देहरादून: उत्तराखंड में गर्मी की तपिश बढ़ने के साथ ही पेयजल संकट भी गहराने लगा है. यह पेयजल संकट सिर्फ गर्मी की वजह से नहीं बल्कि बिजली कटौती की वजह से भी खड़ा हुआ है. जल संस्थान वर्तमान समय में प्रदेश भर में पेयजल आपूर्ति के लिए सुबह 2 घंटे और शाम को भी 2 घंटे की सप्लाई कर रहा है. जिससे प्रदेश भर में 988 एमएलडी के सापेक्ष मात्र 648 एमएलडी पानी की ही सप्लाई हो पा रही है. ऐसे में मांग के सापेक्ष कम पानी की सप्लाई होने से पेयजल की दिक्कत खड़ी होने लगी है. खासकर प्रदेश के बड़े शहरों में यह समस्याएं ज्यादा देखी जा रही हैं.
जून के महीने में हो रही भीषण गर्मी के चलते जहां एक ओर लोगों का जीना मुहाल हो गया है, तो वहीं पानी की कमी की वजह से लोगों के हलक भी सूखने लगे हैं. पिछले महीने तक हुई बारिश की वजह से पानी की किल्लत ज्यादा नहीं थी, लेकिन अब गर्मी बढ़ने के साथ पेयजल संकट भी गहराने लगा है. सिर्फ गर्मी की वजह से ही नहीं बल्कि विद्युत कटौती की वजह से भी पानी की पूरी सप्लाई नहीं हो पा रही है. प्रदेश भर में मांग के सापेक्ष 988 एमएलडी पानी की आवश्यकता है, लेकिन जल संस्थान मात्र 648 एमएलडी पानी सप्लाई कर पा रहा है.
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प्रदेश के सबसे बड़े शहर देहरादून में 288 एमएलडी पानी की आवश्यकता है. इसके सापेक्ष 241 एमएलडी पानी की सप्लाई हो रही है. उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की बात की जाए तो यहां अधिकांश लोग पानी के स्रोत पर ही निर्भर हैं, लेकिन गर्मी की वजह से स्रोतों में भी पानी का प्रतिशत कम हो रहा है. जिससे पेयजल संकट बढ़ रहा है. आने वाले दिनों में पेयजल संकट और अधिक बढ़ने की संभावना है. हालांकि इसके बाद भी जल संस्थान दावा कर रहा है कि उनके पास पर्याप्त संसाधन हैं.
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जल संस्थान के अधिकारियों के अनुसार विभाग के पास पर्याप्त संसाधन हैं. जिसके चलते प्रदेश में पेयजल की दिक्कत नहीं होगी. अगर किसी क्षेत्र से कोई शिकायत आती है तो उसका तत्काल समाधान किया जा रहा है. जल संस्थान की मुख्य महाप्रबंधक नीलिमा गर्ग का कहना है कि जल संस्थान में पेयजल आपूर्ति को लेकर सभी व्यवस्थाएं कर दी हैं. अब किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होगी. प्रदेश भर में पेयजल आपूर्ति के लिए 72 टैंकर लगाये गये हैं. इसके साथ ही 10 नए टैंकर भी मंगाए गए हैं. साथ ही जरूरत पड़ने पर किराए पर भी टैंकर मंगाए जाते हैं.
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उत्तराखंड में हर साल गर्मी का सीजन जैसे ही शुरू होता है तो पेयजल संकट भी गहराने लगता है. विभाग की पहले से ही पर्याप्त व्यवस्था न होने की वजह से लोगों को हर साल इस समस्या से जूझना पड़ता है. पहाड़ों में तो स्थिति इतनी ज्यादा खराब हो जाती हैं कि लोगों को पेयजल के लिए कई किलोमीटर पैदल पर्वतीय मार्गों से जल स्रोतों तक जाना पड़ता है. इन दिनों पहाड़ों पर गुलदार ने भी आतंक मचा रखा है. इससे ग्रामीण इलाकों में लोगों की दिक्कत और बढ़ गई है.
जल संस्थान के पास पेयजल आपूर्ति की वैकल्पिक व्यवस्था के तहत अपने 72 टैंकर हैं, जबकि जल संस्थान ने 219 किराए के टैंकर लिए हुए हैं. इनमें देहरादून में 14 अपने और 81 किराए के टैंकर शामिल हैं.