देहरादून: कोरोना काल में रोजाना कमाने वालों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है. राजधानी देहरादून से एक ऐसी मार्मिक तस्वीर सामने आई है, जो हर किसी को परेशान कर रही है. ये कहानी है देहरादून की रहने वाली सात साल की खुशी की. देहरादून तिलक रोड के पास खुशी एक छोटी सी चटाई पर तीन-चार तरह की सब्जियों की दुकान सजाकर रोजाना जिंदगी से जद्दोजहद करती नजर आती है.
उत्तराखंड में कोरोना कर्फ्यू लगा हुआ है. इस बीच आमजन और दुकानदारों की निगाहें इस बात पर रहती हैं कि कहीं पुलिस ना आ जाए और चालान न काट दे. लेकिन खुशी इन बातों से बेफ्रिक होकर एक अदद खरीदार की उम्मीद में नजरें जमाए बैठे रहती है.
राजधानी देहरादून के तिलक रोड स्थित डीएफओ कार्यालय के सामने अपनी सब्जी की दुकान लगाने वाली खुशी को कोरोना कर्फ्यू की जानकारी तो है. लेकिन फिर भी वह इस उम्मीद में बैठी है कि कोई ग्राहक आएगा और सभी सब्जियों को खरीद लेगा.
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ईटीवी भारत से अपनी मजबूरियां बताते हुए खुशी कहती है कि 'कोरोना संक्रमण की दूसरी दस्तक के बाद उसकी मां की नौकरी चली गई. जिस वजह से सब्जियों की दुकान लगाना मजबूरी हो गई है. इस दौरान खुशी की मदद के लिए मां भी सब्जी की दुकान पर बैठती हैं. लेकिन छोटे भाई के पैर में लगी चोट के कारण खुशी की मां अधिकतर उसे ही संभालती हैं. इसीलिए खुशी के जिम्मे दुकान की जिम्मेदारी आ जाती है.
अपने परिवार के बारे में बताते हुए खुशी कहती है कि उनके पिता का कुछ महीने पहले देहांत हो गया है. अपने पापा को याद कर खुशी कहती है कि 'जब पापा थे, उस समय सब कुछ ठीक-ठाक था. लेकिन जैसी कोरोना की दूसरी लहर आई, उसने सब कुछ तबाह कर दिया'. कोरोना वायरस की दूसरी लहर में खुशी और उनके परिवार के लिए रोज का खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में मां की मदद के लिए खुशी रोजाना सब्जियां बेच रही है.