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सर्च इंजन पर फर्जी कस्टमर केयर नंबरों की भरमार, आप ऐसे रहें सावधान

इन दिनों देश भर में साइबर क्राइम की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. मोबाइल के जरिए ऐसे कई मैसेज आते हैं, जो एटीएम, बैंक अकाउंट के बारे में आपसे जानकारी हासिल करने की कोशिश करते हैं. साइबर अपराधी तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं.

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Published : Dec 16, 2020, 5:45 AM IST

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कहीं ये अपराध न हो जाए

देहरादून: आज के आधुनिक दौर में जब पूरी दुनिया डिजिटिलाइजेशन की तरफ भाग रही है, भारत देश में भी लोग तेजी से डिजिटल हो रहे हैं. जहां एक ओर डिजिटल दुनिया लोगों के लिए एक सुलभ और सुगम साधन बन गया है तो दूसरी ओर जिन्हें डिजिटल की ज्यादा जानकारियां नहीं है. ऐसे में उनके लिये एक बड़ी मुसीबत भी दस्तक दे रही है. ये मुसीबत है साइबर क्राइम.

हालांकि, साइबर क्राइम कोई नया अपराध नहीं है. पिछले एक दशक से सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को परेशान करना, ब्लैकमेल करना, ऑनलाइन फ्रॉड, बैंकों में जमा खाताधारकों के पैसों में सेंध लगाना आदि घटनाएं आमतौर पर सुनाई देती रही हैं. लेकिन वक्त के साथ साइबर अपराधियों ने फ्रॉड के मॉर्डन तरीके अपना लिए हैं. वहीं, कोरोना वायरस के चलते पूरी दुनिया में ऑनलाइन वर्क बढ़ गया है. इसी के चलते ऑनलाइन ठग भी अब ज्यादा सक्रिय हैं.

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टोल फ्री नंबर पर खेल.

सालों से चला रहा खातों से पैसे चुराने का खेल

बैंक खाताधारकों के खाते से पैसा चुराने के तमाम मामले देश के तमाम हिस्सों से देखे-सुने जा रहे हैं, जिसमें खास बात ये है कि देशभर में सक्रिय कुछ गैंग, बैंक खाताधारकों को फोन कर उनके बैंक खाता संबंधी जानकारियां हासिल करते हैं. फिर उनके खाते से पैसा चुरा लेते हैं. ये सिलसिला पिछले कई सालों से चला आ रहा है, लेकिन पुलिस की बढ़ती सक्रियता के बीच इन साइबर ठगों ने भी नए तरीके अपना लिये हैं.

आजकल हर प्रोडक्ट और सर्विस के लिए कस्टमर सविर्स उपलब्ध हैं. ऐसे में कोई दिक्कत होने पर लोग तत्काल कस्टमर सपोर्ट का नंबर खोजने लगते हैं. साइबर अपराधियों ने पहले से ही इंटरनेट पर कस्टमर सपोर्ट के नाम पर खुद का नंबर डाला हुआ है. लोग उसे ही कस्टमर सपोर्ट नंबर समझ कर कॉल कर देते हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक मामले के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां थोड़ी सी सावधानी बरती गई होती तो ठगी से बचा जा सकता था.

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साइबर ठगी का शिकार हुआ युवा.

सर्च इंजन पर टोल फ्री नंबर का खेल

ये मामला राजधानी देहरादून के धर्मपुर क्षेत्र से जुड़ा है. हुआ यूं कि 14 दिसंबर को सुरेश पैन्यूली (बदला हुआ नाम) को बैंक खातों में कुछ दिक्कतों के चलते गूगल पर पीएनबी का टोल फ्री नंबर सर्च किया. पहली ही सर्च में सामने उन्हें बैंक का नाम और उससे जुड़ा टोल फ्री कस्टमर केयर नंबर मिला. सुरेश ने उस नंबर पर कॉल किया और अपनी समस्या बताई. फोन कटने के बाद सुरेश को उनके नंबर पर मैसेज मिला कि उनके पीएनबी खाते से ₹51 हजार का ट्रांजैक्शन हुआ है. मैसेज देख सुरेश के होश उड़ गए. उन्होंने तुरंत देहरादून स्थित साइबर क्राइम स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. शिकायत मिलने के बाद तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करते हुए ठग के पटना बिहार स्थित पीएनबी खाते को फ्रीज कर दिया गया है.

दरअसल, हुआ ये कि सुरेश को इस बात की जानकारी नहीं थी कि जिस टोल फ्री नंबर पर वो फोन कर रहे हैं वो एक फर्जी नंबर है जो उनके खाते में सेंध लगा सकता है. जब उन्होंने बैंक के कस्टमर केयर नंबर पर फोन किया तो दूसरी तरफ पर फोन लाइन पर ठग ने बात की. खुद को बैंक अधिकारी बताने वाले ने उस ठग ने बैंक खाते से संबंधित गोपनीय जानकारी लेकर ₹51 हजार उड़ा लिये.

बैंक कस्टमर केयर से बात करने का सही तरीका

साइबर क्राइम जानकार बताते हैं कि डिजिटल पेमेंट एप्लिकेशन जैसे- गूगल पे, फोन पे, पेटीएम के सबसे ज्यादा फर्जी कस्टमर सपोर्ट नंबर इंटरनेट पर डाले गए हैं, जिससे कस्टमर खुद साइबर अपराधियों तक पहुंच रहे हैं. इसके साथ ही ग्राहकों को कभी भी इंटरनेट से मिले बैंक या ब्रांच नंबरों पर कॉल नहीं करना चाहिये. अगर बैंक टोल फ्री नंबर मालूम करना हो तो हमेशा संबंधित बैंक की आधिकारिक वेबसाइट से ही कॉन्टेक्ट और ब्रांच की सूचना लें.

ये भी पढे़ं: सावधान! आपकी गाढ़ी कमाई पर हैकरों की नजर, फ्रॉड से बचाएंगे यह टिप्स

इसके अलावा अपने कार्ड की जानकारी खुद तक ही सीमित रखें. अपने बैंक डिटेल्स जैसे- पासवर्ड (Password), पिन (PIN), ओटीपी (OTP), सीवीवी (CVV), यूपीआई-पिन (UPI-PIN) आदि की जानकारी सिर्फ खुद को होनी चाहिए और न बैंक इनको मांगता है.

फ्रॉड होने पर क्या करें

आरबीआई की 2017-18 की गाइडलाइन के मुताबिक, धोखाधड़ी की सूचना दर्ज कराने के बाद ट्रांजेक्शन की पूरी जिम्मेदारी बैंक पर होती है. धोखाधड़ी होने पर अपने बैंक के संबंधित अधिकारी को तुरंत सूचित करें. इसके अलावा कस्टमर केयर सेंटर पर सूचना दर्ज कराएं और दर्ज सूचना का नंबर भविष्य के लिए सुरक्षित रखें, ताकि बैंक आपके पैसे आपको रिफंड कर सके. यदि तय प्रक्रिया के मुताबिक संबंधित बैंक को सूचित नहीं किया गया तो जिम्मेदारी उपभोक्ता की होती है. इस स्थिति में बैंक पर रिफंड करने की कानूनी बाध्यता लागू नहीं होती.

ये भी पढ़ें :त्योहारी सीजन में संभलकर करें ONLINE शॉपिंग, साइबर ठगी से बचा सकती हैं ये TIPS

उत्तराखंड पुलिस हेल्पलाइन

अगर किसी भी व्यक्ति के पास इस तरह के फोन कॉल्स आते हैं तो उन्हें चाहिए कि वह ऐसे कॉल्स को इग्नोर करें. ऐसे तमाम बढ़ते मामलों को देखते हुए उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन ने किसी भी साइबर संबंधी शिकायत या सुझाव के लिए 0135-2655900 नंबर जारी किया है जिस पर अपना शिकायत या फिर सुझाव दे सकते हैं. इसके साथ ही ccps.deh@uttarakhandpolice.uk.gov.in पर ईमेल भी कर सकते हैं.

देहरादून: आज के आधुनिक दौर में जब पूरी दुनिया डिजिटिलाइजेशन की तरफ भाग रही है, भारत देश में भी लोग तेजी से डिजिटल हो रहे हैं. जहां एक ओर डिजिटल दुनिया लोगों के लिए एक सुलभ और सुगम साधन बन गया है तो दूसरी ओर जिन्हें डिजिटल की ज्यादा जानकारियां नहीं है. ऐसे में उनके लिये एक बड़ी मुसीबत भी दस्तक दे रही है. ये मुसीबत है साइबर क्राइम.

हालांकि, साइबर क्राइम कोई नया अपराध नहीं है. पिछले एक दशक से सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को परेशान करना, ब्लैकमेल करना, ऑनलाइन फ्रॉड, बैंकों में जमा खाताधारकों के पैसों में सेंध लगाना आदि घटनाएं आमतौर पर सुनाई देती रही हैं. लेकिन वक्त के साथ साइबर अपराधियों ने फ्रॉड के मॉर्डन तरीके अपना लिए हैं. वहीं, कोरोना वायरस के चलते पूरी दुनिया में ऑनलाइन वर्क बढ़ गया है. इसी के चलते ऑनलाइन ठग भी अब ज्यादा सक्रिय हैं.

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टोल फ्री नंबर पर खेल.

सालों से चला रहा खातों से पैसे चुराने का खेल

बैंक खाताधारकों के खाते से पैसा चुराने के तमाम मामले देश के तमाम हिस्सों से देखे-सुने जा रहे हैं, जिसमें खास बात ये है कि देशभर में सक्रिय कुछ गैंग, बैंक खाताधारकों को फोन कर उनके बैंक खाता संबंधी जानकारियां हासिल करते हैं. फिर उनके खाते से पैसा चुरा लेते हैं. ये सिलसिला पिछले कई सालों से चला आ रहा है, लेकिन पुलिस की बढ़ती सक्रियता के बीच इन साइबर ठगों ने भी नए तरीके अपना लिये हैं.

आजकल हर प्रोडक्ट और सर्विस के लिए कस्टमर सविर्स उपलब्ध हैं. ऐसे में कोई दिक्कत होने पर लोग तत्काल कस्टमर सपोर्ट का नंबर खोजने लगते हैं. साइबर अपराधियों ने पहले से ही इंटरनेट पर कस्टमर सपोर्ट के नाम पर खुद का नंबर डाला हुआ है. लोग उसे ही कस्टमर सपोर्ट नंबर समझ कर कॉल कर देते हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक मामले के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां थोड़ी सी सावधानी बरती गई होती तो ठगी से बचा जा सकता था.

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साइबर ठगी का शिकार हुआ युवा.

सर्च इंजन पर टोल फ्री नंबर का खेल

ये मामला राजधानी देहरादून के धर्मपुर क्षेत्र से जुड़ा है. हुआ यूं कि 14 दिसंबर को सुरेश पैन्यूली (बदला हुआ नाम) को बैंक खातों में कुछ दिक्कतों के चलते गूगल पर पीएनबी का टोल फ्री नंबर सर्च किया. पहली ही सर्च में सामने उन्हें बैंक का नाम और उससे जुड़ा टोल फ्री कस्टमर केयर नंबर मिला. सुरेश ने उस नंबर पर कॉल किया और अपनी समस्या बताई. फोन कटने के बाद सुरेश को उनके नंबर पर मैसेज मिला कि उनके पीएनबी खाते से ₹51 हजार का ट्रांजैक्शन हुआ है. मैसेज देख सुरेश के होश उड़ गए. उन्होंने तुरंत देहरादून स्थित साइबर क्राइम स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. शिकायत मिलने के बाद तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करते हुए ठग के पटना बिहार स्थित पीएनबी खाते को फ्रीज कर दिया गया है.

दरअसल, हुआ ये कि सुरेश को इस बात की जानकारी नहीं थी कि जिस टोल फ्री नंबर पर वो फोन कर रहे हैं वो एक फर्जी नंबर है जो उनके खाते में सेंध लगा सकता है. जब उन्होंने बैंक के कस्टमर केयर नंबर पर फोन किया तो दूसरी तरफ पर फोन लाइन पर ठग ने बात की. खुद को बैंक अधिकारी बताने वाले ने उस ठग ने बैंक खाते से संबंधित गोपनीय जानकारी लेकर ₹51 हजार उड़ा लिये.

बैंक कस्टमर केयर से बात करने का सही तरीका

साइबर क्राइम जानकार बताते हैं कि डिजिटल पेमेंट एप्लिकेशन जैसे- गूगल पे, फोन पे, पेटीएम के सबसे ज्यादा फर्जी कस्टमर सपोर्ट नंबर इंटरनेट पर डाले गए हैं, जिससे कस्टमर खुद साइबर अपराधियों तक पहुंच रहे हैं. इसके साथ ही ग्राहकों को कभी भी इंटरनेट से मिले बैंक या ब्रांच नंबरों पर कॉल नहीं करना चाहिये. अगर बैंक टोल फ्री नंबर मालूम करना हो तो हमेशा संबंधित बैंक की आधिकारिक वेबसाइट से ही कॉन्टेक्ट और ब्रांच की सूचना लें.

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इसके अलावा अपने कार्ड की जानकारी खुद तक ही सीमित रखें. अपने बैंक डिटेल्स जैसे- पासवर्ड (Password), पिन (PIN), ओटीपी (OTP), सीवीवी (CVV), यूपीआई-पिन (UPI-PIN) आदि की जानकारी सिर्फ खुद को होनी चाहिए और न बैंक इनको मांगता है.

फ्रॉड होने पर क्या करें

आरबीआई की 2017-18 की गाइडलाइन के मुताबिक, धोखाधड़ी की सूचना दर्ज कराने के बाद ट्रांजेक्शन की पूरी जिम्मेदारी बैंक पर होती है. धोखाधड़ी होने पर अपने बैंक के संबंधित अधिकारी को तुरंत सूचित करें. इसके अलावा कस्टमर केयर सेंटर पर सूचना दर्ज कराएं और दर्ज सूचना का नंबर भविष्य के लिए सुरक्षित रखें, ताकि बैंक आपके पैसे आपको रिफंड कर सके. यदि तय प्रक्रिया के मुताबिक संबंधित बैंक को सूचित नहीं किया गया तो जिम्मेदारी उपभोक्ता की होती है. इस स्थिति में बैंक पर रिफंड करने की कानूनी बाध्यता लागू नहीं होती.

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उत्तराखंड पुलिस हेल्पलाइन

अगर किसी भी व्यक्ति के पास इस तरह के फोन कॉल्स आते हैं तो उन्हें चाहिए कि वह ऐसे कॉल्स को इग्नोर करें. ऐसे तमाम बढ़ते मामलों को देखते हुए उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन ने किसी भी साइबर संबंधी शिकायत या सुझाव के लिए 0135-2655900 नंबर जारी किया है जिस पर अपना शिकायत या फिर सुझाव दे सकते हैं. इसके साथ ही ccps.deh@uttarakhandpolice.uk.gov.in पर ईमेल भी कर सकते हैं.

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