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वन पंचायतों को सशक्त करने में जुटा वन महकमा, बायोडायवर्सिटी हेरिटेज बनाने पर जोर - वन विभाग उत्तराखंड

प्रदेश में बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट स्थापित करने की तैयारी है. जिसमें विभिन्न पंचायतों के प्रस्ताव दिए गए हैं. इसी में से देवलसारी को भी चयनित किया गया है.

Rajiv Bharatri
राजीव भरतरी
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Published : Feb 26, 2021, 1:38 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में वन पंचायतों को सशक्त करने के लिए वन विभाग तीन मॉडल विकसित करने जा रहा है. इसके जरिए प्रदेश में 200 से ज्यादा वन पंचायतों को भविष्य में मजबूत करने में मदद मिल सकेगी. दरअसल, प्रदेश की विभिन्न वन पंचायतों को इको टूरिज्म और वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट के लिए वन विभाग प्रेरित करेगा. ताकि सभी वन पंचायतें इस दिशा में खुद को तैयार कर सकें.

वन पंचायतों को सशक्त करने में जुटा विभाग.
प्रदेश में वन क्षेत्र से जुड़ी पंचायतों के सामने कई बार वन नियम विकास कार्यों के लिए बाधा बन जाते हैं. ऐसी कई वन पंचायतें हैं, जहां पंचायतों के सशक्तिकरण को लेकर बेहद ज्यादा जरूरतें महसूस की जाती रही है. इसी दिशा में वन विभाग एक बड़ी पहल कर रहा है. राज्य में वन विभाग वन पंचायतों को ईको टूरिज्म से जोड़ने का प्लान तैयार कर रहा है. यही नहीं ऐसी पंचायतों को वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट के लिए भी प्रेरित किया जाएगा.

बता दें कि प्रदेश में बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट स्थापित करने के प्रयास जोर शोर से चल रहे हैं. इसके लिए वन विभाग 3 मॉडल विकसित करने की कोशिश कर रहा है. पहला मॉडल कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के उत्तरी भाग में स्थित रथोडाब होगा. जिसमें पक्षियों को देखने के लिए पर्यटक आ सकेंगे. दूसरा मॉडल देवलसारी का है जहां तितलियों का संसार है और यहां पर तितलियों को देखने के लिए पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकेगा. तीसरा मॉडल हर्षिल घाटी की वह 8 वनपंचायतें है जिनको स्नो लेपर्ड और वन्यजीवों को लेकर पर्यटकों के लिए बेहतर किया जाएगा. इसे विंटर टूरिज्म के रूप में विकसित करने की योजना है.

पढ़ें: आईएफएस संजीव चतुर्वेदी के आवेदन को खारिज करने के मामले में HC सख्त, मांगा जवाब

बता दें कि, प्रदेश में बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट स्थापित करने की तैयारी है. जिसमें विभिन्न पंचायतों के प्रस्ताव दिए गए हैं. इसी में से देवलसारी को भी चयनित किया गया है. यह माना जा रहा है कि आगामी अप्रैल तक हेरिटेज साइट के रूप में अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा.

देहरादून: उत्तराखंड में वन पंचायतों को सशक्त करने के लिए वन विभाग तीन मॉडल विकसित करने जा रहा है. इसके जरिए प्रदेश में 200 से ज्यादा वन पंचायतों को भविष्य में मजबूत करने में मदद मिल सकेगी. दरअसल, प्रदेश की विभिन्न वन पंचायतों को इको टूरिज्म और वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट के लिए वन विभाग प्रेरित करेगा. ताकि सभी वन पंचायतें इस दिशा में खुद को तैयार कर सकें.

वन पंचायतों को सशक्त करने में जुटा विभाग.
प्रदेश में वन क्षेत्र से जुड़ी पंचायतों के सामने कई बार वन नियम विकास कार्यों के लिए बाधा बन जाते हैं. ऐसी कई वन पंचायतें हैं, जहां पंचायतों के सशक्तिकरण को लेकर बेहद ज्यादा जरूरतें महसूस की जाती रही है. इसी दिशा में वन विभाग एक बड़ी पहल कर रहा है. राज्य में वन विभाग वन पंचायतों को ईको टूरिज्म से जोड़ने का प्लान तैयार कर रहा है. यही नहीं ऐसी पंचायतों को वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट के लिए भी प्रेरित किया जाएगा.

बता दें कि प्रदेश में बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट स्थापित करने के प्रयास जोर शोर से चल रहे हैं. इसके लिए वन विभाग 3 मॉडल विकसित करने की कोशिश कर रहा है. पहला मॉडल कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के उत्तरी भाग में स्थित रथोडाब होगा. जिसमें पक्षियों को देखने के लिए पर्यटक आ सकेंगे. दूसरा मॉडल देवलसारी का है जहां तितलियों का संसार है और यहां पर तितलियों को देखने के लिए पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकेगा. तीसरा मॉडल हर्षिल घाटी की वह 8 वनपंचायतें है जिनको स्नो लेपर्ड और वन्यजीवों को लेकर पर्यटकों के लिए बेहतर किया जाएगा. इसे विंटर टूरिज्म के रूप में विकसित करने की योजना है.

पढ़ें: आईएफएस संजीव चतुर्वेदी के आवेदन को खारिज करने के मामले में HC सख्त, मांगा जवाब

बता दें कि, प्रदेश में बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट स्थापित करने की तैयारी है. जिसमें विभिन्न पंचायतों के प्रस्ताव दिए गए हैं. इसी में से देवलसारी को भी चयनित किया गया है. यह माना जा रहा है कि आगामी अप्रैल तक हेरिटेज साइट के रूप में अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा.

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