देहरादून/धनौल्टी: उत्तराखंड में डेंगू का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. ऐसे में अधिकांश जनपदों में डेंगू की मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. स्वास्थ्य महकमे के मुताबिक, अकेले देहरादून में ही 90 प्रतिशत डेंगू के मामले समाने आए हैं. वहीं, अब सूब में डेंगू पीड़ितों की संख्या 613 पहुंच गई है. वहीं, मैदानी इलाकों के बाद डेंगू पहाड़ी क्षेत्रों में भी पैर पसार रहा है. टिहरी के धनौल्टी में भी एक डेंगू से पीड़ित मरीज की पुष्टि हुई है. जिसका टिहरी अस्पताल में इलाज चल रहा है.
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बता दें कि डेंगू को लेकर स्वास्थ्य महकमे ने सभी जिला अस्पतालों को हाई अलर्ट पर रखा है. साथ ही सभी अस्पतालों में डेंगू पीड़ितों के लिए एक अलग वॉर्ड बनाने के लिए भी कहा है. ताकि डेंगू पीड़ितों को अस्पताल में बेहतर इलाज मुहैया कराया जा सके. वहीं, अबतक डेंगू से प्रदेश में तीन लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. राजधानी देहरादून की बात करें तो यहां सबसे अधिक 599 मरीजों में डेंगू पॉजिटिव पाया गया है. जिनका अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है.
वहीं, डेंगू से जागरुकता को लेकर स्वास्थ्य विभाग लगातार जागरुकता अभियान चला रहा है. जिसके तहत इन जागरुकता अभियान में सरकारी स्कूलों को भी शामिल किया गया है. इसी कड़ी में बुधवार को कण्डीसौड़ में स्कूली छात्र-छात्राओं ने बाजार में जन जागरूकता रैली निकालकर लोगों का डेंगू के प्रति जागरुक किया.
वहीं, जिला अस्पताल बौराड़ी के डॉ. अमित राय ने बताया कि बौराड़ी अस्पताल में डेंगू का इलाज उपलब्ध है और बेहतर तरीके से इलाज किया जा रहा है. साथ ही अभी जिले में एक मरीज में डेंगू की पुष्टि हुई है. साथ ही उन्होंने डेंगू से बचने के लिए अपने आस-पास गन्दा पानी जमा ना होने देने की अपील की है. क्योंकि डेंगू का मच्छर रुके हुये पानी में ही पनपता है.
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उधर, राजधानी में स्वास्थ्य विभाग की प्रभारी सचिव पंकज पांडे का कहना है कि डेंगू के मरीजों का ना तो सही आंकड़ा बता पा रहे हैं और न ही वह मौत के सरकारी आंकड़ों की पुष्टि कर पा रहे हैं. साफ बात यह है कि प्रभारी सचिव को मौजूदा हालातों की जानकारी नहीं है. ऐसे में डेंगू से खराब होते हालातों को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं.
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बहरहाल, डेंगू के बढ़ते मामलों से यह साफ है कि स्वास्थ्य महकमा इसकी रोकथाम करने में नाकामयाब साबित हुआ है. ऐसे में महकमे की फेलियर को मानने के बजाय विभागीय अधिकारी मामले को दबाने और छुपाने की ज्यादा कोशिश कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य महकमे की तरफ से कोई प्रयास न किए जा रहे हैं लेकिन आंकड़ों को लेकर स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया जा रहा है.