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उत्तराखंड: माउंट किलिमंजारो को फतह कर लौटीं देवयानी, मां गंगा का लिया आशीर्वाद

देवभूमि की बेटी देवयानी सेमवाल माउंट किलिमंजारो को फतह कर वापस लौट आईं हैं. इस दौरान उन्होंने मां गंगा की आरती में भाग लेकर आगे भी इसी तरह सफलता के लिए आशीर्वाद भी मांगा.

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Published : Aug 29, 2019, 4:10 PM IST

किलिमंजारो को फतह कर वापस लौटीं देवयानी

ऋषिकेश: माउंट किलिमंजारो को फतह कर देवयानी सेमवाल उत्तराखण्ड वापस लौट आईं हैं. इस दौरान सेमवाल को परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद ने रूद्राक्ष का पौधा देकर सम्मानित किया और भविष्य में आगे भी सफलतापूर्वक आरोहण कर फतह करने के लिये शुभकामनाएं दीं.

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किलिमंजारो को फतह कर वापस लौटीं देवयानी.
वहीं, स्वामी चिदानन्द का कहना है कि इसी सप्ताह भारत की बेटी स्टार शटलर पीवी सिंधु ने बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारत को पहला गोल्ड मेडल जीता और हिमा दास ने भारत को पांच गोल्ड मेडल दिलाए. इस जीत में जो पैसा मिला उसमें से आधा बाढ़ पीड़ितों की सेवा में लगा दिया. देवयानी सेमवाल ने अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो को फतह कर भारत के साथ उत्तराखंड का नाम भी रोशन किया.
उधर, उत्तराखंड वापस लौटीं देवयानी सेमवाल ने परमार्थ निकेतन की गंगा तट पर होने वाली दिव्य आरती में भाग लिया और आगामी आरोहणों के लिये मां गंगा से आशीर्वाद मांगा. इस दौरान देवयानी ने कहा कि बेटी किसी भी सूरत में बेटों से कम नहीं हैं. उन्होंने कहा कि आज बेटियां वो सब कुछ कर सकती हैं जो बेटे करते आ रहे हैं. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि आप सभी को जागरुक होना चाहिए. साथ ही बेटी और बेटों में फर्क न समझते हुए बेटियों को भी पूरी तरह से आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. ताकि वो अपना रास्ता खुद चुन सकें.

ऋषिकेश: माउंट किलिमंजारो को फतह कर देवयानी सेमवाल उत्तराखण्ड वापस लौट आईं हैं. इस दौरान सेमवाल को परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद ने रूद्राक्ष का पौधा देकर सम्मानित किया और भविष्य में आगे भी सफलतापूर्वक आरोहण कर फतह करने के लिये शुभकामनाएं दीं.

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किलिमंजारो को फतह कर वापस लौटीं देवयानी.
वहीं, स्वामी चिदानन्द का कहना है कि इसी सप्ताह भारत की बेटी स्टार शटलर पीवी सिंधु ने बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारत को पहला गोल्ड मेडल जीता और हिमा दास ने भारत को पांच गोल्ड मेडल दिलाए. इस जीत में जो पैसा मिला उसमें से आधा बाढ़ पीड़ितों की सेवा में लगा दिया. देवयानी सेमवाल ने अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो को फतह कर भारत के साथ उत्तराखंड का नाम भी रोशन किया.
उधर, उत्तराखंड वापस लौटीं देवयानी सेमवाल ने परमार्थ निकेतन की गंगा तट पर होने वाली दिव्य आरती में भाग लिया और आगामी आरोहणों के लिये मां गंगा से आशीर्वाद मांगा. इस दौरान देवयानी ने कहा कि बेटी किसी भी सूरत में बेटों से कम नहीं हैं. उन्होंने कहा कि आज बेटियां वो सब कुछ कर सकती हैं जो बेटे करते आ रहे हैं. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि आप सभी को जागरुक होना चाहिए. साथ ही बेटी और बेटों में फर्क न समझते हुए बेटियों को भी पूरी तरह से आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. ताकि वो अपना रास्ता खुद चुन सकें.
Intro:ऋषिकेश--माउंट किलिमंजारो फतह कर लौटी उत्तराखण्ड की बेटी देवयानी सेमवाल  को परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद ने रूद्राक्ष का पौधा देकर सम्मानित किया और भविष्य में सफलतापूर्वक आरोहण के लिये  शुभकामनाएं दी।


Body:वी/ओ--स्वामी चिदानन्द ने कहा कि इसी सप्ताह भारत की बेटी स्टार शाटलर पी वी सिंधु ने बैडमिंटन वॉर्ड चैंपियनशिप में भारत को पहला गोल्ड दिलाकर हम सभी को गौरवान्वित किया है। बेटी हिमा दास जिसने भारत को पाँच गोल्ड मेडल दिये और जो पैसा मिला उसमें से भी आधा पैसा बाढ़ पीडितों की सेवा में लगा दिया और देवयानी सेमवाल ने अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो को फतह कर उत्तराखण्ड, भारत का नाम रोशन किया यह है भारत की बेटियाँ। हमें गर्व है अपनी इन बेटियों पर वास्तव में ये बेटियाँ देश की शान और हमारा मान है,उन्होने कहा कि बेटियों को अवसर प्रदान करे ताकि उनकी कल्पना, कल्पना न रह जायें, उनका सपना, सपना न रह जायें उन्हें जीवन की हर ऊँचाई को छूने का अवसर प्रदान करे। उन्होनेे कहा कि आज के युग में बेटियों को ’’संरक्षण नहीं, संसाधन चाहियें’’ क्योंकि वे प्रतिभाशाली और अद्म्य साहसी हैं।


Conclusion:वी/ओ--माउंट किलिमंजारो फतह कर आयी देवयानी सेमवाल ने परमार्थ निकेतन गंगा तट पर होने वाली दिव्य आरती में सहभाग कर आगामी आरोहणों के लिये माँ गंगा का आशीर्वाद लिया, देवयानी ने कहा कि बेटी किसी भी सूरत में बेटों से कम नहीं है आज बेटियां वह सब कुछ कर सकती हैं जो बेटे करते आ रहे हैं यही कारण है कि आप सभी को जागरूक होना चाहिए और बेटी और बेटों में फर्क ना समझते हुए बेटियों को भी पूरी तरह से छूट देनी चाहिए ताकि वह अपना रास्ता खुद बना सके।
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