देहरादूनः उत्तराखंड के शासकीय कॉलेजों में शोध को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बड़ी योजना शुरू की है. इसके तहत 'मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा शोध प्रोत्साहन योजना' को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है. इस योजना के तहत सचिव उच्च शिक्षा की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय 'शोध एवं विकास प्रकोष्ठ समिति' का गठन भी किया जाएगा. सचिव मुख्यमंत्री शैलेश बगोली की मानें तो शोध के लिए अधिकतम 15 लाख रुपए की अनुदान रखी गई है.
बता दें कि 'मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा शोध प्रोत्साहन योजना' के तहत मानविकी, सामाजिक विज्ञान, भाषा, साहित्य, पर्यावरण, ज्वलंत मुद्दों, उत्तराखंड विकास पर शोध, पर्यटन, परंपरागत विज्ञान, इंजीनियरिंग में उभरते क्षेत्रों में शिक्षण और शोध को प्रोत्साहित किया जाएगा. शोध के लिए व्यापक विषय क्षेत्र विज्ञान, कला एवं मानविकी, गृह विज्ञान, वाणिज्य प्रबंधन समेत अंतर्विषयक (Interdisciplinary) विषय क्षेत्र भी शामिल हैं.
इसके अलावा राज्य से संबंधित शोध विषयों को प्रोत्साहित करने के साथ ही विशिष्ट समस्या समाधान और क्रियात्मक शोध विषयों (Problem and Action Based Research Programmes) को प्राथमिकता दी जाएगी. इस योजना के तहत शासकीय, अशासकीय अनुदानित महाविद्यालयों और राज्य विश्वविद्यालय परिसरों में काम कर रहे नियमित वरिष्ठ अध्यापक और संबंधित संस्थानों में रेगुलर रूप से पढ़ाई कर रहे छात्रों को मौका मिलेगा.
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वहीं, मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा शोध प्रोत्साहन योजना के लिए ऑनलाइन समर्थ पोर्टल के माध्यम से आवेदन करना होगा. इस योजना के तहत सचिव उच्च शिक्षा की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय 'शोध एवं विकास प्रकोष्ठ समिति' का गठन भी होना है. सचिव मुख्यमंत्री शैलेश बगोली ने बताया कि शोध के लिए 15 लाख रुपए की अनुदान अधिकतम रखी गई है.
उन्होंने बताया कि अति महत्वपूर्ण शोध के लिए राज्य शोध एवं विकास प्रकोष्ठ समिति की सहमति के आधार पर 20 फीसदी तक बढ़ाते हुए 18 लाख रुपए तक अनुदान राशि दी जा सकती है. शोध की अनुदान राशि तीन किस्तों में दी जाएगी. यह अनुदान राशि संस्था के शोध एवं विकास प्रकोष्ठ के खाते में डीबीटी के माध्यम से दी जाएगी. शोध में सहयोगी के रूप में शामिल होने वाले छात्रों को हर महीने 5 हजार रुपए मानदेय भी दिया जाएगा.