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सालों से लंबित डीएलएड प्रशिक्षित शिक्षकों की मांग, औपबंधिक शिक्षामित्रों के समान दिया जाए वेतन

उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए शिक्षामित्रों का विशेष योगदान रहा है फिर चाहे ठेठ पहाड़ी गांव हो या फिर मैदानी जिले जहां सरकार ने शिक्षामित्रों को नियुक्त करके शिक्षा विभाग को बेहतर बनाने का कार्य किया है. प्रदेश की बात करें तो यहां करीब 466 शिक्षामित्र हैं, जो राज्य के हर जनपद में तैनात हैं.

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सालों से लंबित डीएलएड प्रशिक्षित शिक्षकों की मांग
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Published : Nov 8, 2022, 6:06 PM IST

Updated : Nov 8, 2022, 9:48 PM IST

देहरादून: डीएलएड प्रशिक्षत शिक्षामित्र सालों से अपनी लंबित मांगों को लेकर शासन-प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं. लेकिन सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता नहीं दिखा रही है. डीएलएड प्रशिक्षित शिक्षामित्रों का कहना है कि वह विगत कई वर्षों से दुर्गम अति दुर्गम राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में तैनात हैं. ऐसे में उन्हें भी औपबंधिक शिक्षामित्रों के समान वेतन और हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर नियुक्ति दी जाए.

गौरतलब है कि 9 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस है. ऐसे में डीएलएड शिक्षामित्रों को प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी से उम्मीद है कि मुख्यमंत्री स्थापना दिवस के मौके पर समान कार्य समान वेतन और स्थाई नियुक्ति की घोषणा करेंगे. राजधानी देहरादून पहुंचे डीएलएड प्रशिक्षित शिक्षामित्रों का कहना है कि बीते रोज उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से हुई है और उन्होंने आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों पर जल्द फैसला लिया जाएगा.

सालों से लंबित डीएलएड प्रशिक्षित शिक्षकों की मांग.

पढ़ें- हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई के लिए कितनी तैयार है उत्तराखंड सरकार, विपक्ष कर रहा प्रहार

बता दें कि उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए शिक्षामित्रों का विशेष योगदान रहा है फिर चाहे ठेठ पहाड़ी गांव हो या फिर मैदानी जिले जहां सरकार ने शिक्षामित्रों को नियुक्त करके शिक्षा विभाग को बेहतर बनाने का कार्य किया है. प्रदेश की बात करें तो यहां करीब 466 शिक्षामित्र हैं, जो राज्य के हर जनपद में तैनात हैं.

संगठन का कहना है कि वह पिछले 20 वर्षों से शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, बावजूद इसके सरकार उनका वेतनमान नहीं बढ़ा रही है. शिक्षामित्रों को कहना है कि औपबंधिक शिक्षामित्रों को 50 हजार रुपए वेतनमान यह जाता है जबकि समान वेतन भोगियों को ₹20000 दिए जाते हैं जबकि समान योग्यता होने के बावजूद उन्हें भी समान वेतन दिया जाए.

देहरादून: डीएलएड प्रशिक्षत शिक्षामित्र सालों से अपनी लंबित मांगों को लेकर शासन-प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं. लेकिन सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता नहीं दिखा रही है. डीएलएड प्रशिक्षित शिक्षामित्रों का कहना है कि वह विगत कई वर्षों से दुर्गम अति दुर्गम राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में तैनात हैं. ऐसे में उन्हें भी औपबंधिक शिक्षामित्रों के समान वेतन और हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर नियुक्ति दी जाए.

गौरतलब है कि 9 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस है. ऐसे में डीएलएड शिक्षामित्रों को प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी से उम्मीद है कि मुख्यमंत्री स्थापना दिवस के मौके पर समान कार्य समान वेतन और स्थाई नियुक्ति की घोषणा करेंगे. राजधानी देहरादून पहुंचे डीएलएड प्रशिक्षित शिक्षामित्रों का कहना है कि बीते रोज उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से हुई है और उन्होंने आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों पर जल्द फैसला लिया जाएगा.

सालों से लंबित डीएलएड प्रशिक्षित शिक्षकों की मांग.

पढ़ें- हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई के लिए कितनी तैयार है उत्तराखंड सरकार, विपक्ष कर रहा प्रहार

बता दें कि उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए शिक्षामित्रों का विशेष योगदान रहा है फिर चाहे ठेठ पहाड़ी गांव हो या फिर मैदानी जिले जहां सरकार ने शिक्षामित्रों को नियुक्त करके शिक्षा विभाग को बेहतर बनाने का कार्य किया है. प्रदेश की बात करें तो यहां करीब 466 शिक्षामित्र हैं, जो राज्य के हर जनपद में तैनात हैं.

संगठन का कहना है कि वह पिछले 20 वर्षों से शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, बावजूद इसके सरकार उनका वेतनमान नहीं बढ़ा रही है. शिक्षामित्रों को कहना है कि औपबंधिक शिक्षामित्रों को 50 हजार रुपए वेतनमान यह जाता है जबकि समान वेतन भोगियों को ₹20000 दिए जाते हैं जबकि समान योग्यता होने के बावजूद उन्हें भी समान वेतन दिया जाए.

Last Updated : Nov 8, 2022, 9:48 PM IST
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