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उत्तराखंड में रेड अलर्ट: अगले 4 दिन होगी भारी बारिश, 400 जगह JCB तैनात

उत्तराखंड में मौसम विभाग ने रेड अलर्ट (red alert of meteorological department in uttarakhand) जारी किया है. जिसके बाद से आपदा प्रबंधन विभाग एक्शन में है. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग (Uttarakhand Disaster Management Department) ने हालात को देखते हुए यात्रा मार्गों के साथ ही अन्य 400 जगहों पर जेसीबी मशीनें (JCB machines installed at 400 places in Uttarakhand) लगाई हैं. इसके साथ ही प्रदेश में पांच जगहों पर एनडीआरएफ (NDRF deployed at five places in Uttarakhand) की तैनाती भी की गई है. प्रदेश में 9 जनपदों में स्कूलों को एहतियात के तौर पर बंद किया गया है.

Disaster Management Department in Action
उत्तराखंड में रेड अलर्ट के बाद एक्शन में आपदा प्रबंधन विभाग
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Published : Jul 20, 2022, 3:49 PM IST

Updated : Jul 20, 2022, 5:27 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में अगले 24 घंटे मौसम (Weather in Uttarakhand) के लिहाज से काफी संवेदनशील हैं. मौसम विभाग ने बागेश्वर, पिथौरागढ़, चंपावत, नैनीताल, देहरादून, हरिद्वार, टिहरी, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, उत्तरकाशी जैसे जनपदों में भारी से बहुत भारी बारिश को लेकर रेड अलर्ट (red alert of meteorological department in uttarakhand ) जारी किया है. प्रदेश के आपदा सचिव ने भी मौसम विभाग के अलर्ट के चलते सभी जिलाधिकारियों को उचित दिशा-निर्देश दिए हैं. प्रदेश में मौसम के रेड अलर्ट के बाद क्या हैं आपदा प्रबंधन विभाग (Uttarakhand Disaster Management Department) की तैयारियां आइये आपको बताते हैं.

प्रदेश में मौसम के लिए लिहाज से जारी हुए रेड अलर्ट के बाद आपदा सचिव रंजीत सिन्हा (Disaster Management Secretary Ranjit Sinha) ने कहा कि मैदानी और पहाड़ी जनपदों में जिलाधिकारियों को उचित निर्देश दे दिये गये हैं. मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा रहता है, इसलिए राफ्ट और बोट की व्यवस्था पहले से की गई है. सभी जिलाधिकारियों को खाद्य सामग्री पहले से ही दूरस्थ क्षेत्रों में पहुंचाने के लिए कहा गया है. आपदा नियंत्रण सचिव का कहना है कि पहाड़ी जनपदों में लैंड स्लाइड और सड़कें बंद होने की दिक्कतें होती हैं, जिसके लिए भी उचित व्यवस्था की गई है.

उत्तराखंड में रेड अलर्ट

पढ़ें-चमोली में फूलों की घाटी के मुख्य पड़ाव घांघरिया में टूटा पहाड़, देखिए VIDEO

9 जनपदों में स्कूल बंद: उत्तराखंड में भारी बारिश के हालात को देखते हुए 9 जनपदों में स्कूलों को बंद किया गया है. मौसम विभाग के रेड अलर्ट के बाद ही सभी जिलाधिकारियों ने अपने जिलों की स्थिति के हिसाब से स्कूलों में छुट्टी घोषित की है. आपदा सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया प्रदेश में 500 से 1000 ऐसे स्कूल हैं जिनके भवन क्षतिग्रस्त हैं. बारिश के दौरान इन भवनों को खतरा हो सकता है, इसलिए शिक्षा विभाग की ओर से भी इस पर उचित निर्देश दिए गए हैं.

पांच जगहों पर एनडीआरएफ तैनात: आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने जानकारी दी है कि प्रदेश में एनडीआरएफ की तैनाती पांच जगह पर की गई है. देहरादून के झाझरा, उत्तरकाशी जनपद ,अल्मोड़ा जनपद, उधम सिंह नगर के गदरपुर और रुद्रप्रयाग जनपद में एनडीआरएफ की टीमों को तैनात किया गया है. जरूरत के हिसाब से एनडीआरएफ को संवेदनशील क्षेत्रों में भेजा जाएगा. इसके साथ ही प्रदेश में एसडीआरएफ की 42 टीमों को तैनात किया गया है. एसडीआरएफ की एक टीम में 8 लोगों की संख्या होती है. जिस क्षेत्र में जहां जरूरत होगी वहां इन्हें भेजा जाएगा.

पढ़ें- उत्तराखंड में आज भारी बारिश का अलर्ट, बरतें विशेष सावधानी

लगाई गई 400 जेसीबी मशीनें: उत्तराखंड में मौसम के अलर्ट को देखते हुए प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में सड़कें बंद होने पर पहले से ही 400 से ज्यादा जेसीबी मशीनें लगाई गई हैं. जेसीबी मशीनों को जीपीएस से लैस किया गया है. जिससे किसी भी क्षेत्र में सड़क बंद होने पर कम्युनिकेशन करने में आसानी हो. इसके साथ ही एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को भी सभी क्षेत्रों में तैनात किया गया है.

प्रदेश में अगले 4 दिन भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है. मौसम विभाग के अलर्ट को देखते हुए उत्तराखंड के जल विद्युत परियोजनाओं से संबंधित डैम प्रबंधन को भी इसके लिए सूचित किया गया है. सचिव आपदा प्रबंधन का कहना है कि उत्तराखंड जल विद्युत निगम, एनटीपीसी, एनएचपीसी, टीएसडीसी सभी को इस संदर्भ में निर्देश दिए गए हैं. डैम में जल स्तर बढ़ने पर सभी आपदा प्रबंधन तंत्र को सूचना देंगे. अगर किसी भी टाइम में खतरे के निशान से ऊपर पानी बढ़ता है तो निचले इलाके के लोगों को पहले से ही सूचित किया जाएगा. जरूरत पड़ने पर लोगों को शिफ्ट भी किया जा सकता है.

पढ़ें- उत्तराखंड में इतने लैंडस्लाइड क्यों हो रहे? खोखली होती जा रहीं पहाड़ियां

बंद नहीं होगी कांवड़ यात्रा: आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा का कहना है कि प्रदेश में कांवड़ यात्रा को बंद नहीं किया जाएगा लेकिन भारी बारिश के अलर्ट को देखते हुए कांवड़ और चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को प्रशासन के नियमों का पालन करना होगा. मौसम के हिसाब से सभी जगह पर शासन निर्देश भी दे रहा है. जिसका पालन कांवड़ यात्रियों को करना होगा. पहाड़ी और मैदानी जिलों में स्थिति को देखते हुए प्रशासन फैसले लेगा. जिस हिसाब से ही यात्रा संचालित होगी.

डोईवाला में डरा रही सुसुआ नदी: पहाड़ों पर हो रही बारिश से डोईवाला की सुसुआ नदी का जलस्तर बढ़ा है. जिसके बाद नदी का रुख सैनिक कॉलोनी की ओर हो गया है. जिससे लोगों में दहशत का माहौल है. यहां लोग रात को जागकर छत पर चढ़कर पानी का उतार चढ़ाव देखने में लगे हैं. ग्रामीणों का कहना है शासन प्रशासन को कई बार लिखने और समस्या को बताने के बाद भी कोई स्थाई समाधान नहीं हो पा रहा है. केवल एक जेसीबी मशीन को लगाकर विभाग ने इति श्री कर दी है. 25 से 30 परिवारों पर सुसुआ नदी के बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. वहीं बीडीसी सदस्य प्रताप सिंह बिष्ट ने बताया कि पूरे मामले से विधायक और संबंधित विभाग के अधिकारियों को लिखा जा चुका है. ग्रामीण स्थाई समाधान की मांग कर रहे हैं.

मामले में सिचाई विभाग के एसडीओ योगेश्वर प्रसाद ने बताया कि पुश्ते निर्माण के लिए बजट बनाकर भेजा गया है. जिसमें पुश्ता निर्माण, चैनलाइजेशन के लिए भी विभाग को आवेदन दिया गया है. जैसे ही बजट मिलता है काम को शुरू करवा दिया जायेगा.

पढ़ें- देहरादून में वाटरफॉल पर पिकनिक मनाने गए थे 11 लोग, अचानक तेज बहाव में फंसे, देखें वीडियो

कुमाऊं कमिश्नर ने भी दिये निर्देश: कुमाऊं में भी लगातार हो रही बारिश से नदी नाले उफान पर हैं. भारी बारिश के रेड अलर्ट को देखते हुए आम जनता को नदी और नालों के किनारे ना जाने की सलाह दी गई है. दूसरी तरफ कुमाऊं कमिश्नर ने सभी जिला अधिकारियों और पुलिस प्रशासन को नदी और नालों के किनारे साइनेज लगाने के निर्देश दिए हैं. जिससे आम जनता को वहां जाने से रोका जा सके. पहाड़ों में हो रही बारिश के बाद गौला नदी का भी जलस्तर बढ़ने लगा है. हालांकि, गौला नदी का जलस्तर अभी करीब 1100 क्यूसेक के आसपास है. बावजूद इसके गौला किनारे रहने वाले लोगों और निचले इलाके में रह रहे लोगों को चेतावनी जारी कर दी गई है. इसके अलावा जल पुलिस को भी 24 घंटे गौला बैराज में अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए गए हैं.

देहरादून: उत्तराखंड में अगले 24 घंटे मौसम (Weather in Uttarakhand) के लिहाज से काफी संवेदनशील हैं. मौसम विभाग ने बागेश्वर, पिथौरागढ़, चंपावत, नैनीताल, देहरादून, हरिद्वार, टिहरी, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, उत्तरकाशी जैसे जनपदों में भारी से बहुत भारी बारिश को लेकर रेड अलर्ट (red alert of meteorological department in uttarakhand ) जारी किया है. प्रदेश के आपदा सचिव ने भी मौसम विभाग के अलर्ट के चलते सभी जिलाधिकारियों को उचित दिशा-निर्देश दिए हैं. प्रदेश में मौसम के रेड अलर्ट के बाद क्या हैं आपदा प्रबंधन विभाग (Uttarakhand Disaster Management Department) की तैयारियां आइये आपको बताते हैं.

प्रदेश में मौसम के लिए लिहाज से जारी हुए रेड अलर्ट के बाद आपदा सचिव रंजीत सिन्हा (Disaster Management Secretary Ranjit Sinha) ने कहा कि मैदानी और पहाड़ी जनपदों में जिलाधिकारियों को उचित निर्देश दे दिये गये हैं. मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा रहता है, इसलिए राफ्ट और बोट की व्यवस्था पहले से की गई है. सभी जिलाधिकारियों को खाद्य सामग्री पहले से ही दूरस्थ क्षेत्रों में पहुंचाने के लिए कहा गया है. आपदा नियंत्रण सचिव का कहना है कि पहाड़ी जनपदों में लैंड स्लाइड और सड़कें बंद होने की दिक्कतें होती हैं, जिसके लिए भी उचित व्यवस्था की गई है.

उत्तराखंड में रेड अलर्ट

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9 जनपदों में स्कूल बंद: उत्तराखंड में भारी बारिश के हालात को देखते हुए 9 जनपदों में स्कूलों को बंद किया गया है. मौसम विभाग के रेड अलर्ट के बाद ही सभी जिलाधिकारियों ने अपने जिलों की स्थिति के हिसाब से स्कूलों में छुट्टी घोषित की है. आपदा सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया प्रदेश में 500 से 1000 ऐसे स्कूल हैं जिनके भवन क्षतिग्रस्त हैं. बारिश के दौरान इन भवनों को खतरा हो सकता है, इसलिए शिक्षा विभाग की ओर से भी इस पर उचित निर्देश दिए गए हैं.

पांच जगहों पर एनडीआरएफ तैनात: आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने जानकारी दी है कि प्रदेश में एनडीआरएफ की तैनाती पांच जगह पर की गई है. देहरादून के झाझरा, उत्तरकाशी जनपद ,अल्मोड़ा जनपद, उधम सिंह नगर के गदरपुर और रुद्रप्रयाग जनपद में एनडीआरएफ की टीमों को तैनात किया गया है. जरूरत के हिसाब से एनडीआरएफ को संवेदनशील क्षेत्रों में भेजा जाएगा. इसके साथ ही प्रदेश में एसडीआरएफ की 42 टीमों को तैनात किया गया है. एसडीआरएफ की एक टीम में 8 लोगों की संख्या होती है. जिस क्षेत्र में जहां जरूरत होगी वहां इन्हें भेजा जाएगा.

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लगाई गई 400 जेसीबी मशीनें: उत्तराखंड में मौसम के अलर्ट को देखते हुए प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में सड़कें बंद होने पर पहले से ही 400 से ज्यादा जेसीबी मशीनें लगाई गई हैं. जेसीबी मशीनों को जीपीएस से लैस किया गया है. जिससे किसी भी क्षेत्र में सड़क बंद होने पर कम्युनिकेशन करने में आसानी हो. इसके साथ ही एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को भी सभी क्षेत्रों में तैनात किया गया है.

प्रदेश में अगले 4 दिन भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है. मौसम विभाग के अलर्ट को देखते हुए उत्तराखंड के जल विद्युत परियोजनाओं से संबंधित डैम प्रबंधन को भी इसके लिए सूचित किया गया है. सचिव आपदा प्रबंधन का कहना है कि उत्तराखंड जल विद्युत निगम, एनटीपीसी, एनएचपीसी, टीएसडीसी सभी को इस संदर्भ में निर्देश दिए गए हैं. डैम में जल स्तर बढ़ने पर सभी आपदा प्रबंधन तंत्र को सूचना देंगे. अगर किसी भी टाइम में खतरे के निशान से ऊपर पानी बढ़ता है तो निचले इलाके के लोगों को पहले से ही सूचित किया जाएगा. जरूरत पड़ने पर लोगों को शिफ्ट भी किया जा सकता है.

पढ़ें- उत्तराखंड में इतने लैंडस्लाइड क्यों हो रहे? खोखली होती जा रहीं पहाड़ियां

बंद नहीं होगी कांवड़ यात्रा: आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा का कहना है कि प्रदेश में कांवड़ यात्रा को बंद नहीं किया जाएगा लेकिन भारी बारिश के अलर्ट को देखते हुए कांवड़ और चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को प्रशासन के नियमों का पालन करना होगा. मौसम के हिसाब से सभी जगह पर शासन निर्देश भी दे रहा है. जिसका पालन कांवड़ यात्रियों को करना होगा. पहाड़ी और मैदानी जिलों में स्थिति को देखते हुए प्रशासन फैसले लेगा. जिस हिसाब से ही यात्रा संचालित होगी.

डोईवाला में डरा रही सुसुआ नदी: पहाड़ों पर हो रही बारिश से डोईवाला की सुसुआ नदी का जलस्तर बढ़ा है. जिसके बाद नदी का रुख सैनिक कॉलोनी की ओर हो गया है. जिससे लोगों में दहशत का माहौल है. यहां लोग रात को जागकर छत पर चढ़कर पानी का उतार चढ़ाव देखने में लगे हैं. ग्रामीणों का कहना है शासन प्रशासन को कई बार लिखने और समस्या को बताने के बाद भी कोई स्थाई समाधान नहीं हो पा रहा है. केवल एक जेसीबी मशीन को लगाकर विभाग ने इति श्री कर दी है. 25 से 30 परिवारों पर सुसुआ नदी के बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. वहीं बीडीसी सदस्य प्रताप सिंह बिष्ट ने बताया कि पूरे मामले से विधायक और संबंधित विभाग के अधिकारियों को लिखा जा चुका है. ग्रामीण स्थाई समाधान की मांग कर रहे हैं.

मामले में सिचाई विभाग के एसडीओ योगेश्वर प्रसाद ने बताया कि पुश्ते निर्माण के लिए बजट बनाकर भेजा गया है. जिसमें पुश्ता निर्माण, चैनलाइजेशन के लिए भी विभाग को आवेदन दिया गया है. जैसे ही बजट मिलता है काम को शुरू करवा दिया जायेगा.

पढ़ें- देहरादून में वाटरफॉल पर पिकनिक मनाने गए थे 11 लोग, अचानक तेज बहाव में फंसे, देखें वीडियो

कुमाऊं कमिश्नर ने भी दिये निर्देश: कुमाऊं में भी लगातार हो रही बारिश से नदी नाले उफान पर हैं. भारी बारिश के रेड अलर्ट को देखते हुए आम जनता को नदी और नालों के किनारे ना जाने की सलाह दी गई है. दूसरी तरफ कुमाऊं कमिश्नर ने सभी जिला अधिकारियों और पुलिस प्रशासन को नदी और नालों के किनारे साइनेज लगाने के निर्देश दिए हैं. जिससे आम जनता को वहां जाने से रोका जा सके. पहाड़ों में हो रही बारिश के बाद गौला नदी का भी जलस्तर बढ़ने लगा है. हालांकि, गौला नदी का जलस्तर अभी करीब 1100 क्यूसेक के आसपास है. बावजूद इसके गौला किनारे रहने वाले लोगों और निचले इलाके में रह रहे लोगों को चेतावनी जारी कर दी गई है. इसके अलावा जल पुलिस को भी 24 घंटे गौला बैराज में अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए गए हैं.

Last Updated : Jul 20, 2022, 5:27 PM IST
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