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डोईवाला के सुधीर छेत्री की शहादत को भूली सरकार, 18 साल बाद परिजनों ने सरकार की ये मांग

साल 2002 में कुपवाड़ा में शहीद हुए डोईवाला के सुधीर छेत्री के परिजनों का कहना है कि सरकार उनके बेटे की शहादत को भूल गई है. शहीद की मां ने त्रिवेंद्र सरकार से मांग की है कि उनके बेटे के नाम पर किसी जगह का नाम रखा जाए, जिससे उनके बेटे की शहादत को याद किया जा सके.

Doiwala martyr news
डोईवाला शहीद न्यूज
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Published : Jul 1, 2020, 8:05 PM IST

डोईवाला: लच्छीवाला के सुधीर छेत्री 10 जुलाई 2002 को कुपवाड़ा में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे. 18 साल का समय बीत जाने के बाद भी शहीद के परिजन सरकार की उपेक्षा के शिकार हैं. शहीद के भाई ने ईटीवी भारत से अपना दर्द साझा करते हुए कहा कि 22 साल की आयु में सुधीर छेत्री ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का न्योछावर कर दिया, लेकिन सरकारी तंत्र और नेताओं ने अब तक उनके भाई को याद नहीं किया.

शहीद के भाई विजय छेत्री ने बताया कि साल 2002 में उनके भाई सुधीर छेत्री 4 आतंकवादियों को मौत के घाट उतारने के बाद खुद भी देश के लिए शहीद हो गए. उनके भाई 32 आरआर बटालियन में तैनात थे, लेकिन 18 साल बीत जाने के बावजूद भी उनके भाई के नाम से किसी भी जगह का नामकरण नहीं हुआ, जिसको लेकर उनके परिजन और क्षेत्रवासी बेहद नाराज हैं.

सुधीर छेत्री की शहादत को भूली सरकार

पढ़ें- फर्जी ट्रांसफर ऑर्डर मामला: परिवहन विभाग का बड़ा अधिकारी भी लपेटे में, मुख्य आरोपी गिरफ्तार

शहीद की मां कमला छेत्री ने बताया कि बेटे की शादी का समय होता है, उस समय उनका लाल देश के नाम शहीद हो गया, लेकिन सरकार की बेरुखी के चलते उनके बेटे को याद नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार ने उनकी बस एक ही मांग है कि उनके बेटे नाम पर किसी जगह का नाम रखा जाए, जिससे बेटे की शहादत को याद किया जा सके.

डोईवाला: लच्छीवाला के सुधीर छेत्री 10 जुलाई 2002 को कुपवाड़ा में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे. 18 साल का समय बीत जाने के बाद भी शहीद के परिजन सरकार की उपेक्षा के शिकार हैं. शहीद के भाई ने ईटीवी भारत से अपना दर्द साझा करते हुए कहा कि 22 साल की आयु में सुधीर छेत्री ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का न्योछावर कर दिया, लेकिन सरकारी तंत्र और नेताओं ने अब तक उनके भाई को याद नहीं किया.

शहीद के भाई विजय छेत्री ने बताया कि साल 2002 में उनके भाई सुधीर छेत्री 4 आतंकवादियों को मौत के घाट उतारने के बाद खुद भी देश के लिए शहीद हो गए. उनके भाई 32 आरआर बटालियन में तैनात थे, लेकिन 18 साल बीत जाने के बावजूद भी उनके भाई के नाम से किसी भी जगह का नामकरण नहीं हुआ, जिसको लेकर उनके परिजन और क्षेत्रवासी बेहद नाराज हैं.

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शहीद की मां कमला छेत्री ने बताया कि बेटे की शादी का समय होता है, उस समय उनका लाल देश के नाम शहीद हो गया, लेकिन सरकार की बेरुखी के चलते उनके बेटे को याद नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार ने उनकी बस एक ही मांग है कि उनके बेटे नाम पर किसी जगह का नाम रखा जाए, जिससे बेटे की शहादत को याद किया जा सके.

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