देहरादून: बजट सत्र के दौरान सदन में उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास की अचानक तबीयत खराब हुई तो प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज ने इलाज को लेकर हाथ खड़े कर दिए. स्थिति यह रही कि मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने कुछ देर परिवहन मंत्री का स्वास्थ्य परीक्षण किया और उसके फौरन बाद उन्हें हायर सेंटर में रेफर कर अपना पल्ला झाड़ लिया.
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्थिति दून मेडिकल कॉलेज जिसे प्रदेश का सबसे बड़ा और स्वास्थ्य सुविधाओं में सबसे बेहतर अस्पताल माना जाता है, वह भी सिर्फ रेफर सेंटर बनकर रह गया है. यह बात आज तब एक बार फिर कहीं जाने लगी जब उत्तराखंड के परिवहन मंत्री को दून मेडिकल कॉलेज ने पूर्ण स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं होने के चलते हायर सेंटर रेफर कर दिया.
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दरअसल, बुधवार को बजट सत्र के दौरान सदन में कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास को अचानक सांस लेने में दिक्कत होने लगी, तकलीफ ज्यादा बढ़ी तो मंत्री जी को तत्काल दून मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. हैरानी की बात यह है कि दून अस्पताल के डॉक्टर कैबिनेट मंत्री की स्थिति वैसे तो सामान्य बताते रहे थे, लेकिन फिर भी उन्हें हायर सेंटर भी रेफर कर दिया गया. इसके बाद उन्होंने देहरादून मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत सामान्य है.
खास बात यह है कि उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत और स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी सरकारी अस्पतालों के बेहतर होने के बड़े-बड़े दावे करते रहे हैं, लेकिन जब राजधानी में प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल कहे जाने वाले दून मेडिकल कॉलेज में ही इलाज को लेकर कैबिनेट मंत्री को निजी अस्पताल जाना पड़ा तो यहां पर आम लोगों की स्थिति आप आसानी से समझ सकते हैं.
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ईटीवी भारत ने जब इस संबंध में दून अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर केसी पंत से बात की तो उन्होंने कहा कि जब कैबिनेट मंत्री को अस्पताल लाया गया था तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत थी. साथ ही घबराहट की भी शिकायत थी. कुछ देर उन्हें चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया और इसके बाद उन्हें निजी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया.
सीएमएस डॉक्टर केसी पंत ने कहा कि कैबिनेट मंत्री के ईसीजी रिपोर्ट में कुछ बदलाव देखा जा रहा था और कार्डियोलॉजिस्ट के चारधाम ड्यूटी पर होने के कारण कैबिनेट मंत्री को निजी अस्पताल में रेफर करना पड़ा. अंदाजा लगाइए कि जब प्रदेश की राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल में ही सांस लेने में दिक्कत और घबराहट जैसी शिकायत के साथ कार्डिक से जुड़ी समस्या को लेकर कोई उपाय नहीं है तो प्रदेश के पहाड़ी जनपदों में इसकी उम्मीद करना बेमानी है.