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डिजिटल इंडिया अभियान को लगा पलीता, RTO दफ्तर में रखी लाखों फाइलों को कुतर रहे चूहे - digital india campaign derailed at rto dehradun

राजधानी देहरादून स्थित आरटीओ विभाग में बीते दिनों कर्मचारियों की हड़ताल और उसके बाद लॉकडाउन के कारण फाइलों का कंप्यूटरीकरण न होने से फाइलों का अंबार लगा हुआ है.

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आरटीओ कार्यालय में फाइलों का अंबार
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Published : Aug 9, 2020, 3:37 PM IST

Updated : Aug 9, 2020, 3:49 PM IST

देहरादून : आरटीओ विभाग में पुराने वाहनों के करीब दस लाख फाइलों के कंप्यूटरीकरण के लिए जनवरी में टेंडर प्रक्रिया शुरू तो हो गई थी, लेकिन फरवरी में कर्मचारियों की हड़ताल और उसके बाद लॉकडाउन के कारण फाइलों का कंप्यूटरीकरण होना अटक गया है. वर्तमान में कार्यालय में अलाम यह है कि सात महीने बीत जाने के बाद फाइलों का अंबार जैसा था वैसा ही बना हुआ है. हालांकि, आरटीओ ने 10 कर्मचारियों की डिमांड मुख्यालय में भेजी थी, जो अब तक पूरी नहीं हुई है. साथ ही अब तक विभाग किसी कंपनी का चयन भी नहीं कर पाई है, जो फाइलों का डाटा स्कैन कर कंप्यूटरीकरण कर सके.

बता दें कि अगस्त 2019 में परिवहन सचिव शैलेश बगोली ने आरटीओ कार्यलय का निरीक्षण किया था. उन्होंने निरीक्षण के दौरान पाया था कि निचले स्तर पर फाइलों को चूहे कुतर रहे थे, यही नहीं पहली मंजिल पर गैलरी में भी फाइलों का ढेर के ढेर लगे हुए थे. जिस पर परिवहन सचिव ने नाराजगी जताते हुए फाइलों के रखरखाव की व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद विभाग ने कंप्यूटरीकरण का प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय भेजा था.

ये भी पढ़ें: कैप्टन दीपक साठे ने देहरादून से की थी स्कूलिंग, केरल विमान हादसे में जान देकर बचाई 170 जिंदगियां

आरटीओ कार्यालय में वर्तमान में ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण से लेकर फिटनेस सहित सभी कार्य ऑनलाइन हो चुके हैं, लेकिन यह दस लाख फाइलें पहले की पड़ी हैं जब ऑनलाइन व्यवस्था नही थी.

ये भी पढ़ें: कोर्ट ने शरद चंद्र मिश्रा समेत पूरे परिवार को किया बरी, परमार्थ निकेतन प्रबंधक ने लगाए थे आरोप

आरटीओ दिनेश चंद पठोई ने बताया कि लॉकडाउन हो जाने के कारण इस प्रक्रिया में देर हुआ है. वर्तमान में आरटीओ कार्यालय में धीरे-धीरे काम शुरू हो गया है और पांच कंपनियों ने आवेदन किए है. कंपनी चयन के बाद फैले फाइलों का कंप्यूटरीकरण करने में करीब एक साल का समय लगेगा.

देहरादून : आरटीओ विभाग में पुराने वाहनों के करीब दस लाख फाइलों के कंप्यूटरीकरण के लिए जनवरी में टेंडर प्रक्रिया शुरू तो हो गई थी, लेकिन फरवरी में कर्मचारियों की हड़ताल और उसके बाद लॉकडाउन के कारण फाइलों का कंप्यूटरीकरण होना अटक गया है. वर्तमान में कार्यालय में अलाम यह है कि सात महीने बीत जाने के बाद फाइलों का अंबार जैसा था वैसा ही बना हुआ है. हालांकि, आरटीओ ने 10 कर्मचारियों की डिमांड मुख्यालय में भेजी थी, जो अब तक पूरी नहीं हुई है. साथ ही अब तक विभाग किसी कंपनी का चयन भी नहीं कर पाई है, जो फाइलों का डाटा स्कैन कर कंप्यूटरीकरण कर सके.

बता दें कि अगस्त 2019 में परिवहन सचिव शैलेश बगोली ने आरटीओ कार्यलय का निरीक्षण किया था. उन्होंने निरीक्षण के दौरान पाया था कि निचले स्तर पर फाइलों को चूहे कुतर रहे थे, यही नहीं पहली मंजिल पर गैलरी में भी फाइलों का ढेर के ढेर लगे हुए थे. जिस पर परिवहन सचिव ने नाराजगी जताते हुए फाइलों के रखरखाव की व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद विभाग ने कंप्यूटरीकरण का प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय भेजा था.

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आरटीओ कार्यालय में वर्तमान में ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण से लेकर फिटनेस सहित सभी कार्य ऑनलाइन हो चुके हैं, लेकिन यह दस लाख फाइलें पहले की पड़ी हैं जब ऑनलाइन व्यवस्था नही थी.

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आरटीओ दिनेश चंद पठोई ने बताया कि लॉकडाउन हो जाने के कारण इस प्रक्रिया में देर हुआ है. वर्तमान में आरटीओ कार्यालय में धीरे-धीरे काम शुरू हो गया है और पांच कंपनियों ने आवेदन किए है. कंपनी चयन के बाद फैले फाइलों का कंप्यूटरीकरण करने में करीब एक साल का समय लगेगा.

Last Updated : Aug 9, 2020, 3:49 PM IST
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