देहरादून: उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड (Devasthanam Board) के गठन के बाद से ही लगातार तीर्थ पुरोहितों का विरोध जारी है. मार्च में प्रदेश की कमान संभालने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पर पुनर्विचार करने की बात कही थी. लेकिन जब तक इस मामले पर कोई फैसला होता, उससे पहले ही राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हो गया. ऐसे में एक बार फिर से आस जगी है कि धामी सरकार देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पर बड़ा फैसला ले सकती है.
प्रदेश की कमान संभालने के बाद पुष्कर सिंह धामी लगातार साहसिक और बड़े निर्णय ले रहे हैं. इसी क्रम में अब सरकार ने यह इशारा दे दिया है कि जल्द ही चारधाम देवस्थानम बोर्ड को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है. उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है कि चारधाम देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार किया जाएगा. साथ ही कहा कि अभी धामी सरकार को बने कुछ ही दिन हुए हैं, लेकिन यह तय है कि देवस्थानम बोर्ड पर कोई ठोस निर्णय लिया जाएगा. यही नहीं, तीर्थ पुरोहितों के हितों की रक्षा के लिए जो कदम उठाए जाने चाहिए वो कदम उठाए जाएंगे.
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क्या है चार धाम देवस्थानम एक्ट: साल 2019 में त्रिवेंद्र सरकार ने चारों धामों में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए चारधाम समेत कुल 51 मंदिरों के रखरखाव, बुनियादी सुविधाओं और ढांचागत सुविधाओं के लिए देवस्थानम बोर्ड का गठन किया. मुख्यमंत्री को इसका अध्यक्ष, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री को उपाध्यक्ष और गढ़वाल मंडल के मंडालायुक्त को CEO की जिम्मेदारी दी गई. मुख्य सचिव, पर्यटन सचिव, वित्त सचिव को इसका पदेन सदस्य नियुक्त किया गया.
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इसके अलावा भारत सरकार के संस्कृति विभाग के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को भी पदेन सदस्य नियुक्त किया गया. टिहरी रियायत के सदस्य को भी बोर्ड में नामित किया गया. सनातन धर्म का पालन करने वाले 3 सांसद और 6 विधायक भी बोर्ड में नामित होते हैं. इस बोर्ड का वास्तविक मकसद यात्रा की व्यवस्था को बेहतर किया जाना है.
लगातार हो रहा विरोध: उत्तराखंड के तीर्थ-पुरोहित चारधाम देवस्थानम बोर्ड को रद्द करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज (Kedarnath Teerth Purohit Samaj) ने कहा कि अगर सरकार द्वारा बनाया गया ये बोर्ड समाप्त नहीं किया गया तो विरोध प्रदर्शन और तेज किया जाएगा. देवस्थानम बोर्ड के विरोध में पुजारियों ने कहा कि इस बोर्ड के बनने से उनके अधिकारों का हनन हो रहा है.