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कोविड-19 के नए स्ट्रेन पर बड़ी लापरवाही, DG हेल्थ ने की देहरादून में पहले मामले की पुष्टि

सूत्रों के अनुसार जिस मरीज को कोरोना के नए स्ट्रेन से ग्रसित बताया जा रहा है, स्वास्थ्य विभाग काफी पहले ही उसका सैंपल ले चुका था. चौंकाने की बात यह है कि सैंपल लेने के करीब 18 दिनों बाद मरीज को आइसोलेट किया गया.

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Published : Jan 15, 2021, 10:12 PM IST

देहरादून: स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही का मामला सामने आ रही है. खबर कोरोना के नए स्ट्रेन से जुड़ी है, लिहाजा इसकी गंभीरता को भी आसानी से समझा जा सकता है. चौंकाने वाली बात यह है कि इतने गंभीर मामले को भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी दबाने की कोशिश करते रहे, हालांकि स्वास्थ्य महानिदेशक अमिता उप्रेती ने नए स्ट्रेन की अब पुष्टि कर दी है.

देहरादून में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी किस कदर लापरवाही कर रहे हैं, इसका आकलन कोरोना के नए स्ट्रेन के मरीज से किया जा सकता है. सबसे पहले तो स्वास्थ्य विभाग में कोविड-19 के नोडल अधिकारी डॉ. राजीव दीक्षित नए स्ट्रेन पर गुमराह करते रहे. उधर, मामला सामने आने के बाद देहरादून जिले के अधिकारियों ने जानकारी को दबाने के लिए गुमराह करना शुरू कर दिया. हालांकि स्वास्थ्य महानिदेशक अमिता उप्रेती ने देहरादून में कोरोना के नए स्ट्रेन की पुष्टि कर ही दी.

पढ़ें- कॉर्बेट पार्क में जल्द नजर आंएगे अफ्रीकी टाइगर, पर्यटन मंत्री ने एमपी CM को लिखा पत्र

बहरहाल, मामला यहीं तक सीमित नहीं है क्योंकि आरोप है कि इस मामले में मरीज को परेशान करने से लेकर नए स्ट्रेन के फैलने तक का इंतजार किया जाता रहा. सूत्रों के अनुसार जिस मरीज को कोरोना के नए स्ट्रेन से ग्रसित बताया जा रहा है, स्वास्थ्य विभाग काफी पहले ही उसका सैंपल ले चुका था. चौंकाने की बात यह है कि सैंपल लेने के करीब 18 दिनों बाद मरीज को आइसोलेट किया गया, जबकि खुद स्वास्थ्य महानिदेशक यह कह रही हैं कि 14 दिनों में ही वायरस खुद-ब-खुद खत्म हो जाता है.

पढ़ें-राम मंदिर निर्माण के लिए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दी सहयोग राशि

ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि यदि वाकई 18 दिनों बाद मरीज को आइसोलेट किया गया तो फिर स्वास्थ्य विभाग क्या कोरोना के नए स्ट्रेन के फैसले का इंतजार करता रहा. यदि 14 दिनों में ही वायरस खत्म हो जाता है तो फिर क्यों मरीज को संस्थागत आइसोलेशन में रखकर परेशान किया जा रहा है. हालांकि, इसका जवाब अब तक नहीं मिल पाया है.

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डॉ. राजीव दीक्षित से लेकर जिलाधिकारी देहरादून तक से कई बार फोन कर जानकारी लेने की कोशिश की गई, लेकिन शायद इनके पास इन सवालों का जवाब नहीं है. इसीलिए देहरादून जिले के अधिकारी कई बार संपर्क करने के बावजूद भी फोन नहीं उठा रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, अधिकारियों को आम लोगों के भी फोन पर समस्याओं का समाधान करने के निर्देश देते रहे हैं, लेकिन अधिकारी हैं कि किसी का फोन उठाने की जहमत तक नहीं उठाते.

देहरादून: स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही का मामला सामने आ रही है. खबर कोरोना के नए स्ट्रेन से जुड़ी है, लिहाजा इसकी गंभीरता को भी आसानी से समझा जा सकता है. चौंकाने वाली बात यह है कि इतने गंभीर मामले को भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी दबाने की कोशिश करते रहे, हालांकि स्वास्थ्य महानिदेशक अमिता उप्रेती ने नए स्ट्रेन की अब पुष्टि कर दी है.

देहरादून में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी किस कदर लापरवाही कर रहे हैं, इसका आकलन कोरोना के नए स्ट्रेन के मरीज से किया जा सकता है. सबसे पहले तो स्वास्थ्य विभाग में कोविड-19 के नोडल अधिकारी डॉ. राजीव दीक्षित नए स्ट्रेन पर गुमराह करते रहे. उधर, मामला सामने आने के बाद देहरादून जिले के अधिकारियों ने जानकारी को दबाने के लिए गुमराह करना शुरू कर दिया. हालांकि स्वास्थ्य महानिदेशक अमिता उप्रेती ने देहरादून में कोरोना के नए स्ट्रेन की पुष्टि कर ही दी.

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बहरहाल, मामला यहीं तक सीमित नहीं है क्योंकि आरोप है कि इस मामले में मरीज को परेशान करने से लेकर नए स्ट्रेन के फैलने तक का इंतजार किया जाता रहा. सूत्रों के अनुसार जिस मरीज को कोरोना के नए स्ट्रेन से ग्रसित बताया जा रहा है, स्वास्थ्य विभाग काफी पहले ही उसका सैंपल ले चुका था. चौंकाने की बात यह है कि सैंपल लेने के करीब 18 दिनों बाद मरीज को आइसोलेट किया गया, जबकि खुद स्वास्थ्य महानिदेशक यह कह रही हैं कि 14 दिनों में ही वायरस खुद-ब-खुद खत्म हो जाता है.

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ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि यदि वाकई 18 दिनों बाद मरीज को आइसोलेट किया गया तो फिर स्वास्थ्य विभाग क्या कोरोना के नए स्ट्रेन के फैसले का इंतजार करता रहा. यदि 14 दिनों में ही वायरस खत्म हो जाता है तो फिर क्यों मरीज को संस्थागत आइसोलेशन में रखकर परेशान किया जा रहा है. हालांकि, इसका जवाब अब तक नहीं मिल पाया है.

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डॉ. राजीव दीक्षित से लेकर जिलाधिकारी देहरादून तक से कई बार फोन कर जानकारी लेने की कोशिश की गई, लेकिन शायद इनके पास इन सवालों का जवाब नहीं है. इसीलिए देहरादून जिले के अधिकारी कई बार संपर्क करने के बावजूद भी फोन नहीं उठा रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, अधिकारियों को आम लोगों के भी फोन पर समस्याओं का समाधान करने के निर्देश देते रहे हैं, लेकिन अधिकारी हैं कि किसी का फोन उठाने की जहमत तक नहीं उठाते.

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