देहरादून: आपदा प्रबंधन विभाग के एक सुझाव ने इन दिनों शिक्षा महकमे की नींद उड़ा दी है. मामला उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों के भवनों से जुड़ा है. जिस पर आपदा प्रबंधन विभाग ने 5 साल के सर्वे के बाद एक रिपोर्ट तैयार की है. क्या है यह सर्वे जानिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट में.
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उत्तराखंड के सरकारी स्कूल यूं तो इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से बेहद कमजोर माने जाते हैं, लेकिन मूलभूत जरूरतों के लिहाज से शिक्षा महकमे की लाचारी इस कदर बढ़ जाएगी कि मासूम बच्चों की जान पर बन आएगी, ये तो किसी ने सोचा तक नहीं होगा. आपदा प्रबंधन विभाग की रिपोर्ट ने शिक्षा महकमे की ऐसी ही एक तस्वीर को सामने लाया है.
बता दें कि वर्ल्ड बैंक के एक प्रोजेक्ट पर काम करते हुए आपदा प्रबंधन विभाग पिछले 5 साल से उत्तराखंड के तमाम भवनों का सर्वे कर रहा है. शिक्षा महकमे के अंतर्गत आने वाले सरकारी स्कूलों के भवनों का भी इन 5 सालों के दौरान विभाग ने सर्वे किया. सर्वे में पाया कि उत्तराखंड में 60 प्रतिशत से भी ज्यादा सरकारी स्कूलों के भवन भूकंप के लिहाज से बेहद कमजोर है. हालत यह है कि एक भी बड़ा भूकंप प्रदेश के करीब 65 प्रतिशत स्कूलों को ढहा सकता है.
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आपदा प्रबंधन विभाग के सर्वे में कई और चौंकाने वाली बातें सामने आई है. जिसकी रिपोर्ट शिक्षा महकमे को दे दी गई है. रिपोर्ट में आपदा विभाग की और से कुछ सुझाव भी दिए गए हैं, ताकि आने वाले खतरे से बचा जा सके. आपदा प्रबंधन विभाग के इस सर्वे में क्या रहा खास इसे भी समझिए.
सर्वे से जुड़ी जरुरी बातें
- उत्तराखंड के करीब 12000 से ज्यादा स्कूलों पर आपदा प्रबंधन विभाग ने ये सर्वे किया.
- राज्य के करीब 9000 से ज्यादा स्कूल मूलभूत जरुरतों के लिहाज से खराब स्थिति में मिले.
- करीब 600 से ज्यादा स्कूलों की हालत बहुत ज्यादा खराब.
- उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील जोन 5 में आता है.
- उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग ने सैकड़ों स्कूलों को खाली करने के सुझाव भी दिए हैं.
- सरकारी स्कूलों को भूकंप के लिहाज से सुरक्षित बनाने के लिए करीब 100 करोड़ से ज्यादा का बजट चाहिए .
वर्ल्ड बैंक के प्रोजेक्ट के लिहाज से आपदा प्रबंधन विभाग ने सर्वे तो कर दिया है और इसको लेकर सुझाव भी शिक्षा महकमे को दे दिए हैं, लेकिन अब जरुरत है कि इन सुझावों पर जल्द से जल्द काम किया जाए, ताकि आने वाले खतरे से बचा जा सके.