डोइवाला: तहसील दिवस पर डोइवाला के ब्लॉक सभागर में खाली पड़ी कुर्सियां इस बात की गवाही दे रही हैं कि यहां की जनता का तहसील दिवस से मोहभंग हो गया है. डोइवाला में महीने में दो बार तहसील दिवस का आयोजन किया जाता है. लेकिन, तहसील दिवस पर अधिकारियों के सामने रखी गई समस्या का समाधान न होने के कारण डोइवाला की जनता का तहसील दिवस पर से भरोसा उठ गया है.
दरअसल, डोइवाला में जनता की समस्याएं सुनने और उसके समाधान के लिए महीने के पहले मंगलवार और तीसरे मंगलवार को ब्लॉक सभागार में तहसील दिवस का आयोजन किया जाता है. इस दौरान कई विभागों के अधिकतर अधिकारी मौजूद रहते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि तहसील दिवस में विभागीय अधिकारियों की उदासीनता और शिकायतों पर कार्रवाई न होने की वजह से उन्होंने अब तहसील दिवस से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है.
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अपनी शिकायत लेकर मंगलवार को ब्लॉक सभागार पहुंचे ग्रामीण भारत भूषण ने बताया कि 11 बजे के बाद भी कोई भी विभागीय अधिकारी इस तहसील दिवस में नहीं पहुंचा था. यही हाल पिछले तहसील दिवस में भी देखने को मिला था. उन्होंने कहा कि जब अधिकारी तहसील दिवस में आने की जहमत ही नहीं उठाते और पहुंचने वाले अधिकारी समस्याओं का समाधान नहीं करते. महज खानापूर्ति के लिए आयोजित होने वाले तहसील दिवस में पहुंचकर लोग अपना समय क्यों बर्बाद करें?
भारत भूषण ने बताया कि आज मंगलवार को आयोजित तहसील दिवस में भी एक दो विभागीय अधिकारी ही मौजूद थे. अधिकारियों का लापरवाह रवैया और शिकायत पर कार्रवाई न होने की वजह से क्षेत्रीय जनता ने तहसील दिवस में आना ही छोड़ दिया है. सामाजिक कार्यकर्ता उमेद बोरा ने बताया कि तहसील दिवस में लोगों के कम आने की वजह यह है कि डोइवाला में मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय खुल गया है. अब क्षेत्रीय जनता अपनी समस्याएं लेकर सीधे सीएम कैंप कार्यालय पहुंच रही है.
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वहीं, जनता की समस्याएं सुनने पहुंचे तहसीलदार शूरवीर सिंह राणा ने तहसील दिवस पर पहुंच रहे कम लोगों को सकारात्मक बताया. उन्होंने कहा कि लोगों की समस्याएं कम हो गई हैं, इसलिए इस तहसील दिवस पर ज्यादा लोग नहीं पहुंचे हैं.