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आंदोलनकारियों को 10% क्षैतिज आरक्षण को लेकर सुबोध उनियाल से मिला शिष्टमंडल - horizontal reservation

राज्य आंदोलनकारियों की ओर से 10% क्षैतिज आरक्षण दिए जाने की मांग लगातार की जा रही है. सीएम धामी ने इसको लेकर एक उप समिति की गठन किया है. सोमवार को राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान की अध्यक्षता में एक शिष्टमंडल ने उप समिति के अध्यक्ष वन मंत्री सुबोध उनियाल से मुलाकात की. इस दौरान 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण को लेकर वार्ता की.

Kshaitij Aarakshan
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Published : Dec 27, 2022, 3:11 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में राज्य आंदोलनकारियों को 10% क्षैतिज आरक्षण मामले पर पिछले कई साल से कोई भी सरकार अंतिम फैसला नहीं कर पाई है. धामी सरकार ने इस मामले पर तीन सदस्य उप समिति बनाई है, जिसमें कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, चंदन राम दास और सौरभ बहुगुणा शामिल हैं. उप समिति की अध्यक्षता कर रहे सुबोध उनियाल से आंदोलनकारियों के शिष्टमंडल ने मुलाकात कर इस मामले पर गंभीरता से विचार किया और जल्द से जल्द फैसला करने का अनुरोध किया.

बीते रोज सोमवार को करीब दोपहर ढाई बजे उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच का एक शिष्टमंडल, वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी एवं पूर्व राज्य मंत्री रविंद्र जुगरान के नेतृत्व में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के आवास पर यमुना कॉलोनी में मिला. इस दौरान उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों के 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण को लेकर उपसमिति के अध्यक्ष से वार्ता की.

रविंद्र जुगरान एवं प्रदीप कुकरेती ने वन मंत्री को अबतक के घटना क्रम से अवगत कराया, जिस पर वन मंत्री ने कहा कि सरकार राज्य आंदोलनकारियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण से कार्य कर रही है. इसीलिए मुख्यमंत्री ने राजभवन से विधेयक को वापस मंगाया है. इस पर सुबोध उनियाल ने कहा कि वो इस विधेयक का अध्ययन करेंगे. सुबोध उनियाल ने बताया कि राजभवन से विधेयक को एक बार वापस आने पर दोबारा सरकार राजभवन को भेजेगी, उसके बाद राजभवन को इसे पारित करना बाध्य हो जाएगा.

आंदोलनकारी मंच के प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती ने कहा कि वन मंत्री के साथ सकारात्मक वार्ता से राज्य आंदोलनकारी में लगातार प्रयास के बाद 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण पर पुनः लागू करने की बनी उम्मीद बनी है और अब गेंद सरकार के हाथ में है. राज्य बनने के समय से प्रथम मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी लेकर बहुगुणा तक के कार्यकाल तक आंदोलनकारियों को एक विशेष श्रेणी का दर्जा दिया गया है. अब मुख्यमंत्री पुष्कर धामी इसे जल्द लागू करेंगे, ऐसा सभी राज्य आंदोलनकारियों को आशा है. आपको बता दें कि बीते 23 दिसंबर को 4 सदस्यों का शिष्टमंडल वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से वार्ता कर चुका है.

ये भी पढ़ें- उत्तराखंड में खत्म हो गयी कोविशील्ड वैक्सीन, कैसे लगेगा बूस्टर डोज

उप समिति में कौन-कौन: मुख्यमंत्री ने राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण के निस्तारण के लिए तीन कैबिनेट मंत्रियों को लेकर एक उप समिति का गठन किया, जिसमें वन मंत्री सुबोध उनियाल समिति के अध्यक्ष है, जबकि परिवहन एवं समाज कल्याण मंत्री मंत्री चन्दन रामदास और पशुपालन एवं दुग्ध मंत्री सौरभ बहुगुणा समिति के सदस्य हैं. तो वहीं, शिष्टमंडल में मुख्य रूप से पूर्व राज्य मंत्री रविन्द्र जुगरान, सलाहकार ओमी उनियाल, राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रवक्ता व जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती, प्रदेश उपाध्यक्ष सतेन्द्र भंडारी, राजीव तलवार, मोहन खत्री जगदीश चौहान मौजूद रहे.

देहरादून: उत्तराखंड में राज्य आंदोलनकारियों को 10% क्षैतिज आरक्षण मामले पर पिछले कई साल से कोई भी सरकार अंतिम फैसला नहीं कर पाई है. धामी सरकार ने इस मामले पर तीन सदस्य उप समिति बनाई है, जिसमें कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, चंदन राम दास और सौरभ बहुगुणा शामिल हैं. उप समिति की अध्यक्षता कर रहे सुबोध उनियाल से आंदोलनकारियों के शिष्टमंडल ने मुलाकात कर इस मामले पर गंभीरता से विचार किया और जल्द से जल्द फैसला करने का अनुरोध किया.

बीते रोज सोमवार को करीब दोपहर ढाई बजे उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच का एक शिष्टमंडल, वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी एवं पूर्व राज्य मंत्री रविंद्र जुगरान के नेतृत्व में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के आवास पर यमुना कॉलोनी में मिला. इस दौरान उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों के 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण को लेकर उपसमिति के अध्यक्ष से वार्ता की.

रविंद्र जुगरान एवं प्रदीप कुकरेती ने वन मंत्री को अबतक के घटना क्रम से अवगत कराया, जिस पर वन मंत्री ने कहा कि सरकार राज्य आंदोलनकारियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण से कार्य कर रही है. इसीलिए मुख्यमंत्री ने राजभवन से विधेयक को वापस मंगाया है. इस पर सुबोध उनियाल ने कहा कि वो इस विधेयक का अध्ययन करेंगे. सुबोध उनियाल ने बताया कि राजभवन से विधेयक को एक बार वापस आने पर दोबारा सरकार राजभवन को भेजेगी, उसके बाद राजभवन को इसे पारित करना बाध्य हो जाएगा.

आंदोलनकारी मंच के प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती ने कहा कि वन मंत्री के साथ सकारात्मक वार्ता से राज्य आंदोलनकारी में लगातार प्रयास के बाद 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण पर पुनः लागू करने की बनी उम्मीद बनी है और अब गेंद सरकार के हाथ में है. राज्य बनने के समय से प्रथम मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी लेकर बहुगुणा तक के कार्यकाल तक आंदोलनकारियों को एक विशेष श्रेणी का दर्जा दिया गया है. अब मुख्यमंत्री पुष्कर धामी इसे जल्द लागू करेंगे, ऐसा सभी राज्य आंदोलनकारियों को आशा है. आपको बता दें कि बीते 23 दिसंबर को 4 सदस्यों का शिष्टमंडल वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से वार्ता कर चुका है.

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उप समिति में कौन-कौन: मुख्यमंत्री ने राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण के निस्तारण के लिए तीन कैबिनेट मंत्रियों को लेकर एक उप समिति का गठन किया, जिसमें वन मंत्री सुबोध उनियाल समिति के अध्यक्ष है, जबकि परिवहन एवं समाज कल्याण मंत्री मंत्री चन्दन रामदास और पशुपालन एवं दुग्ध मंत्री सौरभ बहुगुणा समिति के सदस्य हैं. तो वहीं, शिष्टमंडल में मुख्य रूप से पूर्व राज्य मंत्री रविन्द्र जुगरान, सलाहकार ओमी उनियाल, राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रवक्ता व जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती, प्रदेश उपाध्यक्ष सतेन्द्र भंडारी, राजीव तलवार, मोहन खत्री जगदीश चौहान मौजूद रहे.

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