oct 11, 2023, 12:28 PM IST

उत्तराखंड में सरकारी विभागों में सर्विस के लिए 20 ड्रोन कंपनियां होंगी सूचीबद्ध

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने ड्रोन पॉलिसी को लाकर अपनी मंशा को साफ कर दिया है कि भविष्य में उत्तराखंड ड्रोन सेक्टर में एक अग्रणी राज्य बनकर सामने आएगा. भले ही आज उत्तराखंड सरकार ड्रोन पॉलिसी लेकर आई है, लेकिन राज्य में ड्रोन और इसकी संभावनाओं को लेकर पिछले कई सालों से काम किया जा रहा है. सरकार द्वारा पॉलिसी लेवल पर काम करने के बाद अब सभी विभागों को आपस में इंटीग्रेटेड कर ड्रोन सर्विसेज के लिए प्रोत्साहित करने और राज्य में ड्रोन सेवाओं को चैनेलाइज करने के लिए आईटीडीए द्वारा देश भर की 20 कंपनियों को सूचीबद्ध किया जाएगा. इसकी प्रक्रिया इस वक्त आईटीडीए में चल रही है और इस माह के आखिर तक निविदा प्रक्रिया के तहत देश की सर्वश्रेष्ठ 20 कंपनियां उत्तराखंड के अलग-अलग विभागों में अपनी सेवाएं देंगी.

Drone industry will start in uttarakhand
सरकारी विभागों में सर्विस के लिए 20 ड्रोन कंपनियां होंगी सूचीबद्ध

अक्टूबर तक सभी कंपनियां होंगी सूचीबद्ध: आईटीडीए से मिली जानकारी के अनुसार इस माह के आखिर तक इन सभी कंपनियों को सूचीबद्ध कर दिया जाएगा और दिसंबर या फिर जनवरी से यह कंपनियां उत्तराखंड में अपनी सेवाएं देना शुरू कर देंगी. वहीं अगर उत्तराखंड में ड्रोन सर्विस के लिए बाजार की बात करें, तो इस वक्त आईटीडीए के पास कई विभागों ने ड्रोन सर्विसेज के लिए प्रस्ताव भेजे हैं. जिसमें से सिडकुल ने तकरीबन अपनी सभी संपत्तियों के सर्वे और 3D मैपिंग के लिए आईटीडीए को प्रस्ताव भेजा है, जो कि तकरीबन 35 लाख का है. इसके अलावा स्टैंप एंड रजिस्ट्री डिपार्टमेंट और केदारनाथ रूट मैपिंग के लिए भी प्रस्ताव आईटीडीए के पास आए हैं.

Drone industry will start in Uttarakhand
इन क्षेत्रों में ड्रोन की संभावनाएं

ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग के लिए पॉलिसी स्तर पर बदलाव: उत्तराखंड में जिस तरह से सरकार अभी पहले ड्रोन इंडस्ट्री के लिए पोटेंशियल तलाश रही है, वहीं सरकार के तमाम विभाग ड्रोन सर्विसेज के लिए इंटीग्रेटेड तरीके से काम करने की रणनीति बना रहे हैं. इससे निश्चित तौर से उत्तराखंड में ड्रोन इंडस्ट्री के लिए एक नया बाजार खड़ा होगा. ऐसे में जब उत्तराखंड में कई ड्रोन कंपनियां अपनी सेवाएं देंगी और यहां पर अच्छा बाजार मिलेगा तो, निश्चित तौर से यहां पर ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की संभावनाएं भी खुलेंगी. इसी को लेकर उत्तराखंड सरकार ने पहले ही अपनी पॉलिसियों में तमाम तरह की राहत और तब्दीलियां की हैं. राज्य में ड्रोन इंडस्ट्री में निवेश करने वाले निवेदक को उत्तराखंड सरकार टैक्स डिबेट सहित यहां पर सस्ती लैंड और बिजली पानी के बिल में भी राहत दे रही है.

UTM की स्थापना पहली चुनौती: उत्तराखंड में ड्रोन सेक्टर को लेकर जितनी संभावनाएं जताई जा रही हैं, उन संभावनाओं को धरातल पर उतारने से पहले कई बड़ी चुनौतियां सामने खड़ी हैं. ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग और ड्रोन सर्विस में बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में ड्रोन सेवाओं के लिए एक अनुकूल माहौल होना बेहद जरूरी है. जिसके लिए ऑपरेशनल गतिविधियों पर काफी काम करने की जरूरत है. उत्तराखंड में ड्रोन सर्विसेज को अधिकृत रूप से संचालित करने के लिए UTM (Unmanned Aircraft System Traffic Management) की जरूरत है. जिसके लिए प्रदेश में ड्रोन फ्लाई के लिए कॉरिडोर बनाने और प्रदेश में मौजूद रेड जोन, येलो जोन और ग्रीन जोन के मैनेजमेंट की बेहद जरूरत है.

उत्तराखंड में उत्तर भारत का सबसे बड़ा रेड जोन: उत्तराखंड में ड्रोन सर्विसेज और मैन्युफैक्चरिंग को लेकर के भले अपार संभावनाओं की बात की जा रही है, लेकिन ड्रोन सेवाओं के ऑपरेशनल गतिविधियों के लिए निर्धारित फ्लाइंग जोन पर भी काम करने की बेहद जरूरत है. अगर हम मौजूद एयर स्पेस कि बात करें तो उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की वजह से एक बहुत बड़ा रेड जोन स्पेस बनता है. इसके अलावा उत्तराखंड से लगा इंटरनेशनल बॉर्डर भी अपने आप में एक रिस्ट्रिक्टेड रेड जोन एरिया है, जहां पर फ्लाइंग नहीं की जा सकती है.

फ्लाइंग जोन को तीन कैटेगरी में बांटा गया: दरअसल एयर स्पेस के मामले में फ्लाइंग जोन को तीन अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है. जिसमें पहले प्रतिबंधित क्षेत्र है, जो कि रेड जोन कहलाता है. इसमें ज्यादातर एयरपोर्ट डिफेंस कैंपस, अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर और संवेदनशील इमारतें आती हैं. यहां पर ड्रोन फ्लाई पूरी तरह से प्रतिबंधित होता है. वहीं इसके अलावा येलो जोन में संवेदनशील इलाके आते हैं. जिसमें सरकारी इमारतें और एयरपोर्ट के रेड जोन के बाहर का इलाका येलो जोन में आता है, लेकिन येलो जोन में जरूरी एप्रूवल्स के बाद फ्लाइंग की जा सकती है.

ये भी पढ़ें: जोशीमठ के लिए अहम है सैटेलाइट टाउन मॉडल, जानें कैसे होगी प्लानिंग

अब तक रेड जोन में देहरादून: इसके अलावा रेड जोन और येलो जोन को छोड़कर सभी जगह ग्रीन जोन में आती हैं, जहां पर ड्रोन फ्लाई किया जा सकता है. उत्तराखंड के संबंधन में अगर हम बात करें तो देहरादून पूरी तरह से अब तक रेड जोन में दिखाई पड़ता है. जिम कॉर्बेट की वजह से एक बड़ा क्षेत्र ड्रोन फ्लाई के लिए रेड जोन है. वहीं, उत्तराखंड से सटे चीन और नेपाल का बॉर्डर भी 25 किलोमीटर तक पूरी तरह से ड्रोन फ्लाई के लिए प्रतिबंधित यानी की रेड जोन है. हालांकि उत्तराखंड का एक बड़ा भूभाग ग्रीन जोन में भी आता है, जहां पर ड्रोन सर्विसेज का लाभ उठाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: 'नाला' बनी रिस्पना का पानी पीने तो छोड़िए नहाने लायक भी नहीं!, ETV BHARAT की टेस्टिंग रिपोर्ट देखिए

उत्तराखंड में सरकारी विभागों में सर्विस के लिए 20 ड्रोन कंपनियां होंगी सूचीबद्ध

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने ड्रोन पॉलिसी को लाकर अपनी मंशा को साफ कर दिया है कि भविष्य में उत्तराखंड ड्रोन सेक्टर में एक अग्रणी राज्य बनकर सामने आएगा. भले ही आज उत्तराखंड सरकार ड्रोन पॉलिसी लेकर आई है, लेकिन राज्य में ड्रोन और इसकी संभावनाओं को लेकर पिछले कई सालों से काम किया जा रहा है. सरकार द्वारा पॉलिसी लेवल पर काम करने के बाद अब सभी विभागों को आपस में इंटीग्रेटेड कर ड्रोन सर्विसेज के लिए प्रोत्साहित करने और राज्य में ड्रोन सेवाओं को चैनेलाइज करने के लिए आईटीडीए द्वारा देश भर की 20 कंपनियों को सूचीबद्ध किया जाएगा. इसकी प्रक्रिया इस वक्त आईटीडीए में चल रही है और इस माह के आखिर तक निविदा प्रक्रिया के तहत देश की सर्वश्रेष्ठ 20 कंपनियां उत्तराखंड के अलग-अलग विभागों में अपनी सेवाएं देंगी.

Drone industry will start in uttarakhand
सरकारी विभागों में सर्विस के लिए 20 ड्रोन कंपनियां होंगी सूचीबद्ध

अक्टूबर तक सभी कंपनियां होंगी सूचीबद्ध: आईटीडीए से मिली जानकारी के अनुसार इस माह के आखिर तक इन सभी कंपनियों को सूचीबद्ध कर दिया जाएगा और दिसंबर या फिर जनवरी से यह कंपनियां उत्तराखंड में अपनी सेवाएं देना शुरू कर देंगी. वहीं अगर उत्तराखंड में ड्रोन सर्विस के लिए बाजार की बात करें, तो इस वक्त आईटीडीए के पास कई विभागों ने ड्रोन सर्विसेज के लिए प्रस्ताव भेजे हैं. जिसमें से सिडकुल ने तकरीबन अपनी सभी संपत्तियों के सर्वे और 3D मैपिंग के लिए आईटीडीए को प्रस्ताव भेजा है, जो कि तकरीबन 35 लाख का है. इसके अलावा स्टैंप एंड रजिस्ट्री डिपार्टमेंट और केदारनाथ रूट मैपिंग के लिए भी प्रस्ताव आईटीडीए के पास आए हैं.

Drone industry will start in Uttarakhand
इन क्षेत्रों में ड्रोन की संभावनाएं

ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग के लिए पॉलिसी स्तर पर बदलाव: उत्तराखंड में जिस तरह से सरकार अभी पहले ड्रोन इंडस्ट्री के लिए पोटेंशियल तलाश रही है, वहीं सरकार के तमाम विभाग ड्रोन सर्विसेज के लिए इंटीग्रेटेड तरीके से काम करने की रणनीति बना रहे हैं. इससे निश्चित तौर से उत्तराखंड में ड्रोन इंडस्ट्री के लिए एक नया बाजार खड़ा होगा. ऐसे में जब उत्तराखंड में कई ड्रोन कंपनियां अपनी सेवाएं देंगी और यहां पर अच्छा बाजार मिलेगा तो, निश्चित तौर से यहां पर ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की संभावनाएं भी खुलेंगी. इसी को लेकर उत्तराखंड सरकार ने पहले ही अपनी पॉलिसियों में तमाम तरह की राहत और तब्दीलियां की हैं. राज्य में ड्रोन इंडस्ट्री में निवेश करने वाले निवेदक को उत्तराखंड सरकार टैक्स डिबेट सहित यहां पर सस्ती लैंड और बिजली पानी के बिल में भी राहत दे रही है.

UTM की स्थापना पहली चुनौती: उत्तराखंड में ड्रोन सेक्टर को लेकर जितनी संभावनाएं जताई जा रही हैं, उन संभावनाओं को धरातल पर उतारने से पहले कई बड़ी चुनौतियां सामने खड़ी हैं. ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग और ड्रोन सर्विस में बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में ड्रोन सेवाओं के लिए एक अनुकूल माहौल होना बेहद जरूरी है. जिसके लिए ऑपरेशनल गतिविधियों पर काफी काम करने की जरूरत है. उत्तराखंड में ड्रोन सर्विसेज को अधिकृत रूप से संचालित करने के लिए UTM (Unmanned Aircraft System Traffic Management) की जरूरत है. जिसके लिए प्रदेश में ड्रोन फ्लाई के लिए कॉरिडोर बनाने और प्रदेश में मौजूद रेड जोन, येलो जोन और ग्रीन जोन के मैनेजमेंट की बेहद जरूरत है.

उत्तराखंड में उत्तर भारत का सबसे बड़ा रेड जोन: उत्तराखंड में ड्रोन सर्विसेज और मैन्युफैक्चरिंग को लेकर के भले अपार संभावनाओं की बात की जा रही है, लेकिन ड्रोन सेवाओं के ऑपरेशनल गतिविधियों के लिए निर्धारित फ्लाइंग जोन पर भी काम करने की बेहद जरूरत है. अगर हम मौजूद एयर स्पेस कि बात करें तो उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की वजह से एक बहुत बड़ा रेड जोन स्पेस बनता है. इसके अलावा उत्तराखंड से लगा इंटरनेशनल बॉर्डर भी अपने आप में एक रिस्ट्रिक्टेड रेड जोन एरिया है, जहां पर फ्लाइंग नहीं की जा सकती है.

फ्लाइंग जोन को तीन कैटेगरी में बांटा गया: दरअसल एयर स्पेस के मामले में फ्लाइंग जोन को तीन अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है. जिसमें पहले प्रतिबंधित क्षेत्र है, जो कि रेड जोन कहलाता है. इसमें ज्यादातर एयरपोर्ट डिफेंस कैंपस, अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर और संवेदनशील इमारतें आती हैं. यहां पर ड्रोन फ्लाई पूरी तरह से प्रतिबंधित होता है. वहीं इसके अलावा येलो जोन में संवेदनशील इलाके आते हैं. जिसमें सरकारी इमारतें और एयरपोर्ट के रेड जोन के बाहर का इलाका येलो जोन में आता है, लेकिन येलो जोन में जरूरी एप्रूवल्स के बाद फ्लाइंग की जा सकती है.

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अब तक रेड जोन में देहरादून: इसके अलावा रेड जोन और येलो जोन को छोड़कर सभी जगह ग्रीन जोन में आती हैं, जहां पर ड्रोन फ्लाई किया जा सकता है. उत्तराखंड के संबंधन में अगर हम बात करें तो देहरादून पूरी तरह से अब तक रेड जोन में दिखाई पड़ता है. जिम कॉर्बेट की वजह से एक बड़ा क्षेत्र ड्रोन फ्लाई के लिए रेड जोन है. वहीं, उत्तराखंड से सटे चीन और नेपाल का बॉर्डर भी 25 किलोमीटर तक पूरी तरह से ड्रोन फ्लाई के लिए प्रतिबंधित यानी की रेड जोन है. हालांकि उत्तराखंड का एक बड़ा भूभाग ग्रीन जोन में भी आता है, जहां पर ड्रोन सर्विसेज का लाभ उठाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: 'नाला' बनी रिस्पना का पानी पीने तो छोड़िए नहाने लायक भी नहीं!, ETV BHARAT की टेस्टिंग रिपोर्ट देखिए

Last Updated : Oct 11, 2023, 12:28 PM IST
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